Interview: कोरोना काल में पुलिस का उत्साहवर्धन जरूरी, लोगों को अपराधमुक्त माहौल देंगेः CP
दिल्ली की कानून-व्यवस्था पूरी तरह नियंत्रण में है। सीएए व एनआरसी के विरोध में पिछले दिनों जो सांप्रदायिक दंगे हुए उसके बाद कई कठोर कदम उठाए गए।
By Mangal YadavEdited By: Updated: Mon, 27 Jul 2020 04:41 PM (IST)
नई दिल्ली। लॉकडाउन के दौरान दिल्ली पुलिस का मानवीय चेहरा सामने आया। पुलिस जहां खाना बांटने व लोगों की मदद करने में आगे दिखाई दी, वहीं अब कानून-व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए कई अहम कदम उठा रही है। इसे लेकर राकेश कुमार सिंह ने पुलिस आयुक्त एसएन श्रीवास्तव से विस्तृत बातचीत की। प्रस्तुत हैं इसके प्रमुख अंश:
दिल्ली में कानून-व्यवस्था की स्थिति को आप किस रूप में देखते हैं? सबसे बड़ी चुनौती क्या मानते हैं?दिल्ली की कानून-व्यवस्था पूरी तरह नियंत्रण में है। सीएए व एनआरसी के विरोध में पिछले दिनों जो सांप्रदायिक दंगे हुए, उसके बाद कई कठोर कदम उठाए गए। सभी समुदायों में सद्भावना बनी रहे, इस दिशा में भी कई कदम उठाए गए। मुझे पूरी उम्मीद है कि अब दिल्ली में शांति की स्थिति बनी रहेगी। पुलिस का काम हर नागरिक को सुरक्षा का माहौल देना है। हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती दिल्लीवासियों की कानून-व्यवस्था से संबंधित हर तरह की परेशानियों को समुचित तरीके से जल्द दूर करना है। लोगों की शिकायतों पर कैसे जल्द कार्रवाई हो, जिससे उन्हें राहत और संतुष्टि मिले इसके लिए इंटिग्रेटेड कंप्लेन मैनेजमेंट सिस्टम बनाया गया है। इस सिस्टम पर आला अधिकारियों की निगरानी रहेगी, ताकि सभी शिकायतों का जल्द समाधान हो सके।
पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठते हैं, लोग थानों में जाने से डरते हैं, ये स्थिति कब और कैसे सुधरेगी?पुलिस अपने व्यवहार व कार्य में काफी सुधार लाई है। लॉकडाउन के दौरान पुलिस का मानवीय चेहरा सामने आया। उसके प्रदर्शन की लोगों ने सराहना की, धन्यवाद दिया। इस तरह के पहलू को आगे भी बरकरार रखने की जरूरत है। लोगों को चाहिए कि वे पुलिस को सकारात्मक नजरिये से देखें व उनके बारे में भी सोचें, क्योंकि पुलिस बहुत ही विषम परिस्थितियों में उनकी सुरक्षा के लिए काम करती है। समय के साथ काफी बदलाव आया है, थानों में लोगों की शिकायत तुरंत सुनी जा रही है। दिल्ली पुलिस ने जैसे लॉकडाउन में लोगों का दिल जीता, वैसे ही अपने काम से भी दिल्लीवासियों का दिल जीतेगी।
सड़क पर होने वाले अपराध इन दिनों खासे बढ़े दिख रहे हैं, इन्हें नियंत्रित करने के लिए क्या योजना है?यह अंदेशा था कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद सड़क पर होने वाले अपराध में बढ़ोतरी होगी। इस वजह से हम लोगों ने समय से काम करना शुरू कर दिया था। फरवरी से पहले व पिछले साल दिल्ली में हर महीने 3500 से 5000 तक पीसीआर कॉल आती थीं। हालांकि इनमें कुछ कॉल झूठे व कुछ एक ही तरह के होते थे, लेकिन फिर भी सभी कॉल पर मुकदमा दर्ज नहीं हो पाता था।
