दिल्ली सरकार के बजट से व्यापारियों को क्या हैं उम्मीदें? सीटीआइ के चेयरमैन बृजेश गोयल ने बताया
कारोबारी संगठन चैंबर आफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (सीटीआइ) द्वारा भी व्यापारियों की रायशुमारी कराई जा रही है। व्यापारी कई तरह की मांग रख रहे हैं। इसे लेकर नेमिष हेमंत ने सीटीआइ के चेयरमैन बृजेश गोयल से बातचीत की।
नई दिल्ली। आम बजट के बाद अब दिल्ली के बजट की बारी है। इसे लेकर दिल्ली के व्यापारियों मेें काफी उम्मीदें हैं। वे बाजारों में आधारभूत विकास की मांग कर रहे हैं। साथ ही कोरोना से बाजारों को लगे झटकों के लिए बजटीय मरहम की आस भी लगाए हुए हैं। दिल्ली सरकार द्वारा बजट को लेकर आम लोगों से राय मांगी गई है। कारोबारी संगठन चैंबर आफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (सीटीआइ) द्वारा भी व्यापारियों की रायशुमारी कराई जा रही है। व्यापारी कई तरह की मांग रख रहे हैं। इसे लेकर नेमिष हेमंत ने सीटीआइ के चेयरमैन बृजेश गोयल से बातचीत की। प्रस्तुत है अंश...
राज्य सरकार द्वारा बजट की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। सीटीआइ को क्या उम्मीदें है?
दिल्ली सरकार ने बजट की प्रक्रिया शुरू कर दी है। संभवत: अगले माह दिल्ली का बजट आएगा। इसके लिए राज्य सरकार की ओर से हर तबके के लोगों से सुझाव मांगें हैं। राष्ट्रीय राजधानी में 10 लाख दुकानें हैं, उसमें करीब 20 लाख व्यापारी जुड़े हुए हैं। बाजार सरकार के राजस्व से जुड़ा हुआ मामला है। दिल्ली सरकार का अकेले 70 प्रतिशत राजस्व व्यापारी वर्ग से आता है। ऐसे में मौजूदा सरकार भी इनकी सहूलियतों का ध्यान रख रही है। उसने खुद व्यापारियों के साथ ही सभी वर्ग से सुझाव मांगें है। व्यापारियों से पूछा गया है कि बाजारों में क्या सुविधाएं बढ़ाई जाए, जिससे कि वहां ग्राहक की संख्या बढ़े। प्रमुख व्यापारी संगठन होने के नाते सीटीआइ की भी जिम्मेदारी है। हमारे द्वारा भी रायशुमारी कराई जा रही है। व्यापारियों से सुझाव लिया जा रहा है। इसे लेकर हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया गया है।
सीटीआइ के सामने व्यापारियों ने क्या-क्या मांगें रखी है?
अब तक 700 से ज्यादा व्यापारिक संगठनों के सुझाव आए हैं। उन सुझावों को एक ड्राफ्ट का रूप देकर जल्द ही दिल्ली सरकार को सौंपा जाएगा।प्रमुख सुझावों व मांगें में दिल्ली के बाजारों के लिए अलग से फंड की घोषणा की है, जिससे की बाजारों में आधारभूत संरचनाओं का विकास हो सके। बाजार संगठनों के प्रतिनिधि चाहते हैं कि उनके बाजारों का विकास भी चांदनी चौक की तर्ज पर हो। इस ऐतिहासिक बाजार का जिस तरह से दिल्ली सरकार ने काया कल्प किया है, वह दिल्ली क्या देशभर के बाजाराें के लिए नजीर है।
इसी तरह व्यापारियो और बाजार के लिए अलग कल्याण बोर्ड बनाने की मांग उठी है। औद्योगिक संगठनों भी औद्योगिक क्षेत्रों में आधारभूत संरचनाओं के विकास के लिए अलग से फंड चाहते हैं। इसी तरह होटल, फैक्ट्री व बैंक्वेट समेत अन्य के लिए वर्तमान में अग्निशमन विभाग का अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) बड़ा मुद्दा बना हुआ है। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से पहले वैट कर था, जिसके मामले अभी भी लंबित है। इसे लेकर व्यापारी एक एमनेस्टी स्कीम चाहते हैं। औद्योगिक इलाकों और बाजारों में सर्किल रेट की विसंगतिया बनी हुई है। कई बाजारों में स्थानीय दुकानदारों और रेहड़ी-पटरी वालों के बीच संघर्ष की स्थिति देखी जा रही है। वे इसपर भी एक स्पष्ट नीति चाहते हैं ताकि यह टकराव खत्म हो।
कोरोना से कारोबार काफी प्रभावित हुआ है, ऐसे में व्यापारी बजट में राहत की आस लगाए हुए हैं?
दो सालों से चले आ रहे कोरोना के दौर से व्यापारियों का काफी नुकसान हुआ है। बाजारें और दुकानें बंद रही है। ऐसे में सीटीआइ द्वारा मांगे गए सुझावों में व्यापारिक संगठनों ने कोरोना से प्रभावित व्यापार के लिए विशेष आर्थिक पैकेज की मांग रखी है। वे चाहते हैं कि व्यापारियों को आर्थिक मदद मिले। ताकि वे दोबारा कारोबार को फिर से खड़ा कर सके।
बजट से सीटीआइ को क्या उम्मीद है?
बजट से हमें काफी उम्मीदें है। हम इन सुझावों को सरकार को भेजेंगे। हमारी कोशिश होगी कि जल्द ही कारोबारी संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ दिल्ली के वित्तमंत्री मनीष सिसोदिया की बैठक हो, जिसमें व्यापारियों की ओर से उन्हें बजट का मसौदा सौंपा जाए। हम आशा करते हैं कि बजट में सरकार खुदरा व थोक के साथ हर तरह के व्यापारियों का पूरा ख्याल रखेगी।
सरकार के कामकाज को लेकर अभी तक के अनुभव कैसे हैं?
दिल्ली सरकार ने व्यापार के हित में कई कदम उठाए हैं। भयमुक्त, भ्रष्टाचार व इंस्पेक्टर राज से मुक्त माहौल दिया है। समय-समय पर व्यापारियों की मांगों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने कई महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं। कोरोना काल में जब ई-कामर्स से खुदरा व थोक कारोबार प्रभावित हुआ तो सरकार ने खुद पहल की। दिल्ली बाजार पोर्टल का विचार सामने रखा और उसपर तेजी से कदम बढ़ाए। उम्मीद है कि कुछ माह में यह पोर्टल भी बनकर तैयार हो जाएगा। इससे हर प्रकार के लाखों व्यापारियों इससे जुड़ सकेंगे तथा वैश्विक स्तर पर अपना कारोबार बढ़ा सकेंगे।