Republic Day Parade: गणतंत्र दिवस परेड से जुड़े कुछ रोचक तथ्य, इसके लिए सैनिक करते हैं सैकड़ों घंटे प्रयास
Republic Day 2023 भारत देश इस 26 जनवरी 2023 को अपना 74वां गणतंत्र दिवस मनाने जा रहा है। गणतंत्र दिवस इसी दिन 1950 को संविधान लागू होने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। कर्तव्य पथ पर परेड की तैयारी भी की जा रही है।
By GeetarjunEdited By: GeetarjunUpdated: Mon, 23 Jan 2023 05:39 PM (IST)
नई दिल्ली, जागरण डिजिटल डेस्क। भारत देश इस 26 जनवरी, 2023 को अपना 74वां गणतंत्र दिवस मनाने जा रहा है। गणतंत्र दिवस इसी दिन 1950 को संविधान लागू होने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। कर्तव्य पथ पर परेड की तैयारी भी की जा रही है। बता दें कि पीएम मोदी ने पिछले साल सितंबर में राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ रख दिया था। यह पहला मौका है जब यहां गणतंत्र दिवस की परेड होगी।
गणतंत्र दिवस की परेड में देश के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति समेत आम और खास लोग शामिल होते हैं। साथ ही अन्य राष्ट्रों से अतिथियों को आमंत्रित किया जाता है। केंद्र सरकार किसी देश के राष्ट्राध्यक्ष को भी आमंत्रित करती है। भारत के इस शौर्य और पराक्रम के पल का साक्षी बनने के लिए प्रत्येक वर्ष राजपथ से लेकर लाल किले तक लाखों लोगों की भीड़ जुटती है।
आइए हम आपको बताते हैं गणतंत्र दिवस और परेड से जुड़े कुछ रोचक तथ्य, जो शायद आपको पता नहीं होंगे।-
- 26 जनवरी पर गणतंत्र दिवस परेड की शुरूआत 1950 में आजाद भारत का संविधान लागू होने के साथ हुई थी। वर्ष 1950 से 1954 तक गणतंत्र दिवस की परेड राजपथ पर न होकर, चार अलग-अलग जगहों पर हुई थीं। 1950 से 1954 तक गणतंत्र दिवस परेड का आयोजन क्रमशः इरविन स्टेडियम (नेशनल स्टेडियम), किंग्सवे, लाल किला और रामलीला मैदान में हुआ था।
- गणतंत्र दिवस समारोह की शुरूआत राष्ट्रपति के काफिले के आगमन के साथ होती है। राष्ट्रपति अपनी विशेष कार से आते हैं, इनके आसपास स्पेशल घुड़सवार अंगरक्षक चलते हैं।
- राष्ट्रपति द्वारा ध्वाजारोहण के समय उनके विशेष घुड़सवार अंगरक्षक समेत वहां मौजूद सभी लोग सावधान की मुद्रा में खड़े होकर तिरंगे को सलामी देते हैं। फिर राष्ट्रगान की शुरूआत होती है।
- राष्ट्रगान के दौरान 21 तोपों की सलामी दी जाती है। यह सलामी राष्ट्रगान के शुरूआत से 52 सेकेंड तक होती है।
- 21 तोपों की सलामी वास्तव में भारतीय सेना की 7 तोपों द्वारा दी जाती है, जिन्हें पौन्डर्स कहा जाता है। प्रत्येक तोप से तीन राउंड फायरिंग होती है। ये तोपें 1941 में बनी थीं और सेना के सभी औपचारिक कार्यक्रमों में इन्हें शामिल करने की परंपरा है।
- 1955 से गणतंत्र दिवस परेड का आयोजन राजपथ पर शुरू किया गया। तब राजपथ को ‘किंग्सवे’ के नाम से जाना जाता था। तभी से राजपथ (अब कर्तव्य पथ) ही इस आयोजन की स्थाई जगह बन चुका है।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 सितंबर, 2022 को कर्तव्य पथ (Kartavya Path) का उद्घाटन किया था। इंडिया गेट से लेकर राष्ट्रपति भवन को सेंट्रल विस्टा एवेन्यू (Central Vista Avenue) कहते हैं, इसे राजपथ (Rajpath) भा कहा जाता था। इसका अब नाम बदलकर कर्तव्य पथ हो गया है। कर्तव्य पथ की कुल लंबाई तीन किमी से ज्यादा है।
- गणतंत्र दिवस समारोह में हर साल किसी न किसी देश के प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति या शासक को विशेष अतिथि के तौर पर सरकार द्वारा आमंत्रित किया जाता है। 26 जनवरी 1950 को पहले गणतंत्र दिवस समारोह में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति डॉ. सुकर्णो विशेष अतिथि बने थे।
- 26 जनवरी 1955 में राजपथ पर आयोजित पहले गणतंत्र दिवस समारोह में पाकिस्तान के गवर्नर जनरल मलिक गुलाम मोहम्मद विशेष अतिथि बने थे।
- गणतंत्र दिवस की परेड ध्वजारोहण के बाद शुरू हो जाती है। लेकिन सभी सैनिक और परेड में शामिल होने वाले तड़के तीन-चार बजे ही कर्तव्य पथ पर पहुंच जाएंगे। परेड में शामिल होने के लिए सभी दल सैकड़ों घंटे तक अभ्यास कर चुके होते हैं। जिसकी तैयारी कई महीने पहले शुरू हो जाती है।
- सर्वश्रेष्ठ परेड की ट्रॉफी देने के लिए पूरे रास्ते में कई जगहों पर जजों को बिठाया जाता है। ये जज प्रत्येक दल को 200 मापदंडों पर नंबर देते हैं। इसके आधार पर सर्वश्रेष्ठ मार्चिंग दल का चुनाव होता है। किसी भी दल के लिए इस ट्रॉफी को जीतना बड़े गौरव की बात होती है।
- परेड में शामिल सभी झांकियां 5 किमी प्रति घंटा की नीयत रफ्तार से चलती हैं, ताकि उनके बीच उचित दूरी बनी रहे और लोग आसानी से उन्हें देख सकें। इन झांकियों के चालक एक छोटी से खिड़की से ही आगे का रास्ता देखते हैं, क्योंकि सामने का लगभग पूरा शीशा सजावट से ढका रहता है।
- गणतंत्र दिवस 2023 की परेड में इस साल 23 झांकियां शामिल होंगी। 23 जनवरी को फुल परेड रिहर्सल में सभी झांकियों ने हिस्सा लिया था। सभी झांकियों को अलग-अलग थीम पर सजाया गया है। 23 में से 17 झांकियां विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की होंगी जबकि छह विभिन्न सरकारी मंत्रालयों और विभागों की होंगी। हिमाचल प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, राजस्थान दिल्ली इत्यादि राज्यों की झांकी अबकी बार परेड में नहीं होगी।
- गणतंत्र दिवस आयोजन की जिम्मेदारी रक्षा मंत्रालय की होती है। आयोजन में लगभग 70 अन्य विभाग व संगठन रक्षा मंत्रालय की मदद करते हैं। परेड के सुचारू संचालन के लिए सेना के हजारों जवान समेत अलग-अलग विभागों के भी काफी संख्या में लोग लगाए जाते हैं।