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कल्याण कोष में पांच-पांच लाख देकर मिली एफआइआर से मुक्ति

राहत पाने के लिए इस शख्स को प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री राहत कोष समेत दो अन्य कल्याण कोष में धनराशि जमा करने होगी। इससे पहले सहमति बनने पर चाराें आरोपितों ने एफआइआर रद करने के लिए याचिका दी थी।

By JP YadavEdited By: Updated: Mon, 21 Sep 2020 03:21 PM (IST)
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यह दिल्ली हाई कोर्ट की प्रतीकात्मक तस्वीर है।
नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। धोखाधड़ी, फर्जीवाड़ा और अमानत में खयानत के मामले में कल्याण कोष में पांच-पांच लाख रुपये देकर चार आरोपितों को दिल्ली हाई कोर्ट से राहत मिल गई। अदालत का बहुमूल्य समय बर्बाद करने पर भारी जुर्माना लगाने की अतिरिक्त लोक अभियोजक (एपीपी) हिरेन शर्मा की दलील को पीठ ने स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत की पीठ ने चारों आरोपितों को दो सप्ताह के अंदर कुल 20 लाख रुपये का जुर्माना जमा करने का आदेश दिया। पीठ ने कहा कि आरोपितों के अधिवक्ता ने जुर्माना धनराशि जमा करने पर सहमत हैं, ऐसे में वर्ष 2017 में दर्ज की गई प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआइआर) को रद किया जाता है।

एफआइआर रद करने को लेकर दायर याचिका पर अतिरिक्त लोक अभियोजक (एपीपी) हिरेन शर्मा ने दलील दी कि वर्ष 2017 में एफआइआर दर्ज होने के बाद मामले की जांच से लेकर अदालती कार्रवाई में सार्वजनिक हित का बहुमूल्य समय लगा। ऐसे में याचिकाकर्ताओं पर भारी जुर्माना लगाते हुए एफआइआर रद की जाए, ताकि भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति न हो।

पीठ ने एपीपी की दलील पर खजूरी खास गली नंबर-9 निवासी याचिकाकर्ता जय प्रकाश तिवारी को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष में पांच लाख रुपये और नांगलोई पश्चिम विहार आरजेड-32 निवासी याची बृजेश कुमार को मुख्यमंत्री राहत कोष दिल्ली में पांच लाख रुपये जमा करने का निर्देश दिया। वहीं, हरियाणा सोनीपत के मोहल्ला जटवारा निवासी याची जोगिंदर शर्मा को पांच लाख रुपये बार काउंसिल ऑफ दिल्ली के अधिवक्ता कल्याण कोष और बंगाली कॉलोनी संत नगर बुराड़ी निवासी जय प्रकाश राय को पांच लाख रुपये महिला एवं बच्चों के कल्याण के लिए जेल रोड स्थित निर्मल छाया कॉप्लेक्स में दो सप्ताह के अंदर जमा करने का निर्देश दिया।

यह है मामला

याचिका के अनुसार नीलम भसीन फास्ट मूविंग कन्ज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी) की नामचीन कंपनी की वर्ष 2016 में डिस्ट्रीब्यूटर बनी थीं और उनके पति अनिल भसीन उनका व्यापार देखते थे। नीलम का आरोप है कि कंपनी ने उनसे वादा किया था कि वे व्यापार बढ़ाने में मदद करेंगे, लेकिन इसमें मदद तो नहीं की, उल्टा उन्हें नकली सामान दे दिया। इससे उन्हें भारी नुकसान हुआ।

उन्होंने जुलाई 2017 में कंपनी निदेशक समेत चारों याचिकाकर्ताओं के खिलाफ आदर्श नगर थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा-406 (अमानत में खयानत) की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। मामले में पुलिस ने चारों याचिकाकताओं को आरोपित बनाते हुए वर्ष 2018 में आरोप पत्र दाखिल किया था। कोरोना महामारी से बिगड़ी स्थिति को देखते हुए दोनों पक्षाें ने आपस में मामला सुलझाकर एफआइआर रद करने की हाई कोर्ट में याचिका दायर की। 

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