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राजधानी के कई इलाकों में रहते हैं रोहिंग्या मुस्लिम, नए सिरे से बायोमैट्रिक डेटा एकत्र कर रही दिल्ली पुलिस

स्वतंत्रता दिवस समारोह के मौके पर रोहिंग्या व बांग्लादेशी कोई खलल न पैदा कर दे इसके लिए सभी थाने के थानाध्यक्षों को मुख्यालय से कहा गया है कि वे अपने-अपने इलाके में रहने वाले रोहिंग्या व बांग्लादेशी की पहचान कर उन्हें दिल्ली में ठहरने के कानूनी पहलुओं की बारीकी से जांच करें जिनके पास भारत में रहने के लिए वैध दस्तावेज नहीं हैं उन्हें उनके देश भेज दिए जाएं।

By Jagran NewsEdited By: Abhi MalviyaUpdated: Sun, 06 Aug 2023 07:28 PM (IST)
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रोहिंग्या मुस्लिम के दस्तावेजों की जांच कर रही पुलिस। (फोटो- जागरण)

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। आगामी स्वतंत्रता दिवस के मद्देनजर दिल्ली पुलिस, रक्षा मंत्रालय समेत तमाम सुरक्षा एजेंसियों के साथ मिलकर स्वतंत्रता दिवस समारोह की सुरक्षा तैयारी में जुटी हुई है। राजधानी के सभी 15 जिले में रहने वाले प्रत्येक नागरिक के पुलिस सत्यापन का काम लगभग पूरा कर लिया गया है।

स्वतंत्रता दिवस समारोह के मौके पर रोहिंग्या व बांग्लादेशी कोई खलल न पैदा कर दे इसके लिए सभी थाने के थानाध्यक्षों को मुख्यालय से कहा गया है कि वे अपने-अपने इलाके में रहने वाले रोहिंग्या व बांग्लादेशी की पहचान कर उन्हें दिल्ली में ठहरने के कानूनी पहलुओं की बारीकी से जांच करें, जिनके पास भारत में रहने के लिए वैध दस्तावेज नहीं हैं, उन्हें दूतावास के जरिए वापस उनके देश भेज दिए जाएं।

पिछले 13 सालों से रोहिंग्याओं का कब्जा

मदनपुर खादर इलाके में कालिंदी कुंज व आस पास के इलाकों में करीब पिछले 13 वर्षों से रोहिंग्याओं का कब्जा है। ये लोग मदनपुर खादर इलाके में विश्वकर्मा कॉलोनी, कलीमुल्लाह मोहल्ला, खड्डा कॉलोनी समेत पूरे खादर इलाके में बसें हैं। कालिंदी कुंज घाट के सामने पुश्ता रोड के दूसरी ओर भी इन्होंने सैकड़ों झुग्गियां बना ली है। यहां झुग्गियों में रहने वाले रोहिंग्या का दावा है कि उनके पास संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (UNHCR) द्वारा जारी रिफ्यूजी कार्ड है। इसी के आधार पर वह उक्त जगहों पर बसें हैं।

2010 से रह रहे लोग कालिंदी कुंज के पास बसे बर्मा कैंप में रहने वाले एक रोहिंग्या ने बताया कि सभी लोग 2010 में यहां आए थे। तब से यहां पर ही रह रहे हैं। ये बेलदारी व दिहाड़ी इत्यादि का कार्य करके अपना व परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं। 13 वर्षों में यहां रहने के बाद अब इनका पूरे इलाके पर कब्जा हो गया है। इसके चलते कालिंदी कुंज इलाका बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुसलमानों का गढ़ बनता जा रहा है।

प्रतिदिन बढ़ते जा रही शरणार्थियों की संख्या

गौरतलब है कि इन कैंपों में बड़ी संख्या में रोहिंग्या का बसेरा है। इस पूरे इलाके में करीब 500 से ज्यादा रोहिंग्या शरणार्थी परिवार रहते हैं और इनकी संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। पहले इन लोगों ने उत्तर प्रदेश सरकार की सिंचाई विभाग की जमीन पर कब्जा जमा रखा था, लेकिन पिछले साल उत्तर प्रदेश सरकार ने इन झुग्गियों को अपनी जमीन से हटा दिया था।

बहुत से रोहिंग्या और बांग्लादेशी मुसलमानों ने अब मोलड़बंद एक्सटेंशन, हाजी कॉलोनी, मक्की मस्जिद कॉलोनी आदि इलाकों में भी ठिकाना बना लिया है। कई ने यमुना खादर में अपनी झुग्गियां बना रखी हैं। इन इलाकों में रहने वाले रोहिंग्याओं का दावा है कि उनके पास संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर) द्वारा बनाया गया रिफ्यूजी कार्ड है, लेकिन वे इसे दिखाने से कतराते हैं।

विभिन्न अपराधों में भी शामिल पाए जा चुके हैं रोहिंग्या कालिंदी कुंज इलाके के आसपास के लोगों ने बताया कि रोहिंग्या शरणार्थी कई बार आपराधिक वारदातों में शामिल पाए गए हैं। आए दिन पुलिस यहां जांच के लिए आती रहती है। कई रोहिंग्या नशे के कारोबार, चोरी, डकैती, लूटपाट, झपटमारी समेत कई वारदातों में भी पूर्व में शामिल पाए जा चुके हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि वैसे तो ये बेलदारी इत्यादि का कार्य करते हैं लेकिन काम नहीं मिलने पर विभिन्न आपराधिक वारदातों को भी अंजाम देते रहते हैं।