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दिल्ली और उत्तर भारत में क्यों हो रही ज्यादा बारिश? जलवायु विज्ञानियों ने बताई समुद्र को लेकर वजह

इस बार दिल्ली सहित उत्तर भारत के राज्यों में ज्यादा बारिश देखने को मिल रही है। मौसम विज्ञानियों का मानना है कि पहले के मुकाबले बारिश बढ़ी है। वहीं जलवायु विज्ञानियों के अनुसार ग्लोबल वार्मिंग के चलते तेजी से समुद्र की सतह का तापमान बढ़ रहा है। इससे अधिक वाष्प बन रही है और बादलों में बदल रही है। यही बादल कभी भी बरस जाते हैं।

By sanjeev Gupta Edited By: Geetarjun Updated: Sun, 08 Sep 2024 08:18 PM (IST)
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दिल्ली और उत्तर भारत के राज्यों में बढ़ी बारिश।

संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। इस बार दिल्ली ही नहीं, उत्तर भारत के ज्यादातर राज्यों में अच्छी बरसात हो रही है। दिल्ली का आलम तो यह है कि मानसून की वर्षा ने साल भर का कोटा पूरा कर दिया है। यहां जनवरी से दिसंबर तक कुल वर्षा होती है 774.3 मिमी, जबकि रविवार यानी आठ सितंबर तक ही यह आंकड़ा 955.8 मिमी तक पहुंच चुका है। अभी भी न सिर्फ वर्षा का दौर जारी है, बल्कि मानसून की विदाई यानी 17 सितंबर तक यह दौर लगातार जारी रहने की संभावना है।

मौसम विभाग की सहयोग संस्था आईआईटीएम पुणे के जलवायु विज्ञानी राक्सी मैथ्यु कौल बताते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) के कारण समुद्र की सतह का तापमान बढ़ रहा है। इससे वाष्प भी अधिक ही बनती है, जो ऊपर जाकर बादलों का रूप ले लेती है। यही बादल जब तब जहां तहां पूरी तीव्रता के साथ बरस जाते हैं।

अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में बढ़ रहा तापमान

मौसम विभाग के ही एक शोध के अनुसार, अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में समुद्री सतह का तापमान लगातार बढ़ रहा है। विज्ञानियों के अनुसार ग्लोबल वार्मिंग के कारण बढते तापमान से पश्चिमी विक्षोभ भी कमजोर हो रहे हैं।

अल नीनो हुआ खत्म

स्काईमेट वेदर के उपाध्यक्ष (मौसम विज्ञान एवं जलवायु परिवर्तन) महेश पलावत ने भी कौल की ही बातों को आगे बढ़ाया। उन्होंने कहा, इस साल अधिक बारिश की वजह यही है कि मार्च में अल नीनो खत्म हो चुका है। इसके बाद न्यूट्रल स्थिति बनी, जो धीरे-धीरे ला नीनो बनने की तरफ बढ़ रही है।

ऐसे में प्रशांत महासागर में सतह का तापमान औसत से 0.5 डिग्री तक बढ़ जाता है। यही अधिक वाष्प और बादल बनने तथा अधिक वर्षा होने का कारक बनता है।

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किसानों के लिए समस्या

पलावत ने बताया कि मानसून की वर्षा के बदलते पैटर्न से किसानों के लिए भी परेशानी बढ़ रही है तो वर्षा जल संचयन भी अच्छे से नहीं हो पा रहा। बकौल पलावत, अत्यधिक वर्षा के सर्दी पर असर को लेकर अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी।