Rohingyas: जानिए कितने सालों से दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में बसते जा रहे रोहिंग्या, किस संस्था ने दी थी अपनी जमीन
Rohingyas शरणार्थियों को मिलने वाली सुविधाओं की मांग को लेकर वर्ष-2012 में वसंत विहार के यूएनएचसीआर के कार्यालय पर रोहिंग्या प्रदर्शन करने आए थे। इसके बाद उन्हें पहले वसंत विहार में रहने की जगह दी गई। जकात फाउंडेशन ने उन्हें कालिंदी कुंज के पास स्थित अपनी जमीन पर बसा दिया।
By Vinay Kumar TiwariEdited By: Updated: Fri, 19 Aug 2022 01:33 PM (IST)
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। Rohingyas: दिल्ली में आज जिन रोहिंग्या को लेकर आम आदमी पार्टी और भाजपा एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं वे राजधानी के विभिन्न इलाकों में 10 साल से भी अधिक समय से जमे हैं।
दरअसल, शरणार्थियों को मिलने वाली सुविधाओं की मांग को लेकर वर्ष-2012 में वसंत विहार के यूएनएचसीआर के कार्यालय पर रोहिंग्या प्रदर्शन करने आए थे। इसके बाद उन्हें पहले वसंत विहार में रहने की जगह दी गई।
फिर बाद में जकात फाउंडेशन ने उन्हें कालिंदी कुंज के पास स्थित अपनी जमीन पर बसा दिया। अप्रैल 2018 में इस जगह पर आग लग गई तो उत्तर प्रदेश सरकार के सिंचाई विभाग ने मानवीय आधार पर इन्हें कालिंदी कुंज स्थित अपनी जमीन पर रहने की अनुमति दे दी।
खसरा नंबर-612 की यह जमीन आधा एकड़ है। रोहिंग्या यहां पर कपड़े, पालीथिन आदि के 36 टेंट बनाकर रहने लगे। धीरे-धीरे रोहिंग्या ने यहां 100 से ज्यादा टेंट बना लिए और उनकी आबादी भी तेजी से बढ़ती गई। उप्र के सिंचाई विभाग ने जब इस जमीन को खाली करने के लिए कहा तो रोहिंग्या ने इसे खाली करने से मना कर दिया और वे कब्जा जमाने लगे।
पिछले साल उप्र सिंचाई विभाग ने अपनी जमीन खाली करवा ली। जकात फाउंडेशन ने पास में ही इनके रहने की व्यवस्था की है। इन्हीं रोहिंग्या को बक्करवाला में ईडब्ल्यूएस कैटेगरी के लोगों के लिए बनाए गए फ्लैटों में शिफ्ट करने के दिल्ली सरकार के फैसले के बाद मामले ने तूल पकड़ा है।
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