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Ram Mandir Ayodhya: एंबुलेंस में लटक कर पहुंचा राम जन्मभूमि, फिर रातभर हटाया मलबा; जमीन की थी समतल

जिस घड़ी का देश व दुनिया का हर सनातनी सदियों से इंतजार करता आ रहा था अब वह जल्द पूरा होने वाला है। अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर में 22 जनवरी को श्री विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम होगा और यहां दुनियाभर से सनातनी पहुंचकर ऐतिहासिक क्षण के गवाह बनेंगे। क्योंकि इसके लिए देशभर के लोगों ने आंदोलन कर अपनी कुर्बानी दी है।

By Jagran News Edited By: Geetarjun Updated: Tue, 02 Jan 2024 06:05 PM (IST)
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खाटू श्याम मंदिर छतरपुर में भगवान राम की पूजा अर्चना करते सुनील सोढ़ी।

दीपक गुप्ता, दक्षिणी दिल्ली। जिस घड़ी का देश व दुनिया का हर सनातनी सदियों से इंतजार करता आ रहा था, अब वह जल्द पूरा होने वाला है। अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर में 22 जनवरी को श्री विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम होगा और यहां दुनियाभर से सनातनी पहुंचकर ऐतिहासिक क्षण के गवाह बनेंगे। क्योंकि इसके लिए देशभर के लोगों ने आंदोलन कर अपनी कुर्बानी दी है और यह कुर्बानी अब पूरी होने वाली है। आओ अब सुनते है आंदोलन में शामिल होने वाले कारसेवक से उनकी जुबानी।

जैसे-जैसे अयोध्या में श्री विग्राह की प्राण प्रतिष्ठा की घड़ी नजदीक आती जा रही है वैसे ही राम भक्त भक्तिमय होते जा रहे है और उनकी खुशी का अब ठिकाना नहीं है। रामसेवक क्रांति की उन यादों के क्षणों को याद कर खुशी व गौरव से भरे आंखों में आंसू लेकर भावुक हो उठते है। भगवान राम को श्रद्धांजलि देते हुए मालवीय नगर के सुनील सोढ़ी आंदोलन से जुडी यादों को करते हुए इस तरह व्यक्त करते है।

बताते हैं कि वह अपना व्यवसाय करते थे और उनकी रग-रग में राम भक्ति भरी हुई है। वर्ष 1985 में अयोध्या में भगवान राम को उनका स्थान दिलाने के लिए साध्वी ऋतम्भरा देवी ने रैली की थी और उस रैली में पहुंचकर भगवान राम को उनका घर दिलाने का तभी संकल्प लिया था। उनके साथ वहां 500 से अधिक राम भक्त गए थे।

सभी ने संकल्प लेने के बाद गांव-गांव जाकर जय श्रीराम के नारे लगाए और लोगों के अंदर आस्था जगाकर संकल्प दिलाना शुरू किया। जब लोग राम के प्रति आस्था जगाते थे तो लगता था कि मानो मंदिर की नींव मजबूत हो गई और अब उन्हें उनका स्थान जरूर मिलेगा।

वर्ष 1992 में जब अयोध्या पहुंचने का आह्वान हुआ तो वह हजारों की संख्या में राम सेवकों के साथ मालवीय नगर से ट्रेन से तीन दिसंबर को लक्ष्मण मंदिर में पहुंचे और वहां उनके रुकने की व्यवस्था की गई थी। उसके बाद लगातार रैली में शामिल होकर भाषण सुना और छह दिसंबर को ढांचा गिराने का आह्वान हो गया और वह ढांचा गिराने के लिए अपने कदम आगे बढ़ाते रहे, लेकिन लाइन इतनी लंबी थी कि उनको आगे जाने का रास्ता नहीं मिल रहा था।

इसी दौरान एक एंबुलेंस आती दिखाई दी और वह अपने दो साथियों के साथ एंबुलेंस के पीछे लटककर ढांचा गिराने पहुंच गए। ढांचा गिराने के बाद छह दिसंबर की पूरी रात को जमीन को समतल किया। ढांचा गिराने में गुजरात व महाराष्ट्र के लोगों की संख्या काफी ज्यादा थी।

हजारों कार सेवको ने वहां रामलीला को पुनः स्थापित किया और सात दिसंबर को अपने घर आ गए। यह उनके जीवन का एक अद्भुत क्षण था और आज उसे स्थान पर भव्य मंदिर बनते हुए देख आंखों में खुशी के आंसू आ रहे हैं कि 500 साल के संघर्ष के बाद हिंदुओं को रामलीला का जन्म स्थान पुनः प्राप्त हो पाया।

राम के लिए पिता गए जेल, गोलियों से नहीं डरे

सुनील सोढ़ी बताते हैं कि वर्ष 1990 में जब अयोध्या में गोली चल रही थी तो उनके पिता के कदम पीछे नहीं हटे। उनके पिता बलवंत राय सोढी राम भक्ति में ऐसे लीन हुए कि वह गोली खाने के लिए अयोध्या के लिए रवाना हो गए। जब वह बस से अपने दर्जनों राम सेवकों के साथ गोंडा पहुंचे और बस को वहीं रोक लिया गया। उसके बाद वह पैदल ही वहां से निकल लिए और जैसे ही गोंडा पार किया तो रास्ते में पुलिस ने पकड़ लिया।

पुलिस ने उनको नैनी जेल में 15 तक रखने के बाद आक्रोश शांत होने के बाद छोड़ दिया। जिसके बाद वह घर आ गए थे और पिता ने उन्हें ढांचा ध्वंस में शामिल होने का संकल्प दिलाया। पिता के संकल्प को पूरा करने के लिए वह आंदोलन में शामिल हुए थे।

मां के आंसू व पत्नी का गुस्सा नहीं हटा सका कदम पीछे

सुनील सोढ़ी बताते हैं कि जब वह अयोध्या के लिए रवाना हो रहे थे तो मां के आंसू निकल आए थे और पत्नी गुस्सा करने लगी थी कि यदि उनको कुछ हो गया तो वह कैसे रहेंगे, लेकिन राम लगन के आगे सब कुछ फिका था और उनके आंसू व गुस्सा उनके कदम को पीछे नहीं हटा सका। वह अपनी मां व पत्नी को वापस आने का वादा करके गए थे और सुरक्षित वापस आकर वादा पूरा किया।

10 फरवरी को परिवार के साथ जाएंगे रामलला

सुनील सोढ़ी कहते हैं कि 22 जनवरी को संकल्प पूरा हो जाएगा और अब वह 10 फरवरी को परिवार के साथ रामलला के दर्शन करने के लिए जाएंगे। क्योंकि उन्होंने संकल्प लिया था कि जब तक मंदिर नहीं बनेगा तब तक वह अयोध्या नहीं जाएंगे।

यह रही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में जिम्मेदारी

  • 1992 से 1995 मालवीय नगर के नगर कार्यवाह
  • 1995 से 1998 तक साकेत जनपद के जिला शारीरिक प्रमुख
  • 2021 से 2023 महरौली जनपद जिला संघ चालक
  • 2023 से राम कृष्ण पुरम सह विभाग कार्यवाह