देश के हाईटेक यमुना एक्सप्रेस वे पर तेज रफ्तार वाहन दे रहे मौत को दावत
हैरत करने वाली बात यह है कि प्रतिदिन औसतन 600 वाहन गति सीमा का उल्लंघन करते हैं, लेकिन इनमें से चालान मात्र दो से तीन वाहनों के होते हैं।
By JP YadavEdited By: Updated: Sat, 27 Oct 2018 10:41 AM (IST)
नई दिल्ली/नोएडा, जेएनएन। यूपी सरकार, स्थानीय प्रशासन और पुलिस की लाख कोशिशों के बावजूद यमुना एक्सप्रेस वे तेज रफ्तार वाहनों के दुर्घटनाग्रस्त होने का सिलसिला धमने का नाम नहीं ले रहा है। ताजा मामले में टप्पल के पास तेज रफ्तार बस यमुना एक्सप्रेस-वे से नीचे गिर गई, जिसमें 6 लोगों के मरने की खबर है और कई लोग घायल हैं। बताया जा रहा है कि जब बस हादसा हुआ तो उसका रफ्तार बहुत ज्यादा थी।
पिछले कई सालों के दौरान हुए हादसे यह बताते हैं कि तेज रफ्तार फर्राटा भरते वाहन मौत का कारण बन रहे हैं। ऐसे में यहां पर वाहनों के साथ मौत भी दौड़ती है। गति सीमा का खुलेआम उल्लंघन होता है। आए दिन लोग रफ्तार का रोमांच लेने के लिए एक्सप्रेस वे पर जाकर दूसरों की जान को जोखिम में डालते हैं।हैरत करने वाली बात यह है कि प्रतिदिन औसतन 600 वाहन गति सीमा का उल्लंघन करते हैं, लेकिन इनमें से चालान मात्र दो से तीन वाहनों के होते हैं। तेज रफ्तार दौड़ते वाहनों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। जेपी ग्रुप सिर्फ टोल टैक्स वसूली में लगा हुआ है। उसका ध्यान दुर्घटनाओं को रोकने की तरफ नहीं जा रहा है। इसके लिए कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किए जा रहे हैं। पुलिस और जेपी ग्रुप एक-दूसरे पर मामला डालकर अपनी जिम्मेदारी से बच रहे हैं।
पुलिस पर्ची न होने का बहाना बनाकर तेज रफ्तार वाहनों के चालान नहीं काटती। टोल प्लाजा पर यह पता चल जाता है कि प्रतिदिन कितने वाहन निर्धारित गति सीमा से ज्यादा तेज दौड़े। इसकी सूचना पुलिस को भी दी जाती है, लेकिन कार्रवाई नहीं होती।ग्रेटर नोएडा से आगरा तक बने यमुना एक्सप्रेस वे को जेपी ग्रुप ने बनाया था। इसकी एवज में जेपी को नोएडा, जेवर, टप्पल, मथुरा व आगरा में पांच-पांच सौ हेक्टेयर जमीन फ्री में दी गई। साथ ही 38 वर्ष तक ग्रेटर नोएडा से आगरा तक टोल टैक्स वसूलने का अधिकार दिया गया।
जेपी ग्रुप को एक्सप्रेस पर सड़क दुर्घटना रोकने के लिए पुख्ता इंतजाम करने थे। चूंकि इंतजामों पर भारी भरकम राशि खर्च होनी है, इसलिए जेपी ने इंतजामों से हाथ खींच लिए। बढ़ती दुर्घटनाओं के मद्देजनर यमुना प्राधिकरण सीईओ ने बुधवार को एक्सप्रेस वे का निरीक्षण किया तो उसमें तमाम खामियां मिलीं। अंडरपास पर नहीं जलती सोलर ग्रेटर नोएडा से आगरा तक कई अंडरपास बने हुए हैं। सभी के पास जेपी ने सोलर लाइट लगाई थी। सीईओ को एक भी जगह सोलर लाइट नहीं जलती मिली।सभी की बैट्री खराब थी। सिर्फ दो एंबुलेंस लगी हैं एक्सप्रेस वे पर ग्रेटर नोएडा से आगरा तक 165 किमी की दूरी में यदि कहीं कोई दुर्घटना हो जाए तो घायलों को अस्पताल तक पहुंचाने की जिम्मेदारी जेपी ग्रुप की है। इसके लिए जेपी ने मात्र दो एंबुलेंस लगा रखी है। एंबुलेंस को एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने में काफी समय लग जाता है। इस दौरान घायल इलाज के अभाव में दम तोड़ देते हैं। घायलों को समय से उपचार मिले तो अनेक की जान बचाई जा सकती हैं। सीईओ ने एंबुलेंस की संख्या चार करने के निर्देश दिए हैं।
52 इमरजेंसी बाक्स में से सिर्फ कर रहे हैं दो काम एक्सप्रेस वे पर किसी के साथ कोई दुर्घटना हो जाए तो पुलिस और जेपी को सूचना देने के लिए ग्रेटर नोएडा से आगरा तक 52 इमरजेंसी बाक्स लगे हैं। प्राधिकरण सीईओ ने इनकी जांच की तो सिर्फ दो इमरजेंसी बाक्स चलते मिले। बाकी लंबे समय से खराब पड़े हैं। सुविधा केंद्रों पर नहीं है, पर्याप्त इंतजाम जेपी ग्रुप वाहन यात्रियों की सुविधा के लिए जगह-जगह सुविधा केंद्र बना रखे हैं, लेकिन इनमें सुविधाएं नदारद हैं। सीईओ ने निरीक्षण किया तो सुविधाओं का टोटा मिला। सीईओ ने प्रत्येक सुविधा केंद्र पर मेडीकल स्टोर, एटीएम बूथ व सूचना केंद्र की व्यवस्था करने के निर्देश दिए।एक्सप्रेस वे यमुना एक्सप्रेस वे का शुभारंभ अगस्त 2012 में हुआ था। तब से अब तक एक्सप्रेस वे पर दुर्घटनाओं में 536 लोग मौत के मुंह में समा चुके हैं। कोई दिन ऐसा नहीं जाता, जिस दिन दुर्घटना में किसी की जान नहीं गई हो। लोग अब यमुना एक्सप्रेस वे को खूनी एक्सप्रेस वे भी कहने लगे हैं।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।- यमुना एक्सप्रेस वे की ग्रेनो से आगरा तक दूरी 165 किमी
- अगस्त 2012 में शुरू हुआ था यमुना एक्सप्रेस वे
- एक्सप्रेस वे पर गति सीमा 100 किमी प्रति घंटा
- गति सीमा का उल्लंघन कर 160 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ते हैं वाहन टोल प्लाजा
- जेवर, मथुरा, आगरा एक्सप्रेस वे पर दुर्घटना रोकने के लिए पुख्ता इंतजाम किए जाने की आवश्यकता है।