यहां पढ़िए- इस बार दिल्ली में Odd-Even को सफल बनाने में क्या है सबसे बड़ी चुनौती
दिल्ली में 10 हजार के करीब निजी बसें हैं मगर सभी कहीं न कहीं लगी हुई हैं। इसमें से 70 फीसद बसें स्कूलों में लगी हैं। ऐसे में बसों की उपलब्धता दिल्ली सरकार के मुश्किल चुनौती है।
By JP YadavEdited By: Updated: Mon, 21 Oct 2019 11:17 AM (IST)
नई दिल्ली [वीके शुक्ला]। Odd-Even scheme in Delhi: ऑड-इवेन के दौरान सीएनजी कारों पर प्रतिबंध लगाए जाने से लोगों को परेशानी न हो, इसके लिए दिल्ली सरकार अतिरिक्त 2 हजार प्राइवेट सीएनजी बसें चलाएगी। इसकी जिम्मेदारी दिल्ली परिवहन निगम (Delhi Transport Service) को दी गई है, मगर जमीनी हालात देख डीटीसी के हाथ पांव फूल रहे हैं। आखिर इतनी बसें कहां से आएंगी।
दिल्ली में 10 हजार के करीब निजी बसें हैं, मगर सभी कहीं न कहीं लगी हुई हैं। इसमें से 70 फीसद बसें स्कूलों में लगी हैं। 25 फीसद के करीब फैक्ट्रियों में लगी हैं। 5 फीसद के करीब बसें ही हैं जो मिल सकती हैं। प्राइवेट बस ऑपरेटर की मानें तो जो भी बसें जहां भी किराये पर लगी हैं उनके साथ अनुबंध है। ऐसे में कोई भी बस मालिक अपनी बस अनुबंध से हटाने के लिए तैयार नहीं है।2016 में जब पहली बार जनवरी में ऑड-इवेन लागू हुआ तो उस समय स्कूलों में छुट्टी करा दी गई थी। ऐसे में 12 सौ बसें मिल गई थीं। वहीं, जब दोबारा अप्रैल में ऑड-इवेन हुआ तो केवल 500 बसें ही मिल पाईं। एक और बात है कि उस समय सीएनजी से चलने वाली निजी कारों को छूट थी। दूसरी ओरं कुछ बस मालिक किराये के लिए सरकार द्वारा कम पैसे निर्धारित किए जाने की बात भी कह रहे हैं।
एसटीए ऑपरेटर्स एकता मंच के महासचिव श्याम लाल गोला कहते हैं कि बसों के मालिकों को मिलने वाला कम किराया होना एक मुद्दा तो है मगर इसकी वजह से कोई पीछे नहीं हट रहा है। वह कहते हैं कि ऑड-इवेन को सफल बनाने के लिए जमीनी हकीकत समझ लेना बहुत जरूरी है। बसें नहीं हैं, कैसे मिलेंगी। दिल्ली सरकार को दूसरे राज्यों में पंजीकृत सीएनजी बसों को भी ऑड-इवेन के दौरान सेवाएं देने की अनुमति देनी चाहिए।
दिल्ली कांट्रैक्ट बस एसोसिएशन के कार्यकारी अध्यक्ष गुरमीत सिंह कहते हैं कि बसों के लिए सरकार की ओर से निर्धारित दर बहुत कम है। मगर दिल्ली के नागरिक होने के नाते हम अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए इस अभियान में पूरा सहयोग करेंगे। जो बसें स्कूलों में लगी हैं उन्हें स्कूलों की छुट्टी के बाद दिया जा सकता है। अन्य बसें भी दी जाएंगी। अभी सरकार ने बातचीत के लिए नहीं बुलाया है। बैठक के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा कि सरकार हमसे किस तरह की मदद चाहती है।
सरकार की ओर से बसों के लिए निर्धारित दर
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- 40 सीटर नॉन एसी बस के लिए 49.42 रुपये प्रति किमी
- 30 सीटर नॉन-एसी बस के लिए 37.36 रुपये प्रति किमी
- 25 सीटर नॉन-एसी बस के लिए 32.54 रुपये प्रति किमी