IIT Delhi: कैंसर की कोशिकाओं को ढूंढ़ने में मील का पत्थर बनेगा अमीनो फुल्विन, आईआईटी दिल्ली में किया गया शोध
शरीर में पनप रहीं कैंसर कोशिकाओं को ढूंढ़ने में मदद करने के लिए आइआइटी दिल्ली के रसायन विभाग ने अमीनो फुल्विन मालिक्यूल की खोज की है। इसकी मदद से कैंसर की कोशिकाएं शरीर के कौन से हिस्से में किस स्तर तक फैली हैं। इसका सटीक अनुमान लगाया जा सकता है। शोध को नेचर जर्नल ने प्रकाशित भी किया है। और इसके पेटेंट की प्रक्रिया भी पूरी हो चुकी है।
उदय जगताप, नई दिल्ली। शरीर में पनप रहीं कैंसर कोशिकाओं को ढूंढ़ने में मदद करने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) दिल्ली के रसायन विभाग ने अमीनो फुल्विन मालिक्यूल की खोज की है।
इसकी मदद से कैंसर की कोशिकाएं शरीर के कौन से हिस्से में किस स्तर तक फैली हैं। इसका सटीक अनुमान लगाया जा सकता है। शोध को नेचर जर्नल ने प्रकाशित भी किया है। और इसके पेटेंट की प्रक्रिया भी पूरी हो चुकी है।
आइआइटी की ही लैब में किया गया शोध
आइआइटी दिल्ली के रसायन विभाग के प्रोफेसर और प्रमुख शोधकर्ता प्रो. रवि पी सिंह के अनुसार अमीनो फुल्विन छोटे अणुओं का समूह है। इसे प्राप्त करने के लिए एक कार्बनिक उत्प्रेरक को बनाने के लिए सामान्य तौर पर मिलने वाले अमीनो एसिड की प्रकृति में बदलाव किए गए हैं।इसमें किसी तरह के विषैले पदार्थ, अपाकृतिक धातु या उत्प्रेरकों का उपयेाग नहीं किया गया है। इसे एक स्टेप में ही बनाया गया है। आमतौर पर इसको बनाने में विषैली धातुओं का उपयोग होता है। लेकिन, यह पूरी तरह से आर्गेनिक है। आइआइटी की ही लैब में तैयार किए गए इस शोध को एक वर्ष की अवधि में तैयार किया गया है। क्लीनिकल ट्रायल अभी शेष है।
आर्गेनिक तरीके की खोज
अमीनो फुल्विन खोजने के बाद वायरल और कई तरह की एंटीबाडी के लिए प्रयेाग किया गया, लेकिन कैंसर की कोशिकाओं को ढूंढ़ने के मामले में यह काफी असरदार साबित हुआ है। देश में यह पहले तरह की खोज है। आइआइटी दिल्ली के दो छात्र संजय सिंह, रवि सैनी के साथ में शोध करने वाले प्रो रवि बताते हैं कि हम एंजाइमों, डाइपेप्टाइड्स से अधिक प्रेरित थे, ये दोनों धातु आयनों की अनुपस्थिति में आसानी से रासायनिक प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए जाने जाते हैं।ऐसे उत्प्रेरक संक्रमित धातुओं का उपयोग करते हैं। आर्गेनिक तरीके से खोज एक चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया है। इमेजिंग के क्षेत्र में यह क्रांतिकारी सफलता है। इसकी विशेषता पर प्रो रवि बताते हैं कि टी-ल्यूसिन पदार्थ के साथ अभिक्रियाएं करने के बाद अमीनो फुल्विन बनाया गया है।
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