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30 साल में इन 8 सनसनीखेज अफवाहों ने उड़ाई करोड़ों लोगों की नींद, पढ़ें- यह चौंकाने वाली स्टोरी

पिछले 30 साल से गली-मोहल्लों से लेकर सोशल मीडिया तक पर उड़ाई जा रही इन बेसिर-पैर की अफवाहों के चलते कई बेगुनाह भी भीड़ का शिकार बन रहे हैं।

By JP YadavEdited By: Updated: Sat, 14 Sep 2019 11:35 PM (IST)
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30 साल में इन 8 सनसनीखेज अफवाहों ने उड़ाई करोड़ों लोगों की नींद, पढ़ें- यह चौंकाने वाली स्टोरी
​​​​​नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। दिल्ली-एनसीआर के साथ उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा और राजस्थान समेत देशभर में पिछले कुछ महीनों से बच्चा चोरी की अफवाहें उड़ाई जा रही हैं। गली-मोहल्लों से लेकर सोशल मीडिया तक पर उड़ाई जा रही इन अफवाहों के चलते कई बेगुनाह भी भीड़ का शिकार बन रहे हैं। आलम यह है कि बच्चा चोर की लगातार जारी अफवाहों के चलते परिवार के बच्चे भी को गोद में लेकर निकलने वाले सड़क पिट रहे हैं। देश की राजधानी दिल्ली हो या फिर यूपी का बलिया इलाका, मां-बाप से लेकर मामा-मामी तक बच्चा चोरी की अफवाह के चलते भीड़ की मारपीट का शिकार हो चुके हैं। इसमें सबसे दुखद यह है कि बिना किसी जांच-पड़ताल के भीड़ किसी को भी अपना शिकार बना डाल रही है। हालांकि, कुछ इलाकों में बच्चा चोरी की घटनाएं हुई हैं, लेकिन इसी के साथ अफवाहें भी तेजी से फैलाई जा रही हैं।

अजब संयोग कर रहा हैरान
यहां पर पता दें कि भारत में मई और सितंबर महीने के बीच ही ज्यादातर अफवाहें फैलाई गईं। यह अजब संयोग भी लोगों को हैरान कर रहा है। चोटी कांड, गणेश की प्रतिमाओं का दूध पीना, मंकी मैन जैसे मामले मई से लेकर सितंबर के बीच ही सामने आए।

24 साल पहले भी सबसे बड़ी अफवाह
अफवाहों की बात की जाए तो 1995 में 21 सितंबर (गणेश चतुर्थी) के रोज ही यह अफवाह फैलाई गई थी कि गणेश प्रतिमाएं दूध पी रही हैं। फिर क्या था देखते ही देखते मंदिरों में भीड़ लग गई। स्थिति यह बन गई कि भारत से लेकर अमेरिका तक तमाम देशों में गणेश की प्रतिमाओं को दूध पिलाने का ऐसा सिलसिला शुरू हुआ कि क्या अनपढ़, क्या पढ़ा-लिखा और यहां तक नामी पार्टियों के नेता तक गणेश की प्रतिमांओं को दूध पिलाते नजर आए।

2001 में दिल्ली का मंकीमैन
साल 2001 की गर्मियों के दौरान कई महीने तक देश की राजधानी दिल्ली में मंकीमैन का खौफ था। तब उसे काला बंदर भी कहा जाने लगा था। यहां तक कि तथाकथित रूप से कुछ लोगों पर मंकी मैन ने हमला भी किया था। यहां तक कि लोगों ने अपने शरीर पर मंकी मैन के पंजे के निशान तक दिखाए थे। उस वक्त कुछ लोगों ने ये दावा किया कि उन्होंने मंकीमैन को देखा भी है। उन लोगों ने बताया था कि मंकीमैन की लंबाइ 4 फीट थी। इसके साथ सारे बदन पर काले घने बाल थे और चेहरा हेलमेट से ढंका हुआ था। कुछ लोगों ने तो यहां तक कहा था कि मंकी मैन के हाथ पर मेटल के पंजे लगे होते थे। कुछ लोगों ने को यहां तक दावा किया था कि वह इस मेटल के पंजे से ही लोगों पर हमले करता था। वहीं, शिकायतें बढ़ने पर जांच की गई तो पीड़ितों के शरीर पर नाखून से खरोंचने के निशान मिलते थे। पुलिस ने जब जांच की तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। जांच में यह भी पता चला कि ऐसा कोई जानवर या शख्स था ही नहीं। दरअसल ये लोगों की सॉइकोलॉजिकल क्रिएशन थी यानी लोगों के दिमाग की उपज थी। इतना ही वहीं, इस विषय पर बॉलीवुड फिल्म 'दिल्ली-6' भी बनी। मंकीमैन की घटना सबसे पहले दिल्ली के यमुनापार इलाके में सामने आई थी और देखते ही देखते ये दिल्ली के शालीमार बाग, साहिबाबाद, ओखला, मोदी नगर, संगम विहार जैसे इलाकों में फैल गया। कहा जाता था कि वह लोगों की छतों से कूदता हुआ आता था और लोगों पर हमला कर ऐसे ही भाग निकलता था। हैरत की बात है कि धीरे-धीरे ये घटना खुद-ब-खुद बंद हो गई। फिर मंकी मैन कौन था, कहां गया था भी या नहीं? इसका सही जवाब देश को अब तक नहीं मिला है।

