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अकाली दल में बगावत से दिल्ली की सिख राजनीति में हलचल, बादल विरोधी होने लगे हैं एकजुट

लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद शिरोमणि अकाली दल (शिअद) में बगावत की स्थिति है। पंजाब के कई अकाली नेताओं ने अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया है। वह उनकी जगह किसी और को पार्टी का अध्यक्ष बनाने की मांग की है। बादल से नाराज होकर पार्टी छोड़ने वाले अकाली नेता बागियों का समर्थन कर रहे हैं।

By Jagran News Edited By: Jeet Kumar Published: Thu, 04 Jul 2024 06:15 AM (IST)Updated: Thu, 04 Jul 2024 06:15 AM (IST)
अकाली दल में बगावत से दिल्ली की सिख राजनीति में हलचल

संतोष कुमार सिंह, नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद शिरोमणि अकाली दल (शिअद) में बगावत की स्थिति है। पंजाब के कई अकाली नेताओं ने अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया है। वह उनकी जगह किसी और को पार्टी का अध्यक्ष बनाने की मांग की है। इसका असर दिल्ली की सिख सियासत पर भी पड़ने लगा है।

बादल से नाराज होकर पार्टी छोड़ने वाले अकाली नेता बागियों का समर्थन कर रहे हैं। उनकी कोशिश दिल्ली में शिअद बादल के अन्य नेताओं को अपने साथ जोड़ने की है। वहीं, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना बादल के साथ खड़े हैं।

बादल के खिलाफ खोला मोर्चा

पंजाब में प्रेम सिंह चंदूमाजरा व अन्य पुराने अकाली नेताओं ने सुखबीर सिंह बादल के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी अध्यक्ष हरमीत सिंह कालका एवं महासचिव जगदीप सिंह काहलों सहित अन्य नेता उनका समर्थन कर रहे हैं।

कालका व इनके सहयोगी लगभग ढाई वर्ष पहले शिअद बादल के टिकट पर डीएसजीएमसी का चुनाव जीते थे। उस समय वह पार्टी के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष थे, परंतु बाद में उन्होंने शिअद बादल छोड़कर अपनी नई पार्टी शिरोमणि अकाली दल दिल्ली स्टेट बना लिया।

उन्होंने अकाली दल के खराब प्रदर्शन के लिए बादल को जिम्मेदार ठहराया। उनका कहना है कि 104 वर्ष पुरानी पार्टी अकाली दल का कमजोर होना ¨चता की बात है। यह सिखों के हित में नहीं है। वरिष्ठ अकाली नेताओं को अविलंब कदम उठाना चाहिए। बादल परिवार को छोड़ने का समय आ गया है।

अकाली दल की दिल्ली इकाई में भी बगावत की स्थिति

शिअद बादल की दिल्ली इकाई में भी बगावत की स्थिति है। 1984 के सिख विरोधी दंगे के पीडि़तों को न्याय दिलाने के लिए संघर्ष कर रहे कुलदीप सिंह भोगल के साथ ही गुरदेव सिंह भोला, तेजवंत सिंह व र¨वदर सिंह खुराना को पार्टी से बाहर निकाल दिया गया है। सरना ने इन नेताओं पर लोकसभा चुनाव में भाजपा का समर्थन करने का आरोप लगाया है।

पलटवार करते हुए भोगल सरना को सिख विरोधी दंगे के आरोपित कांग्रेस नेताओं का हितैषी बता रहे हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली में उनके सामने सिखों की हत्या की दोषी कांग्रेस व उसकी सहयोगी और भाजपा के बीच किसी एक को चुनने का विकल्प था। इस स्थिति में भाजपा को समर्थन किया गया है। सरना दिल्ली में अकाली दल को समाप्त करने में लगे हुए हैं।

भाजपा पर लगाए आरोप

सरना अकाली दल में बगावत के पीछे भाजपा का हाथ बताते हैं। उनका कहना है कि अकाली दल की सीटें जरूर कम हुई है, परंतु सिखों व किसानों के मुद्दे पर उन्होंने भाजपा के साथ समझौता नहीं किया है। सिखों के हित में सभी अकाली नेताओं को सुखबीर बादल को समर्थन करना चाहिए। यदि अकाली दल को कमजोर किया गया तो इससे सिखों को नुकसान होगा।


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