मैंने सबसे पहले हर थाना पुलिस को निर्देश जारी किया कि सभी कॉल पर हर हाल में मुकदमा दर्ज हो और झपटमारों की गिरफ्तारी पर दबाव बनाया गया। जब रोज एक अभियान की तरह सभी थाना पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर बदमाशों को पकड़ना शुरू किया तो अपराध में स्वत: कमी आ गई। परिणाम यह सामने आया कि पीसीआर कॉल की संख्या जून में 2000 तक सीमित होकर रह गई। स्ट्रीट क्राइम पर अंकुश लगाने के लिए पिकेट के साथ ही बाइक पेट्रोलिंग, पीसीआर, प्रखर को लगा दिया गया। शहर में सट्टा, जुआ, शराब व ड्रग्स तस्करी की गतिविधियां भी अपराध को बढ़ावा देती हैं, इन पर अंकुश लगाने की कोशिश की गई। झपटमारी व चोरी के सामान खरीदने वालों को भी गिरफ्तार किया जा रहा है। इन सबसे अपराध पर नियंत्रण पाने में सफलता मिल रही है।
साइबर क्राइम भी इन दिनों चिंता का वजह बन रहा है, उसकी जांच में तकनीकी दक्षता पर क्या काम हो रहा है?लॉकडाउन के कारण मार्च में साइबर क्राइम नहीं बढ़ा। अप्रैल में कुछ बढ़ा, लेकिन फिर जून व जुलाई में ज्यादा बढ़ गया। कई सारी फेक शॉ¨पग साइट, ई कॉमर्स साइट और नौकरी दिलाने आदि के नाम पर ठगी की बात सामने आई। इसके लिए दिल्ली स्तर पर साइबर प्रिवेंशन अवेयरनेस एंड डिटेक्शन यूनिट (साइपैड) बेहतर काम कर रही है, जबकि प्रत्येक जिले व थाने में भी साइबर सेल की टीम तैनात है। इस व्यवस्था से समग्र रूप में साइबर अपराध पर चोट की जा रही है।
आपके आते ही दिल्ली में कोरोना की बड़ी चुनौती आ गई, इस दौरान पुलिस की छवि में बहुत सुधार हुआ। भविष्य में इस छवि को और बेहतर बनाए रखने के लिए क्या योजना है?पुलिस का उसके कार्य पर उत्साहवर्धन जरूरी है। अच्छा करने वाले कर्मियों का उत्साहवर्धन किया जा रहा है। इससे उनमें बेहतर करने के प्रति हौसला बढ़ता है। उन्हें अच्छा माहौल दिया जा रहा है। इसके लिए कई तरह के कदम उठाए गए हैं।
पुलिसकर्मियों को सीधे जनता के संपर्क में आना होता है, उन्हें कोरोना से प्रभावी तरीके से बचाने व बेहतर इलाज के लिए क्या किया जा रहा है?पुलिसकर्मियों को कोरोना के संक्रमण से बचाने के लिए तीन विशेष आयुक्त स्तर के अधिकारियों को अलग-अलग जिम्मेदारी सौंपी गई है। सभी 15 जिलों के डीसीपी व यूनिटों के डीसीपी उन्हें हर दिन रिपोर्ट दे रहे हैं। अस्पतालों में बेड आरक्षित कराए गए हैं। छह पुलिस वैन को कोरोना वाहन बना दिया गया है। नियमित तौर पर मैं खुद रिपोर्ट लेता हूं।
सड़क पर यातायात नियंत्रित करने के बजाय यातायात कर्मियों का ज्यादा जोर चालान काटने पर दिखाई देता है। इस पर आप क्या कहेंगे?कोशिश यह होनी चाहिए कि यातायात को लेकर किसी को दिक्कत न आए। सुबह व शाम यातायात कर्मियों को और अधिक सर्तकता बरतनी चाहिए, ताकि कम से कम समय में लोग अपने गंतव्य पर पहुंच सकें। यातायात नियंत्रित करने के बजाय चालान काटने में व्यस्त होना गैर जिम्मेदाराना हरकत है। अगर यातायात कर्मी ऐसा कर रहे हैं, तो उन पर कार्रवाई की जाएगी।
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