Move to Jagran APP

Kisan Andolan: जानिये- क्यों 26 नवंबर होगा राकेश टिकैत के लिए अहम दिन

Kisan Andolan फिलहाल दिल्ली-हरियाणा और दिल्ली-यूपी बार्डर पर वैसी भीड़ नजर नहीं आ रही है जैसा संयुक्त किसान मोर्चा उम्मीद जता रहा है। हालांकि अभी 2 दिन समय है ऐसे में भीड़ बढ़ भी सकती है लेकिन इसकी संभावना कम ही है।

By Jp YadavEdited By: Updated: Wed, 24 Nov 2021 07:35 AM (IST)
Hero Image
Kisan Andolan: पढ़िये- आखिर कैसे 26 नवंबर तय करेगा किसान आंदोलन की दिशा
नई दिल्ली/सोनीपत/गाजियाबाद, आनलाइन डेस्क। नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को वापस लेने के ऐलान के बावजूद एमएसपी पर कानून बनाने समेत 6 मांगों को लेकर किसान प्रदर्शनकारी दिल्ली-एनसीआर के बार्डर पर डटे हुए हैं। इस बीच तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध प्रदर्शन यानी किसान आंदोलन के एक साल पूरा होने पर संयुक्त किसान मोर्चा आगामी 26 नवंबर को दिल्ली-एनसीआर के चारों बार्डर (शाहजहांपुर, टीकरी, सिंघु और गाजीपुर) पर बड़ी सभाएं करेगा। प्रदर्शन के अगले चरण में 29 नवंबर से संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने पर न 500 ट्रैक्टर से किसान संसद तक मार्च निकालेंगे।

वहीं, हैरानी की बात यह भी है कि फिलहाल दिल्ली-हरियाणा और दिल्ली-यूपी बार्डर पर वैसी भीड़ नजर नहीं आ रही है, जैसा संयुक्त किसान मोर्चा उम्मीद जता रहा है। हालांकि, अभी 2 दिन समय है, ऐसे में भीड़ बढ़ भी सकती है, लेकिन इसकी संभावना कम ही है। कहा यह भी जा रहा है कि तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने के नरेन्द्र मोदी सरकार के ऐलान के बाद ज्यादातर किसान आक्रामकता छोड़ने की बात कर रहे हैं, लेकिन यह बात कोई नहीं कर रहा है। अगर यह सच है तो 26 नवंबर को इसकी भी सच्चाई सामने आ जाएगी।

दिल्ली-एनसीआर के बार्डर पर बढ़ने लगी भीड़

संयुक्त किसान मोर्चा ने पिछले दिनों दिल्ली-एनसीआर के चारों बार्डर पर किसान प्रदर्शनकारियों की भीड़ बढ़ाने का एलान किया था। इसका असर भी देखने को मिल रहा है। टीकरी, शाहजहांपुर और सिंघु बार्डर पर किसान प्रदर्शनकारियों की संख्या में इजाफा हो रहा है। बढ़ती प्रदर्शनकारियों की संख्या के मद्देनजर शाहजहांपुर, टीकरी और सिंघु बार्डर पर उनके खाने-पीने और रहने का इंतजाम किया गया है। भीड़ बढ़ने पर कोई दिक्कत नहीं आए? इसकी भी तैयारी की गई है। इसके अलावा, संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान से दिल्ली के सभी मोर्चों पर भारी भीड़ जुटाई जाएगी। इस दौरानी यानी 26 नवंबर को किसानों की बड़ी सभाएं की जाएंगी।

राकेश टिकैत की मौजूदगी में बढ़ेगी किसान प्रदर्शनकारियों की भीड़

दिल्ली-उत्तर प्रदेश के गाजीपुर बार्डर पर किसान प्रदर्शनकारियों की अगुवाई करने वाले भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत वापस लौट चुके हैं। ऐसे में अगले 24-48 घंटे में गाजीपुर बार्डर पर किसान प्रदर्शकारियों की संख्या बढ़ेगी।

राकेश टिकैत पर रहेगी नजर

किसान प्रदर्शनकारियों की संख्या के लिहाज से दिल्ली-यूपी का गाजीपुर बार्डर लगातार फिसड्डी साबित होता रहा है। भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत और भाकियू अध्यक्ष नरेश टिकैत की मौजूदगी के बावजूद यहां पर किसानों की भीड़ नहीं जुट रहे हैं। स्थिति यह है कि टेंट खाली पड़े हैं और प्रदर्शनकारी नदारद हैं। ऐसे में 26 नवंबर को यूपी गेट पर भारी भीड़ जुटाने की चुनौती राकेश टिकैत की होगी।

ये हैं किसानों की प्रमुख मांगें

  • न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनाया जाए।
  • धरना प्रदर्शन के दौरान किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लिए जाएं।
  • बिजली से जुड़े मुद्दे दूर हों। किसानों की मांग है कि प्रस्तावित ‘विद्युत अधिनियम संशोधन विधेयक, 2020/2021’ का ड्राफ्ट केंद्र सरकार वापस ले।
  • राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और इससे जुड़े क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग अधिनियम, 2021’ में किसानों को सजा देने के प्रावधान हटाए जाए। बता दें कि केंद्र सरकार ने पहले ही कुछ किसान विरोधी प्रावधान तो हटा चुकी है, लेकिन सेक्शन 15 के जरिये फिर किसान को सजा की गुंजाइश बरकरार है।
  • लखीमपुर खीरी हत्याकांड मामले में सेक्शन 120B के अभियुक्त अजय मिश्रा टेनी को बर्खास्त और गिरफ्तार किया जाए।
  • पिछले एक साल से जारी आंदोलन के दौरान 700 से ज्यादा किसान शहादत दे चुके हैं। ऐसे में पीड़ित परिवारों के मुआवजे और पुनर्वास की व्यवस्था की जाए। इसके साथ ही शहीद किसानों स्मृति में एक शहीद स्मारक बनाने के लिए सिंधु बार्डर पर जमीन उपलब्द करवाई जाए।
जानिये- क्या है किसानों का प्रोग्राम

आगामी 26 नवंबर को किसान आंदोलन के एक साल पूरे होने पर किसान नेता अपनी जमीनी ताकत दिखाएंगे। आयोजन के तहत 26 नवंबर को पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान से दिल्ली के सभी मोर्चों पर भारी भीड़ जुटाई जाएगी। बड़ी सभाएं की जाएंगी।

29 को किसानों का संसद कूच

गौरतलब है कि दिल्ली में संसद का शीतकालीन सत्र आगामी 29 नवंबर से शुरू हो रहा है। ऐसे में किसान संगठनों ने फैसला लिया है कि 29 नवंबर से संसद के इस सत्र के अंत तक 500 चुने हुए किसान ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में हर दिन संसद जाएंगे। इसका मकसद केंद्र सरकार पर दबाव बढ़ाना है। साथ ही केंद्र सरकार को उन मांगों को मानने के लिए मजबूर करना है, जिसके लिए देश भर के किसान एक साल से संघर्ष कर रहे हैं। तीनों केंद्रीय कृषि कानून वापस लेने के अलावा भी किसान संगठनों की 6 और मांगें हैं।

ये भी पढ़ें- Kisan Andolan: जानिए भारतीय किसान यूनियन ने अब किसे कहा सरकार का एजेंट और किसानों का जयचंद

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।