उत्तर भारत के 50 से अधिक शहरों में वायु प्रदूषण की स्थिति खराब, यूपी का गाजियाबाद सर्वाधिक प्रदूषित शहर
National Clean Air Program सेंटर फार साइंस एंड एन्वायरमेंट (एनसीएपी) के एक विश्लेषण में यह बात सामने आई है कि एनसीएपी में शामिल एवं इसके बाहर के शहरों में पीएम 2.5 के रुझान में ज्यादा अंतर नहीं है।
By Jp YadavEdited By: Updated: Wed, 07 Sep 2022 08:29 AM (IST)
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। सेंटर फार साइंस एंड एन्वायरमेंट (एनसीएपी) ने एक विश्लेषण कर बताया है कि राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) में शामिल शहरों की वायु गुणवत्ता में भी कोई खास सुधार नहीं देखा गया है। सीएसई के मुताबिक एनसीएपी के तहत आने वाले शहरों और इसके दायरे से बाहर के शहरों के बीच समग्र पीएम2.5 रुझानों में बमुश्किल ही कोई अंतर है। जहां दिल्ली की स्थिति में कुछ खास सुधार नहीं है, तो उत्तर प्रदेश का गाजियाबाद शहर सर्वाधिक प्रदूषित शहरों की सूची में है।
गौरतलब है कि एनसीएपी राष्ट्रीय स्तर का अभियान है जिसका लक्ष्य 2024 तक पीएम 2.5 और पीएम 10 के स्तर में में 20 से 30 प्रतिशत की कमी करना है। इसमें तुलना के लिए आधार वर्ष 2017 है और इस कार्यक्रम में 132 शहर शामिल हैं जो निर्धारित वायु गुणवत्ता मानकों को पूरा नहीं करते। सीएसई ने शहरों में पीएम 2.5 के स्तर का विश्लेषण किया जिसके लिए एनसीएपी और गैर-एनसीएपी शहरों में प्रवृत्ति को समझने के लिए डेटा उपलब्ध है।
14 शहरों में पीएम 2.5 स्तर में 10 प्रतिशत का इजाफा
लाकडाउन चरणों के कारण लगभग सभी शहरों में 2020 में गिरावट दर्ज की गई और उसके बाद 2021 में वृद्धि दर्ज की गई। सीएसई ने कहा कि 2019 और 2021 के बीच तुलना से पता चलता है कि 43 शहरों में से केवल 14 ने अपने पीएम 2.5 स्तर में 10 प्रतिशत या उससे अधिक की कमी दर्ज की है। सात शहर नगण्य (5 प्रतिशत से कम) सुधार दिखाते हैं। इनमें दिल्ली और गाजियाबाद शामिल हैं।
पंजाब समेत कई राज्यों के शहरों में पीएम 2.5 के स्तर में वृद्धि
सोलह शहरों ने अपने पीएम 2.5 स्तर में उल्लेखनीय वृद्धि (5 प्रतिशत या अधिक) दर्ज की है। खन्ना, जयपुर और उदयपुर में 2021 का वार्षिक मूल्य 2019 के वार्षिक मूल्य की तुलना में 20 प्रतिशत से अधिक बढ़ गया। पंजाब, राजस्थान और महाराष्ट्र के शहर उन शहरों की सूची में हावी हैं, जहां 2019 और 2021 के बीच पीएम 2.5 के स्तर में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है।
15 शहरों में पीएम 2.5 के स्तर में गिरावट ऐसे 46 शहर हैं जो एनसीएपी के दायरे में नहीं हैं, लेकिन 2019 और 2021 दोनों के लिए पर्याप्त रीयल-टाइम डेटा है। सीएसई ने कहा कि इस समूह में, 15 शहरों ने 2019 और 2021 के बीच वार्षिक पीएम 2.5 के स्तर में काफी गिरावट दर्ज की है। गुजरात में अंकलेश्वर वार्षिक पीएम 2.5 मूल्य में 34 प्रतिशत की वृद्धि के साथ सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला है।
21 शहरों में हुआ महत्वपूर्ण सुधार इसके बाद सतना (मध्य प्रदेश), वटवा (गुजरात), बहादुरगढ़ (हरियाणा) और भटिंडा (पंजाब) हैं, जिनमें से सभी ने 20 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की है। दस शहरों ने अपने वार्षिक मूल्यों में नगण्य परिवर्तन (5 प्रतिशत से कम) दर्ज किया; 21 ने महत्वपूर्ण सुधार दर्ज किया, 2019 और 2021 के बीच 5 प्रतिशत या उससे अधिक की गिरावट के साथ।
हरियाणा के पलवल में अच्छा प्रदर्शन 2019 और 2020 के बीच वायु प्रदूषण के स्तर में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज करने वाले गैर-एनसीएपी शहरों की सूची में हरियाणा, मध्य प्रदेश और गुजरात के शहर हावी हैं। दक्षिणी हरियाणा में पलवल अपने वार्षिक पीएम 2.5 स्तर में 60 प्रतिशत सुधार के साथ गैर-एनसीएपी शहरों में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला है। एनसीआर के भीतर के शहर सुधार दिखाते हैं, जबकि बाहर के शहर बिगड़ते स्तर का संकेत देते हैं।
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