Reasi Terror Attack: खून से लथपथ शरीर, कटे हाथ लटके हुए... बस में छिपा रहा दिल्ली का परिवार, आतंकी बरसा रहे थे गोलियां
तुगलकाबाद एक्सटेंशन में किराए के फ्लैट में रहने वाले भवानी शंकर और उनकी पत्नी के साथ मासूम बेटे-बेटी के लिए आधे घंटे भयावह थे। खाई में गिरी बस में हर ओर खौफ का मंजर था। किसी के हाथ कटकर झूल रहे थे तो किसी के सिर से खून के फव्वारे निकल रहे थे। खुद भवानी शंकर के साथ परिवार के सभी सदस्य चोटिल थे।
नेमिष हेमंत, नई दिल्ली। तुगलकाबाद एक्सटेंशन में किराए के फ्लैट में रहने वाले भवानी शंकर और उनकी पत्नी के साथ मासूम बेटे-बेटी के लिए आधे घंटे भयावह थे। खाई में गिरी बस में हर ओर खौफ का मंजर था। किसी के हाथ कटकर झूल रहे थे तो किसी के सिर से खून के फव्वारे निकल रहे थे।
खुद भवानी शंकर के साथ परिवार के सभी सदस्य चोटिल थे, लेकिन डर चोट का नहीं मौत का था। क्योंकि, कहीं से भी गोली आकर उन सबको भेद सकती थी। उस समय भी भवानी पूरे होश में रहे और पूरी घटनाक्रम उनके आंखों के सामने ताजा है।
रियासी के अस्पताल में चल रहा इलाज
उनके साथ बच्चों का अभी जम्मू के रियासी के अस्पताल में इलाज चल रहा है। भवानी सिंह को पीठ, पत्नी राधा को सिर व पैर व पांच वर्षीय बेटी को सिर में चोट लगी है, जबकि तीन वर्षीय बेटे का हाथ टूट गया है। बेटी दीक्षा कक्षा एक की छात्रा है। जबकि बेटा राघव तीन वर्ष का है। पत्नी को गंभीर स्थिति के चलते कटरा के अस्पताल में भर्ती कराया गया है।यूपी के हैं रहने वाले
भवानी सिंह मूल रूप से राजस्थान के जयपुर तथा पत्नी उत्तर प्रदेश के हरदोई के बड़े गांव निवासी हैं। वह 2016 में जीविकोपार्जन के लिए दिल्ली आए थे और यहां इंडियन ऑयल के एक अधिकारी के निजी चालक हैं। वैष्णों देवी की यह उनकी पहली यात्रा थी।
वैष्णों माता के दर्शन करके लौटे रहे थे
फोन पर उन्होंने बताया कि पत्नी कई वर्षों से माता वैष्णों के दर्शन के लिए कह रही थी। ऐसे में छह जून को वह यहां से दर्शन के लिए बच्चों के साथ निकले। सात को वहां पहुंच गए तथा माता के दर्शन के पश्चात वह शिवखोड़ी गए। वहां से दर्शन के पश्चात बस से वापस जम्मू लौट रहे थे। उनके परिवार के साथ सभी यात्री सभी खुश थे और वैष्णों देवी के जयकारे लगा रहे थे कि तभी बस पर आतंकियों ने हमला कर दिया।वह याद करते हुए बताते हैं कि मुश्किल से 10 से 15 सेकेंड ही गोलियां चली होंगी, लेकिन चालक को गोली लगने के बाद बस खाई में पलट गई। चार बार पलटी खाने के बाद बस रूक गई तब भी ऊपर से आतंकी गोलियां बरसाते रहे।इसलिए, वे लोग खून से लथपथ होने के बावजूद बस में दुबके रहे। बस के अंदर दर्द से और अपने लोगों को खाेने से चिखते लोगों तथा हर तरफ खून का मंजर था। वह कहते हैं कि उस समय तो यहीं लग रहा था कि आतंकी आएंगे और बचे लोगों को भी निशाना बना देंगे। करीब आधे घंटे बाद वह लाेग बाहर निकले और मदद के लिए आवाज लगाई। तब तक ऊपर सड़क पर कुछ लोग जमा हो गए थे। जो मदद के लिए आए, लेकिन उनसे भी डर लग रहा था कि वह कहीं आतंकी ही न हो।
वह बताते हैं कि सोमवार को ही दिल्ली के लिए उनकी ट्रेन थी। उन्हें कुछ दिन में छूट्टी मिल जाएगी तब आएंगे। इस बीच, उनके जानने वालों तथा घर से उनके कुशलक्षेम को लेकर फोन आ रहे हैं।
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