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Kisan Andolan: नाराज राकेश टिकैत बोले, 4 लाख ट्रैक्टर और 25 लाख लोग अफगानिस्तान से नहीं आए

Rakesh Tikait Kisan Andolan तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहा किसानों का आंदोलन जारी है। पंजाब हरियाणा और यूपी समेत कई राज्यों के किसान कई महीनों से लगातार मांग कर रहे हैं कि तीनों कृषि कानून वापस लिए जाएं इससे कम में कोई समझौता नहीं होगा।

By Jp YadavEdited By: Updated: Thu, 24 Jun 2021 12:56 PM (IST)
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Kisan Andolan: नाराज राकेश टिकैत बोले, 4 लाख ट्रैक्टर और 25 लाख लोग अफगानिस्तान से नहीं आए
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क।​​​​​ तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहा किसानों का आंदोलन जारी है। पंजाब, हरियाणा और यूपी समेत कई राज्यों के किसान कई महीनों से लगातार मांग कर रहे हैं कि तीनों कृषि कानून वापस लिए जाएं, इससे कम में कोई समझौता नहीं हो सकता है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो आंदोलन जारी रहेगा। इस बीच भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait, national spokesperson of Bharatiya Kisan Union) ने बृहस्पतिवार को कहा कि हम पिछले 7 महीनों से दिल्ली-एनसीआर के बॉर्डर पर शांतिपूर्ण तरीके से विरोध कर रहे हैं, क्या सरकार को यह सुनकर शर्म नहीं आती कि किसानों का क्या कहना है। क्या धरना प्रदरशन लोकतंत्र में काम नहीं करता।

दरअसल, गाजीपुर बॉर्डर पर धरना-प्रदर्सन की अगुवाई कर रहे किसान नेता राकेश टिकैत पिछले काफी समय से केंद्र सरकार से इस बात के लिए भी नाराज हैं कि वह बातचीत के लिए आगे नहीं आ रही है। कई महीने हो गए हैं, जब केंद्र सरकार की ओर से बातचीत के लिए कोई भी प्रस्ताव नहीं आया है।

भाकियू नेता राकेश टिकैत पत्रकारों से बातचीत के दौरान यहीं पर नहीं रुके। उन्होंने समाचार एजेंसी एएनआइ से बातचीत के दौरान नाराजगी भरे अंदाज में कहा कि कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान 4 लाख ट्रैक्टर और 25 लाख लोग यहां हैं। ये ट्रैक्टर इसी देश के हैं और अफगानिस्तान से नहीं आए हैं।  

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गौरतलब है कि तीनों कृषि कानूनों को पूरी तरह से निरस्त करने की मांग को लेकर किसान करीब एक साल से आंदोलनरत हैं। किसान संगठन, तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हुए हैं जबकि सरकार का कहना है कि वह जरूरत के अनुसार इसमें सुधार करने के लिए तैयार है। केंद्र सरकार ने कई बार संकेत दिए हैं कि किसान संगठनों को सिर्फ इन कानूनों को निरस्त करने से इतर कानूनी बिंदुओं पर बात करनी चाहिए, तभी बात आगे बढ़ सकती है। बता दें कि इससे पहले दर्जन भर बार किसानों और केंद्र सरकार के बीच बातचीत विफल हो चुकी है।

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