चिकित्सा जगत में नया शोधः खराब होने पर दोबारा आएंगे असली दांत
थ्रीडी तकनीक से मरीज के मुंह के अंदर दांतों की बीमारियों का पता लगाने में आसानी होगी।
नई दिल्ली (जेएनएन)। चिकित्सा जगत में नित नए शोध हो रहे हैं। आने वाले दिनों में संभव है कि खराब दांत की जगह बनावटी दांत लगाने की जरूरत ही नहीं पड़े। एम्स के डेंटल सेंटर के प्रमुख डॉ. ओपी खरबंदा ने बताया कि लंदन के किंग्स कॉलेज में स्टेम सेल से असली दांत तैयार करने पर शोध हुआ है। इसके नतीजे उत्साहवर्धक हैं। स्टेम सेल से दांत दोबारा तैयार करने की काफी संभावनाएं हैं।
उन्होंने कहा कि एम्स के डेंटल सेंटर में देश का अत्याधुनिक शोध केंद्र बनाया जाएगा। इसमें स्टेम सेल रिजनरेटिव डेंटिस्ट्री का विभाग होगा। इससे स्टेम सेल से नए असली दांत तैयार करने की संभावनाओं पर शोध हो सकेगा।
विश्व मुख स्वास्थ्य दिवस पर एम्स में आयोजित कॉन्फ्रेंस के बाद डॉ. ओपी खरबंदा ने कहा कि केंद्र सरकार ने अत्याधुनिक शोध केंद्र बनाने के लिए स्वीकृति दे दी है। करीब 60 करोड़ रुपये की लागत से दो साल में यह बनकर तैयार होगा।
उन्होंने कहा कि दांतों के इलाज में इस्तेमाल होने वाले ज्यादा उपकरण (इंप्लांट) विदेश में तैयार किए जाते हैं। इसलिए उनकी कीमत अधिक होती है। ऐसे में यहां स्वदेशी उपकरणों को तैयार करने पर जोर दिया जाएगा। इसके अलावा डिजिटल डेंटिस्ट्री की सुविधा होगी।
इससे थ्रीडी तकनीक से मरीज के मुंह के अंदर दांतों की बीमारियों का पता लगाने में आसानी होगी। डॉक्टरों के अनुसार बनावटी दांत लगने के बाद मरीजों को फायदा तो होता है पर उसके रखरखाव व साफ-सफाई का विशेष ध्यान देना पड़ता है। क्योंकि उसमें संक्रमण होने का खतरा अधिक रहता है। इसलिए स्टेम सेल से दांतों को तैयार करने का शोध कारगर हुआ तो दांतों के मरीजों को इससे बहुत फायदा होगा।