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Road Safety with Jagran: छह की जगह दो घंटे 50 मिनट ही सोता है ट्रक चालक, कैसे रुकेंगी दुर्घटनाएं

Road Safety हाइवे पर ट्रक चालकों से हाेने वाली दुर्घटनाओं को राेकने के लिए निद्रा बैंक स्थापित करने वाले एपीएमएल फाउंडेशन के संस्थापक रमेश अग्रवाल कहते हैं कि ट्रक चालक को प्रशिक्षण देने की जगह उसे नींद देने की जरूरत है।

By Jagran NewsEdited By: Prateek KumarUpdated: Sat, 26 Nov 2022 11:33 PM (IST)
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ट्रक चालकों को साेने के लिए मिले पूरा समय, तो नहीं होंगी दुर्घटनाएं।
नई दिल्ली [वी के शुक्ला]। हाइवे पर सड़क दुर्घटनाएं रोकने के लिए चालकों की समझ का स्तर बढ़ाने के साथ साथ ट्रक चालकों को पूरी नींद भी देनी होगी। हाइवे के ट्रक चालकाें पर कराए गए एक सर्वे में यह बात सामने आई है कि एक ट्रक चालक को सफर के दौरान प्रतिदिन दो घंटे 50 मिनट ही सोने काे मिलता है। ऐसे में नींद पूरी नहीं होने से भी दुर्घटनाएं हाेती हैं।

प्रशिक्षण की जगह नींद देने की जरूरत 

हाइवे पर ट्रक चालकों से हाेने वाली दुर्घटनाओं को राेकने के लिए निद्रा बैंक स्थापित करने वाले एपीएमएल फाउंडेशन के संस्थापक रमेश अग्रवाल कहते हैं कि ट्रक चालक को प्रशिक्षण देने की जगह उसे नींद देने की जरूरत है। अग्रवाल की मानें तो ट्रक की स्टेयरिंग जिस चालक को दी जाती है वह एक परफेक्ट चालक होता है।उसे किसी तरह के प्रशिक्षक की जरूरत नहीं है उसे साेने के लिए साधन उपलब्ध कराइए, दुर्घटनाएं रुकेंगी, अभी ट्रक चालक आराम ताे करते हैं मगर साे नहीं पाते हैं।

पीएम से भी लगाई गुहार 

मैंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सामने गत 17 सितंबर को उनके जन्मदिन पर विज्ञान भवन में आयोजित कार्यक्रम में भी यही बात रखी थी कि अगर हम सड़क दुर्घटनाएं रोक पाएंगे तो हमारा माल, ट्रक व लोग सभी कुछ बच पाएगा, क्याेंकि ट्रकों से हाेने वाली दुर्घटनाओं से लोगों की जान ताे जाती ही है। ट्रकों पर लदे होने वाले अरबों खरबों के माल का भी प्रति वर्ष नुकसान हाेता है। यह तरह से राष्ट्र का ही नुकसान है, हमें चाहिए कि इसे राेका जाए।

देश में खुले निद्रा दान केंद्र 

अगर देश भर में निद्रा दान केंद्र खोल दिए जाएं तो हम दुर्घटनाओं से होने वाले राष्ट्र को 14 प्रतिशत नुकसान को घटाकर आठ से नौ प्रतिशत पर ला सकते हैं। प्रधानमंत्री के जन्मदिन पर मुझे राष्ट्रीय परिवहन नीति पर चर्चा के दौरान बोलने के लिए चार मिनट का समय दिया गया था। अग्रवाल बताते हैं कि 2011 में उन्होंने ट्रक चालकों को प्रशिक्षण देने की योजना बनाई। मगर समस्या प्रशिक्षण की नहीं, नींद पूरी न होने की निकली। जिस पर इस क्षेत्र में काम शुरू किया। उनके द्वारा 2012 में कराए गए सर्वे के अनुसार प्रति वर्ष देश में 1 लाख 37 हजार लोग सड़क दुर्घटनाओं में मारे जाते हैं। मरने वालों में किसी का दोष होता है तो किसी का दोष भी नहीं होता है। वह कहते हैं कि हमने इस बात का सर्वे कराया कि ये मरते क्यों हैं तो उनके कई कारण मिले, मगर जो सबसे महत्वपूर्ण था वह यह था कि ट्रक चालकों को ड्राइविंग के समय नींद आती है और उस से दुर्घटनाएं होती हैं।

नींद की कमी के कारण 26 हजार से ज्यादा लोग मौत के शिकार  

हमारे सर्वे में सामने बात आई कि प्रति वर्ष देश औसतन 26 हजार 642 लाेग इसलिए मारे जाते हैं कि ट्रक चालक नींद नही पूरी कर पाते हैं, जिस ट्रक चालक को छह घंटे सोने के लिए मिलना चाहिए उसे केवल दाे घंटा 50 मिनट ही सोने के लिए मिल रहा है, इससे दुर्घटनाएं हुईं और लोगों की मौत होती है। वह बताते हैं कि सर्वे में पता चला है कि ड्राइविंग के दाैरान नींद से बचने के लिए कई ट्रक चालक अफीम का इस्तेमाल करते हैं और इस तरह वे अफीम के आदी बन जाते हैं। वह बताते हैं कि इसके बाद उन्होंने एपीएमएल फाउंडेशन का गठन दिया और राेड सेफ्टी पर काम करना शुरू किया। जब हमारे संगठन ने ट्रक चालकाें से बात की ताे उन्हाेंने बताया कि आप की बात तो ठीक है कि हम चलने के दौरान बीच बीच में नींद लिया करें, मगर नींद लें कैसे।

चोरी के डर के कारण सोने से डरते हैं ट्रक चालक 

उन्हाेंने बताया कि हम रास्ते में रुकते हैं, आराम करते हैं, मगर सो नहीं पाते हैं।क्याेंकि सो इसलिए नहीं पाते हैं जहां रुकते हैं और आराम करते हैं वहां चोरियां हाेती हैं, कभी माल की चोरी हाे जाती है तो कभी सामान की चोरी हाे जाती है। चाेरी के डर से हम सो नहीं पाते हैं। वह कहते हैं कि इनकी समस्या को आधार बनाते हुए दिल्ली जयपुर हाइवे पर मैंने निद्रा बैंक सेंटर स्थापित किया है। वहां पर 400 ट्रक चालक एक बार में चार घंटे की नींद ले सकते हैं। उनके सामान की सुरक्षा हमारा फाउंडेशन करता है। इस तरह एक माह में करीब 10 हजार नींद निश्शुल्क प्रदान करते हैं। इसी तरह हुबली में भी एक निद्रा बैंक खोल रहे हैं। अगले पांच साल में छह करोड़ नींद दिलाने का लक्ष्य है, इससे 1 लाख 11 हजार से अधिक दुर्घटनाएं बचाने का लक्ष्य है। प्रधानमंत्री जी की सलाह पर हमने कदम आगे बढ़ा दिया है। इसके लिए एक एप भी बना दिया है। सड़काें के किनारे बनाए गए ट्रक माेटल से भी ट्रक वालों के ठहरने का किराया कम करने के लिए बात कर रहे हैं। 

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