Delhi Pollution: ऑड-ईवन फॉर्मूला पर उपराज्यपाल भड़के, कहा- AAP सरकार ने फैलाया झूठ, लोगों को किया गुमराह
दीवाली के बाद वायु प्रदूषण से लड़ने के लिए आप सरकार द्वारा एक दिन पहले घोषित की गई बहुप्रचारित सम विषम योजना (Odd Even Formula) को लेकर एलजी वीके सक्सेना की ओर से तीखी प्रतिक्रिया आई है। राजनिवास अधिकारियों के मुताबिक यह योजना और कुछ नहीं बल्कि प्रदूषण के कारण दिल्ली में जारी गंभीर संकट से लोगों और अदालतों का ध्यान भटकाने और उन्हें गुमराह करने की एक कोशिश है।
By sanjeev GuptaEdited By: GeetarjunUpdated: Tue, 07 Nov 2023 11:49 PM (IST)
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दीवाली के बाद वायु प्रदूषण से लड़ने के लिए आप सरकार द्वारा एक दिन पहले घोषित की गई बहुप्रचारित सम विषम योजना (Odd Even Formula) को लेकर एलजी वीके सक्सेना की ओर से तीखी प्रतिक्रिया आई है। राजनिवास अधिकारियों के मुताबिक यह योजना और कुछ नहीं बल्कि प्रदूषण के कारण दिल्ली में जारी गंभीर संकट से लोगों और अदालतों का ध्यान भटकाने और उन्हें गुमराह करने की एक कोशिश है।
इससे संबंधित फाइल से यह स्पष्ट होता है कि ग्रेप चार के तहत किए गए उपायों के रूप में सम विषम योजना लागू करने के निर्णय को मंत्री (पर्यावरण) गोपाल राय द्वारा अनुमोदित ही नहीं किया गया था। इसके बाद, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के कार्यालय ने भी राय द्वारा प्रस्तावित सम विषम योजना को स्थगित रखने के फैसले को अपनी मंजूरी दे दी।
राजनिवास अधिकारियों का कहना है कि फाइल के पैरा 158.2 में प्रस्तावित था कि-
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ग्यारहवीं कक्षा तक की सभी कक्षाओं के लिए शारीरिक कक्षाएं बंद कर दी जाएंगी और कक्षाएं आनलाइन आयोजित की जाएंगी।
- सभी सार्वजनिक, नगरपालिका और निजी कार्यालय 50 प्रतिशत की क्षमता के साथ काम करेंगे।
- सभी कॉलेज/शैक्षिक संस्थान और गैर-आपातकालीन व्यावसायिक गतिविधियां बंद रहेंगी।
- रजिस्ट्रेशन नंबरों के आधार पर वाहन सम विषम अनुसार चलेंगे।
बाद में फाइल को एलजी की मंजूरी के लिए उपराज्यपाल सचिवालय भेजा गया था। उपराज्यपाल सचिवालय ने जानबूझकर की गई गलत बयानी की तरफ ध्यान आकर्षित कर इसे सीएम कार्यालय को भेज दिया है।
राजनिवास से मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजा गया नोट इस प्रकार है-
एलजी ने फाइल देखकर इच्छा जताई है कि सीएम को इस महत्वपूर्ण फाइल को निपटाने में बरती गई उदासीनता और लापरवाही के बारे में अवगत कराया जाए। जैसा कि फाइल में दर्शाया गया है कि स्कूलों को बंद करना, वाहनों का के आधार पर संचालन करने समेत वाहनों पर प्रतिबंध आदि, एक्यूआइ के ''खराब'' से ''गंभीर'' श्रेणी की ओर बढ़ने पर सीएक्यूएम द्वारा निर्धारित अनिवार्य ग्रेप एसओपी का हिस्सा थे।राजनिवास अधिकारियों की मानें तो ग्रेन उपायों के क्रियान्वयन के आदेश पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा 5 के तहत जारी किए जाते हैं, जिसके लिए भारत सरकार ने उपराज्यपाल को शक्तियां सौंपी हैं। इसीलिए मंत्री, मुख्यमंत्री और उसके बाद उपराज्यपाल के विचार और अनुमोदन के लिए विभाग द्वारा 16 अक्टूबर को इसका प्रस्ताव किया गया था। 23 अक्टूबर को मंत्री (पर्यावरण) के कार्यालय द्वारा चर्चा के लिए इस फाइल को वापस भेज दिया गया था। दो नवंबर को जब पराली का धुआं चरम पर पहुंच गया तो तीन नवंबर को फाइल दोबारा मंत्री के समक्ष पेश की गई और उसी दिन यह फाइल मुख्यमंत्री कार्यालय पहुंच गई। मुख्यमंत्री कार्यालय ने फाइल पर लिखा कि मुख्यमंत्री दिल्ली से बाहर हैं लेकिन उन्हें यह प्रस्ताव दिखाया गया है, जिसे उन्होंने मंजूरी दे दी है।
चार नवंबर को फाइल आखिरकार राजनिवास भेजी गई, जबकि ग्रेप चार के तहत कार्रवाई के क्रियान्वयन के आदेश के बारे में सार्वजनिक घोषणाएं पहले ही मीडिया में की जा चुकी थी और आदेश पांच नवंबर को जारी किया गया था। राजनिवास अधिकारी कहते हैं कि पैरा-163 में मंत्री (पर्यावरण) की टिप्पणियां और उसके बाद पैरा-164 में मुख्यमंत्री की ओर से मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा की गई टिप्पणियां स्पष्ट रूप से दर्शाती हैं कि सम विषम योजना को लागू करने के संबंध में कोई भी निर्णय नहीं लिया गया है जैसा कि पैरा-158.2.4 में उल्लेखित है।
उपराज्यपाल ने सरकार के इस रवैये पर भी अपनी चिंता व्यक्त की है। जैसा कि ऊपर उल्लेखित देरी से दिखाई देती है, सांसों पर संकट जैसे गंभीर मुद्दे पर, जो देश की राजधानी को वर्ष 2016 से लगातार प्रभावित कर रहा है, कोई बदलाव नहीं हुआ है और अब तक कोई ठोस सुधारात्मक कार्रवाई नहीं की गई है।
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