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Delhi News: एम्स के सर्वर की सुरक्षा में लापरवाही से हुआ रैनसमवेयर अटैक, जांच में गायब मिली बेसिक सिक्योरिटी

एम्स की ओपीडी वार्ड के साथ-साथ इमरजेंसी में भी मैनुअल तरीके से मरीजों का इलाज हो रहा है। मरीज भर्ती भी लिए जा रहे हैं लेकिन मैनुअल पंजीकरण में समय अधिक लग रहा है।सैंपल लेने के लिए बार कोड नहीं बन पाने के कारण जांच में देरी हो रही है।

By Ranbijay Kumar SinghEdited By: Prateek KumarUpdated: Fri, 25 Nov 2022 07:35 PM (IST)
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साइबर हमले से बचाव के लिए फायरवाल जैसा सिस्टम भी नहीं था मौजूद।
नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। रैनसमवेयर अटैक के बाद एम्स के सर्वर को ठीक करने के लिए एनआइसी (नेशनल इफार्मेटिक्स सेंटर) और इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (सीईटारटी-आइएन) दिन रात लगी हुई है। फिर भी तीन दिन बाद भी एम्स केस सर्वर को ठीक नहीं किया जा सका है। इस वजह से तीसरे दिन भी एम्स में डिजिटल सेवाएं ठप रही।

मैनुअल तरीके से एंट्री से परेशान हुए मरीज 

अस्पताल में मैनुअल तरीके से चिकित्सा सुविधाओं को जारी रखा गया है। इस वजह से मरीजों को इलाज में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। खास तौर पर आनलाइन रिपोर्ट नहीं मिलने से मरीजों को ज्यादा परेशानी हो रही है। इस बीच दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल की साइबर सेल द्वारा की जा रही जांच में यह बात सामने आई है कि देश के सबसे बड़े चिकित्सा संस्थान के सर्वर की सुरक्षा बेहद लचर थी। सर्वर की सुरक्षा में लापरवाही सर्वर हैक होने का कारण बना।

सिस्टम की सुरक्षा के लिए नहीं थी बुनियादी चीजें 

एम्स के कंप्यूटर फैसिलिटी सेंटर में लगे सिस्टम की जांच में यह बात सामने आई है कि सिस्टम की सुरक्षा के लिए बुनियादी चीजें भी नहीं थी। सिस्टम का रखरखाव ठीक से नहीं होने के कारण फायरवाल सिस्टम काम नहीं कर रहा था। फायरवाल किसी अनधिकृत इस्तेमाल से सिस्टम को बचाता है। इसलिए सिस्टम का अनधिकृत इस्तेमाल कर सर्वर में सेंध लगाना मुश्किल होता है। लिहाजा, फायरवाल सिस्टम सर्वर के हैक होने से बचाव में मददगार होता है। इसके अलावा यह बात भी सामने आ रही है कि एंटीवायरस साफ्टवेयर भी नहीं था, जिससे किसी वायरस के हमले से कंप्यूटर सिस्टम का बचाव हो सके। उल्लेखनीय है कि बृहस्पतिवार को एम्स के दो सिस्टम एनालिस्ट निलंबित भी किए गए थे।

वार्ड में भर्ती मरीजों की रिपोर्ट मिलने में भी परेशानी

एम्स की ओपीडी, वार्ड के साथ-साथ इमरजेंसी में भी मैनुअल तरीके से मरीजों का इलाज हो रहा है। मरीज भर्ती भी लिए जा रहे हैं लेकिन मैनुअल पंजीकरण में समय अधिक लग रहा है। सैंपल लेने के लिए आनलाइन बार कोड नहीं बन पाने के कारण जांच में देरी हो रही है। इसके अलावा वार्ड में भर्ती मरीजों की जांच रिपोर्ट भी नर्सिंग स्टेशन पर आनलाइन उपलब्ध नहीं हो पा रही है। मैनुअल तरीके से काउंटर से जांच रिपोर्ट उपलब्ध हो पा रही है। इस वजह से वार्ड में भर्ती मरीजों के इलाज में भी थोड़ी परेशानी बढ़ गई है।

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