तोरी में सांप की आकृति होने की उठी थी अफवाह
हैरानी की बात तो यह है कि ऐसी अफवाहें तकरीबन हर साल मई से लेकर सितंबर के बीच उड़ाई जाती है। तकरीबन 20 साल पहले भी इन्हीं महीनों में सब्जी तोरी को लेकर भी अफवाह उड़ाई गई कि जिसमें सांप की आकृति हो, उसे नहीं खाना चाहिए। इसके बाद जो हालात बने वह बेहद हैरान करने वाले थे। लोगों ने तो तोरी की सब्जी तक खाना बंद कर दिया था।

2002 में मुंहनोचवा का कहर
वर्ष- 2002 में उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के आसपास के गावों में एक अजीब आसमान से आने वाले नीली और लाल रौशनी वाले किसी वस्तु की दहशत फैली थी। उस समय कहा गया कि लोगों के चेहरे पर चोट लगा देता था और इसी लिए इसको मुंह नोचवा (नोचने वाला) नाम दिया गया था। दरअसल, मई और जून के गर्मी के दिनों में जहां गावों में सभी घर के बाहर सोते हैं ऐसे आसमान से आने वाले किसी वास्तु का डर उन सभी गावों में फैला था। स्थिति यह बन गई थी कि मुंह नोचवा के भ्रम में कई लोगों की पिटाई तक हो गई थी। इसमें कुछ लोग घायल हुए थे, तो कुछ की मौत तक हो गई थी।

2015 में सिलबट्‌टे वाली बुढ़िया
इस में यह अफवाह थी कि लोगों की कोई सिलबट्टे से पिटाई कर देता है और पत्थर का रंग बदल जाता था। यह अफवाह भी पश्चिमी यूपी समेत दिल्ली-एनसीआर में खूब फैली थी।

2017 में चर्चा खूब चर्चा में रहा था चोटी कांड
अगस्त, 2017 में दिल्ली-एनसीआर के साथ राजस्थान, हरियाणा और उत्तर प्रदेश चोटी काटने की विचित्र घटनाओं से महिलाएं सहम सी गई थीं। इन चार राज्यों में चोटी कटने की घटना ने लोगों की रातों की नींद उड़ा दी थीं। अगस्त-सितंबर महीने तो तकरीबन हर दिन महिलाओं और लड़कियों की चोटी कटने के मामले सामने आ रहे थे। इस दौरान मीडिया की सक्रियता की वजह से कई महिलाओं ने खुद ही बाल काटकर अफवाह उड़ा दी थी। दिल्ली की एक महिला बेहोश हो गई और उसके बाल कटे हुए थे और जब लोगों की भीड़ जुटी तो होश में आते ही उसने कहा था- 'मीडिया तो आया नहीं।' वहीं, आगरा में एक बुजुर्ग महिला की चोटी काटने के शक में पीटकर मार डाला था।

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वहीं, मनोचिकित्सकों का कहना है कि भीड़ विवेकहीन होती है। दरअसल, उस दौरान कोई भी फैली अफवाह के खिलाफ जाएगा तो वह शिकार बनेगा, इसलिए लोगों को समझाने की कोई जुर्रत तक नहीं करता।

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