दिल्ली की लैंडफिल साइटों पर तेजी से हो रहा कूड़ें का निस्तारण, चार माह में आई 26.1 लाख मीट्रिक टन की कमी
Landfill Sites कचरे का निस्तारण करने के लिए चलाई जाने वाली लंबी प्रक्रिया के बाद मई 2022 में यहां लगभग 229.1 लाख मीट्रिक टन कचरा था। इस पूरे तीन साल के दौरान हर महीने 1.41 लाख मीट्रिक टन की दर से कचरे का निस्तारण किया जा रहा था।
By sanjeev GuptaEdited By: Pradeep Kumar ChauhanUpdated: Wed, 12 Oct 2022 10:00 PM (IST)
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। Landfill Sites: राजधानी की तीनों लैंडफिल साइटों पर जमा कचरा तेजी से कम हो रहा है। बीते चार महीनों के दौरान हर महीने साढ़े छह लाख मीट्रिक टन से ज्यादा कचरे का निस्तारण किया जा रहा है। राजनिवास से मिली जानकारी के मुताबिक उपराज्यपाल वीके सक्सेना के सुझावों और निगरानी के बाद इस कार्य में खासी तेजी आई है। इसी का असर है कि जून से सितंबर के बीच पहले की तुलना में कचरे के निस्तारण की दर में 462 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
राजनिवास सूत्रों के मुताबिक दिल्ली की तीनों लैंडफिल साइट गाजीपुर, भलस्वा और ओखला में वर्ष 2019 में लगभग 280 लाख मीट्रिक टन कचरा जमा था। कचरे का निस्तारण करने के लिए चलाई जाने वाली लंबी प्रक्रिया के बाद मई 2022 में यहां लगभग 229.1 लाख मीट्रिक टन कचरा था। इस पूरे तीन साल के दौरान हर महीने 1.41 लाख मीट्रिक टन की दर से कचरे का निस्तारण किया जा रहा था।लेकिन, मई के बाद से इसमें तेजी आई और सितंबर में यह लगभग 203 लाख मीट्रिक टन तक बचा। यानी चार महीने में ही लगभग 26.1 लाख मीट्रिक टन कचरे का निस्तारण किया गया। हर महीने 6.52 लाख मीट्रिक टन की दर से कचरे को साफ किया गया। राजनिवास के मुताबिक अप्रैल 2024 तक पूरे कचरे का निस्तारण करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
उपराज्यपाल कार्यालय के सूत्रों के अनुसार, तीन लैंडफिल साइटों पर कचरे के निपटान की प्रक्रिया एमसीडी द्वारा की जा रही है और एलजी वीके सक्सेना सीधे इसकी निगरानी कर रहे हैं। ट्रामेल मशीनों के जरिये अपशिष्ट निपटान की प्रक्रिया में तेजी लाने के बाद, इस साल जुलाई-अगस्त में, एलजी ने एमसीडी को उनके उपयोग के लिए लैंडफिल साइटों से निष्क्रिय और सीएंडडी कचरे को मुफ्त में उठाने के लिए सार्वजनिक अपील करने का भी निर्देश दिया था।
तब एमसीडी ने निवासियों, निर्माण एजेंसियों और अन्य संबंधित एजेंसियों से अनुरोध किया था कि वे अपनी निर्माण संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए लैंडफिल साइटों से सी एंड डी मलबा और निष्क्रिय सामग्री का बेहतर उपयोग करें और इन कचरे के टीले को खत्म करने में नगर निकाय की मदद करें।उल्लेखनीय है कि शहर में रोजाना लगभग 11,400 मीट्रिक टन कचरा उत्पन्न करता है, जिसमें से लगभग 6,200 मीट्रिक टन इन तीन लैंडफिल साइटों पर पहुंचता है। शेष 5,200 मीट्रिक टन कचरा स्थानीय रूप से कम्पेक्टर और डब्ल्यूटीई संयंत्रों की मदद से निपटाया जाता है।
ये भी पढ़ें- Indian Railway: हजरत निजामुद्दीन से हुबली का सफर हुआ आसान, जल्द चलेगी सुपर फास्ट, देखें समय सारिणी
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।