डेथ वारंट जारी होने से पहले आतंकी पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, तिहाड़ के फांसी घर में शुरू हुई थी हलचल
लाल किला हमले के दोषी आतंकी मोहम्मद आरिफ की फांसी पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार है। आतंकी मोहम्मद आरिफ के वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में एक क्यूरेटिव यायिका (उपचारात्मक याचिका) दायर की है। अब ट्रायल कोर्ट से डेथ वारंट जारी करने पर रोक लग गई है। जेल प्रशासन ने आरिफ की सुरक्षा बढ़ा दी है। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर जेल प्रशासन की नजर टिकी हुई है।
गौतम कुमार मिश्रा, पश्चिमी दिल्ली। जेल संख्या-3 में बने तिहाड़ के फांसी घर में कुछ दिन पहले तब हलचल शुरू हुई, जब जेल प्रशासन ने लाल किला हमले के दोषी आतंकी मोहम्मद आरिफ उर्फ अशफाक की फांसी के लिए ट्रायल कोर्ट का रुख किया।
दायर की क्यूरेटिव यायिका
22 जून को जेल प्रशासन ने डेथ वारंट के लिए ट्रायल कोर्ट का जैसे ही रुख किया आतंकी मोहम्मद आरिफ के वकील सक्रिय हो गए। इससे पहले कि ट्रायल कोर्ट डेथ वारंट जारी करता, आतंकी आरिफ के वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में एक क्यूरेटिव यायिका (उपचारात्मक याचिका) दायर कर दी।
शीर्ष अदालत के निर्णय पर टिकी नजर
जिसके बाद ट्रायल कोर्ट ने 12 अगस्त को सुनवाई के दौरान कहा कि जब तक सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में निर्णय नहीं होता, डेथ वारंट को लेकर फैसला नहीं लिया जाएगा। अब जेल प्रशासन की निगाह शीर्ष अदालत के निर्णय पर टिकी हैं।इस बीच जेल में आतंकी आरिफ की सुरक्षा को लेकर जेल परिसर में विशेष सतर्कता बरती जा रही है। डेथ वारंट को लेकर जब जेल प्रशासन ने ट्रायल कोर्ट का रुख किया था, तब आरिफ को कड़ी सुरक्षा में अन्य कैदियों से अलग रखा गया था।
निर्भया मामले के दोषियों को फांसी पर लटकाए जाने के बाद यह पहला मौका था, जब फांसी घर में थोड़ी हलचल शुरू हुई थी। फांसी घर की साफ सफाई भी उस समय कराई गई। अब सभी शीर्ष अदालत के निर्णय की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
लाल किला हमले के दोषी है आतंकी
बता दें कि 22 दिसंबर 2000 को लाल किला परिसर में तैनात 7वीं राजपूताना राइफल्स की इकाई पर पाकिस्तानी नागरिक और प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा के सदस्य आतंकवादी मोहम्मद आरिफ ने गोलीबारी की थी। जिसमें तीन सैन्यकर्मी बलिदान हो गए थे।
इस मामले में चार दिन बाद दिल्ली पुलिस ने आतंकी मोहम्मद आरिफ को गिरफ्तार कर लिया था। कोई भी कैदी क्यूरेटिव याचिका तब दाखिल कर सकता है, जब राष्ट्रपति के पास भेजी गई दया याचिका और सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी जाती है।ऐसे में क्यूरेटिव याचिका दोषी के पास अंतिम मौका होता है, जिसके द्वारा वह अपने लिए निर्धारित की गई सजा में नरमी की गुहार लगा सकता है। क्यूरेटिव याचिका किसी भी मामले में कोर्ट में सुनवाई का अंतिम चरण होता है। इसमें फैसला आने के बाद दोषी किसी भी प्रकार की कानूनी सहायता नहीं ले सकता है।
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