दिल्ली-NCR के हॉस्पिटल्स के लिए रेफरल नीति लागू, मरीज को स्थानांतरित करने से पहले दूसरे अस्पताल से करनी होगी बात
सफदरजंग अस्पताल के एक वरिष्ठ डॉक्टर ने बताया पहली बार एनसीआर के अस्पतालों के बीच रेफरल नीति तैयार कर निर्देश जारी हुआ है। यदि इस रेफरल नीति का ठीक से पालन हुआ तो गंभीर मरीज इलाज के लिए एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल में भटकने को मजबूर नहीं होंगे। नीति के अनुसार मेडिकल कॉलेज से जुड़े बड़े अस्पताल किसी मरीज को दूसरे अस्पताल में स्थानांतरित नहीं कर सकते हैं।
रणविजय सिंह, नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के सरकारी अस्पतालों के बीच बेहतर तालमेल और मरीजों की सुविधा के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (डीजीएचएस) ने एक रेफरल नीति तैयार कर जारी किया है। इसके तहत अब किसी अस्पताल के डॉक्टर किसी गंभीर मरीज को ऐसे ही दूसरे अस्पताल में स्थानांतरित कर उसे अपने हाल पर नहीं छोड़ सकते। पहले डॉक्टरों को दूसरे अस्पताल के नोडल अधिकारी से बात करनी होगी। बेड की उपलब्धता होने पर ही दूसरे अस्पताल में मरीज को डॉक्टर स्थानांतरित कर सकेंगे।
सफदरजंग अस्पताल के एक वरिष्ठ डॉक्टर ने बताया पहली बार एनसीआर के अस्पतालों के बीच रेफरल सिस्टम की नीति तैयार कर दिशा निर्देश जारी हुआ है। यदि इस रेफरल नीति का ठीक से पालन हुआ तो गंभीर मरीज इलाज के लिए एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल में भटकने को मजबूर नहीं होंगे। इस रेफरल नीति के अनुसार मेडिकल कॉलेज से जुड़े बड़े अस्पताल (तृतीय श्रेणी के अस्पताल) किसी मरीज को दूसरे अस्पताल में स्थानांतरित नहीं कर सकते हैं। ऐसे अस्पताल मरीज को तभी स्थानांतरित करेंगे जब उस अस्पताल में संबंधित बीमारी के इलाज की सुविधा नहीं होगी।
पहले मरीज को प्राथमिक उपचार देना होगा
स्थानांतरित करने से पहले अस्पताल के नोडल अधिकारी या विभागाध्यक्ष को स्थानांतरित किए जाने वाले अस्पताल के नोडल अधिकारी या विभागाध्यक्ष से बात करनी होगी। जिला स्तर के मल्टी स्पेशियलिटी अस्पताल अपनी क्षमता व दक्षता के अनुसार लिंक अस्पताल में ही मरीज को करेंगे। स्थानांतरित करने से पहले लिंक अस्पताल से बातचीत करनी होगी। अस्पताल में पहुंचे गंभीर मरीज को पहले रिससिटेशन व प्राथमिक उपचार देकर मरीज की हालत स्थिर करनी होगी। इसके बाद ही बेहतर उपचार के लिए कैट्स एंबुलेंस या अस्पताल के एंबुलेंस के जरिये दूसरे अस्पताल में सुरक्षित स्थानांतरित किया जा सकता है।
मरीज को भर्ती करने से मना किया तो करें शिकायत
सूचना देकर स्थानांतरित करने के बाद यदि दूसरा अस्पताल मरीज को भर्ती लेने व इलाज से मना करता है तो एंबुलेंस के कर्मचारी या रेफर करने वाला अस्पताल संबंधित अस्पताल के नोडल अधिकारी से इसकी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। एक रजिस्टर में स्थानांतरित मरीजों का पूरा ब्योरा रखना होगा। यदि किसी मरीज की हालत स्थिर किए बगैर स्थानांतरित किया जाता है तो उसकी सूचना केंद्रीय वाट्सएप ग्रुप पर देनी होगी। मरीज को एक अस्पताल से रेफर करने और दूसरे अस्पताल में भर्ती लेने के लिए मानक फार्म का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। जिस पर रेफर करने वाले डॉक्टर व भर्ती लेने वाले डॉक्टर का हस्ताक्षर व मोहर होना जरूरी है।
असाध्य बीमारी से पीड़ित मरीज नहीं होंगे रेफर
कोई अस्पताल ब्रेन डेड व असाध्य रूप से बीमारी से पीड़ित ऐसे मरीज को स्थानांतरित नहीं कर सकते जिसका बच पाना संभव न हो। ऐसा तभी होना चाहिए जब परिवार ब्रेन डेड मरीज का अंगदान करना चाहते हों। यदि किसी मरीज को कोई विशेष जांच या परामर्श के लिए दूसरे अस्पताल में स्थानांतरित किया जाता है तो जांच व परामर्श के बाद उसे दोबारा उसी अस्पताल में वापस भर्ती कराया जाएगा।
कोरोना की तर्ज पर देनी होगी ऑनलाइन जानकारी
कोराना की तर्ज पर अस्पतालों में भर्ती मरीजों की संख्या, बेड उपलब्धता, आईसीयू, नियोनेटल आईसीयू, पीडियाट्रिक आइसीयू व लेबर रूप में बेड उपलब्धता की जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध होनी चाहिए। इसे प्रतिदिन दो बार सुबह 11 बजे व शाम को छह बजे अपडेट करना होगा।
रेफर नीति में कहा गया है कि हर तीन महीने पर मरीजों को स्थानांतरित करने की इस नीति की समीक्षा होगी ताकि व्यवस्था में यदि कोई खामी पाई जाती है तो उसे दूर किया जा सके। डॉक्टर बताते हैं कि अभी दिल्ली व एनसीआर के शहरों से सफदरजंग, आरएमएल, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज के कलावती सरन अस्पताल व एम्स में बिना अस्पताल से संपर्क किए मरीज रेफर कर दिए जाते हैं, जो बेड के अभाव में इलाज के लिए भटकते रहते हैं। इस वजह से मरीजों को इलाज में परेशानी होती है।
एम्स करेगा मदद
एम्स इस रेफरल नीति को लागू करने और दूसरे अस्पतालों के दक्षता के विकास में मदद करेगा। ताकि गंभीर मरीजों के इलाज की व्यवस्था बेहतर हो सके। रेफरल नीति में एक अहम सुझाव यह दिया गया है कि अस्पतालों में इस्तेमाल से अधिक एंबुलेंस होने पर अतिरिक्त एंबुलेंस को कैट्स एंबुलेंस सेवा के हवाले किया जा सकता है। इससे एंबुलेंस का नेटवर्क बेहतर होगा।