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Kisan Andolan: दिल्ली-NCR के बार्डर खाली करने के लिए राकेश टिकैत ने रखी 6 शर्तें, ट्वीट कर दी जानकारी

Farm Laws Repealed प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भले ही बड़ा दिल दिखाते हुए एक साल पहले लाए तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने का एलान कर दिया हो लेकिन दिल्ली-एनसीआर के बार्डर पर बैठे किसान कब हटेंगे इसको लेकर संशय बरकरार है।

By Jp YadavEdited By: Updated: Sat, 20 Nov 2021 11:56 AM (IST)
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Kisan Andolan: दिल्ली के बार्डर खाली करने के लिए राकेश टिकैत ने रखी शर्तें, ट्वीट कर दी जानकारी
नई दिल्ली/सोनीपत/गाजियाबाद [अवनीश मिश्र]। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भले ही बड़ा दिल दिखाते हुए एक साल पहले लाए तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने का एलान कर दिया हो, लेकिन दिल्ली-एनसीआर के बार्डर पर बैठे किसान कब हटेंगे, इसको लेकर संशय बरकरार है। संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं के साथ भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत के ताजा ट्वीट से लगता है कि दिल्ली-एनसीआर के चारों बार्डर (शाहजहांपुर, टीकरी, सिंघु और गाजीपुर) से किसान प्रदर्शन अगले कुछ दिनों तक नहीं हटने वाले हैं। तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने के केंद्र सरकार के ऐलान के बावजूद दिल्ली-उत्तर प्रदेश के गाजीपुर बार्डर पर प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाले किसान नेता राकेश टिकैत ने ट्वीट करके कहा है- ' देश में राजशाही नहीं है, TV पर सिर्फ घोषणा करने से किसान घर वापस नहीं जाएगा, सरकार को किसानों से बात करनी पड़ेगी।'

इधर, शनिवार सुबह यूपी गेट पहुंचे राकेश टिकैत ने कहा कि आगे की रणनीति के लिए दोपहर बाद संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक सिंघु बार्डर पर होगी। इस बैठक में उन्हें पहुंचना है या नहीं? इस पर अभी बात नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि सिर्फ तीनों कृषि कानून ही नहीं बल्कि एमएसपी, प्रदूषण और बिजली बिल जैसे मुद्दों पर भी सरकार से बात की जानी है। यह भी देखना है कि सरकार किसानों से बात करने आगे आती है या नहीं।

ये हैं किसान संगठनों की 6 अहम मांगें

  • केंद्र सरकार के प्रतिनिधि किसान संगठनों (संयुक्त किसान मोर्चा) से बात करे।
  • न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनाने के लिए केंद्र सरकार सहमत हो।
  • प्रदर्शनकारी हजारों किसानों और उनके नेताओं पर दर्ज मुकदमे वापस हों।
  • लखीपुरखीरी कांड के पीड़ितों को न्याय मिले और दोषियों पर कार्रवाई हो।
  • बिजली बिल का मुद्दा
  • वायु प्रदूषण को लेकर मुद्दा, जो किसानों के पराली जलाने से जुड़ा है। 
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किसान नेता भारतीय किसान यूनियन से जुड़े किसान नेता चौधरी विनय कुमार का कहना है कि प्रधानमंत्री द्वारा की गई घोषणा का स्वागत है। लेकिन एमएसपी पर फसल खरीद की गारंटी पर कानून बनने तक आंदोलन जारी रहेगा। यह आंदोलन में शहीद हुए किसानों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। किसानों की मांगें अभी अधूरी हैं।

वहीं, राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन से जुड़े किसान नेता सुखवीर सिंह का कहना है किसरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसल खरीद की गारंटी के लिए जल्द ही कानून बनाना चाहिए। इससे कम किसानों को स्वीकार नहीं होगा। 

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गौरतलब है कि शुक्रवार को गुरुनानक जयंती के पावन मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द मोदी ने तीनों केंद्रीय कृषि सुधार कानूनों को वापस लेने की घोषणा की। गुरु पर्व के अवसर पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोगों से माफी मांगते हुए कहा कि पूर्ण समर्पण और किसानों के हित में लाए गए इन कानूनों के फायदों को किसानों के एक छोटे वर्ग को सरकार समझा नहीं पाई। उन्होंने कहा कि सरकार के लिए हर किसान अहम है, इसलिए इन कानूनों को वापस ले रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने आंदोलन खत्म करने की अपील करते हुए कहा कि इसी महीने के अंत में शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में औपचारिक रूप से इन तीनों कानूनों को रद कर दिया जाएगा। श्री गुरु नानक देव जी की वाणी का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जो कुछ किया, वह किसानों के लिए था और जो कुछ कर रहे हैं, वह भी देश के लिए है।

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बावजूद इसके किसान नेता राकेश टिकैत ने प्रतिक्रिया में कहा है मिठाई और लड्डू बांटने का समय नहीं है। संघर्ष जारी रहेगा। आंदोलन तत्काल वापस नहीं होगा। हम उस दिन का इंतजार करेंगे, जब कृषि कानूनों को संसद में रद किया जाएगा। सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के साथ-साथ किसानों के दूसरे मुद्दों पर भी बात करे। संबंधित खबर पेज 3

प्रधानमंत्री ने की प्रदर्शन कर रहे किसानों से घर लौटने की अपील

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, गुरु पर्व के वातावरण में यह किसी को दोष देने का समय नहीं है, किसानों के कल्याण के लिए काम करने के लिए स्वयं को समर्पित करने का दिन है। प्रधानमंत्री ने अपील की कि अब किसान आंदोलन छोड़ें और अपने घर को वापस जाएं।

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तारीखों में आईने में जानिये किस तरह अहम पड़ाव से गुजरा किसान आंदोलन

5 जून 2020 : तीन कृषि कानूनों से संबंधित अध्यादेश जारी हुआ।

17 सितंबर 2020 : तीनों कृषि बिल 20 सितंबर को राज्यसभा में भी पारित हो गए। राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने से यह कानून बन गए।

26 सितंबर 2020 : शिरोमणि अकाली दल ने भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से खुद को अलग किया।

28 नवंबर 2020 : गृह मंत्री अमित शाह ने वार्ता का प्रस्ताव रखा, लेकिन किसानों ने इन्कार कर दिया।

3 दिसंबर 2020 : केंद्र की किसान संगठनों से पहले दौर की वार्ता बेनतीजा रही।

9 दिसंबर 2020 : किसानों ने कृषि कानूनों में संशोधन के प्रस्ताव को ठुकरा दिया।

12 जनवरी 2021 : सुप्रीम कोर्ट ने तीनों कृषि कानूनों पर रोक लगाकर चार सदस्यीय समिति का गठन किया।

26 जनवरी 2021 : गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर परेड के दौरान लाल किले में देश की धरोहर को क्षति पहुंचाई।

29 जनवरी 2021 : सरकार ने कानूनों को निलंबित करने का प्रस्ताव रखा और चर्चा को संयुक्त समिति का गठन किया।

5 फरवरी 2021 : दिल्ली पुलिस की साइबर क्राइम सेल ने किसानों के प्रदर्शन पर ‘टूलकिट’ बनाने वालों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की। इस टूलकिट को पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग ने इंटरनेट मीडिया पर वायरल किया था।

7 अगस्त 2021 : विपक्ष के 14 नेताओं ने संसद भवन में बैठक की। यह विपक्ष के इस मुद्दे पर एकजुट होने का संकेत था।

15 अक्टूबर 2021 : सोनीपत जिले के कुंडली पर चल रहे आंदोलन में निहंगों ने एक युवक की निर्मम हत्या कर शव लटका दिया।

19 नवंबर 2021 : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को रद करने की घोषणा की।

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