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'केजरीवाल के खिलाफ पक्षपातपूर्ण तरीके से काम कर रही ED', पढ़ें जमानत देते हुए दिल्ली की अदालत ने क्या-क्या कहा

राऊज एवेन्यू कोर्ट ने कहा कि ईडी कुछ मुद्दों पर चुप है जिसमें यह तथ्य भी शामिल है कि केजरीवाल का नाम केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने अपनी प्राथमिकी या ईडी द्वारा दर्ज प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) में नहीं लिया है। अदालत ने कहा कि आरोपित को आज तक अदालत द्वारा तलब नहीं किया गया है फिर भी ईडी के कहने पर आरोपित न्यायिक हिरासत में है।

By Ritika Mishra Edited By: Sonu Suman Updated: Fri, 21 Jun 2024 06:30 PM (IST)
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दिल्ली की अदालत ने कहा- केजरीवाल के खिलाफ पक्षपातपूर्ण तरीके से काम कर रही ED

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। राउज एवेन्यू कोर्ट ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जमानत देते हुए कहा कि ईडी केजरीवाल को अपराध की आय से जोड़ने वाला कोई प्रत्यक्ष सुबूत देने में विफल रही है। ईडी यह भी दिखाने में विफल रही है कि एक अन्य आरोपित विजय नायर केजरीवाल के लिए काम कर रहा था। विशेष न्यायाधीश न्याय बिंदू ने कहा कि ईडी, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ आबकारी नीति मामले में उनके खिलाफ दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पक्षपातपूर्ण तरीके से काम कर रही है।

अदालत ने कहा ईडी कुछ मुद्दों पर चुप है, जिसमें यह तथ्य भी शामिल है कि केजरीवाल का नाम केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने अपनी प्राथमिकी या ईडी द्वारा दर्ज प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) में नहीं लिया है। अदालत ने कहा कि आरोपित को आज तक अदालत द्वारा तलब नहीं किया गया है, फिर भी वह जांच अभी भी जारी रहने के बहाने ईडी के कहने पर आरोपित न्यायिक हिरासत में है।

ईडी कई चीजें साबित करने में विफल: कोर्ट

अदालत ने यह भी कहा कि केजरीवाल के खिलाफ आरोप कुछ सह-आरोपितों द्वारा दिए गए बयानों के बाद सामने आए। ईडी ने रिकार्ड पर ऐसा कुछ भी नहीं दिखाया है कि विजय नायर केजरीवाल के निर्देशों पर काम कर रहा था। यह भी साबित करने में विफल रहा है कि भले ही विनोद चौहान के चनप्रीत के साथ घनिष्ठ संबंध हो, लेकिन केजरीवाल के इन दोनों सह-आरोपितों से परिचित होने के बावजूद भी यह केजरीवाल के अपराध को कैसे साबित कर सकता है?

'दस्तावेज केजरीवाल के संबंध में नहीं थे प्रासंगिक'

अदालत ने कहा कि दोनों पक्षों द्वारा विभिन्न दस्तावेज भारी मात्रा में दिए गए हैं, जिनमें से अधिकांश केजरीवाल के संबंध में प्रासंगिक भी नहीं थे। अदालत ने कहा कि इस समय दस्तावेज के इन हजारों पन्नों को पढ़ना संभव नहीं है, लेकिन यह अदालत का कर्तव्य है कि जो भी मामला विचार के लिए आए उस पर काम करे और कानून के अनुसार आदेश पारित करे। हालांकि, कभी-कभी अदालतें विभिन्न कारणों से ऐसे आदेश पारित करने से बचती हैं जिनके दीर्घकालिक प्रभाव हो सकते हैं।

अदालत ने कहा कि संवैधानिक पद पर रहना या स्पष्ट पृष्ठभूमि जमानत का एकमात्र आधार नहीं हो सकता है क्योंकि अपराध की गंभीरता पर ध्यान देना आवश्यक है। लेकिन यह हमेशा एक आरोपित के लिए एक सहायक तर्क रहा है क्योंकि कभी-कभी अदालतों द्वारा आरोपित की सामाजिक-आर्थिक स्थिति और पिछले आचरण पर विचार किया गया है।

केजरीवाल समाज के लिए कोई खतरा नहीं: कोर्ट

अदालत ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि केजरीवाल के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए गए हैं, लेकिन उन्हें दोषी नहीं ठहराया गया है। उनका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। वह समाज के लिए खतरा नहीं हैं। अदालत ने कहा कि केजरीवाल के जमानत आवेदन पर निर्णय लेते समय सुप्रीम कोर्ट की इन टिप्पणियों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।

अदालत द्वारा मौखिक पूछताछ करने पर आइओ ने बताया कि 100 करोड़ की कुल राशि में से लगभग 40 करोड़ का पिछले माह में पता लगा लिया गया है और शेष 60 करोड़ का पता लगाना बाकी है। इस पहलू पर ईडी यह स्पष्ट करने में विफल रही है कि पूरे मनी ट्रेल का पता लगाने के लिए कितना समय चाहिए।

अदालत ने कहा कि इसका मतलब यह है कि जब तक ईडी द्वारा शेष राशि का पता लगाने की यह कवायद पूरी नहीं हो जाती, तब तक आरोपित को सलाखों के पीछे ही रहना होगा, वह भी उसके खिलाफ उचित सुबूत के बिना। यह ईडी का स्वीकार्य प्रस्तुतीकरण नहीं है।

'गोवा चुनाव में आय का इस्तेमाल बताने में ईडी चुप'

अदालत ने कहा कि कानून की यह कहावत कि प्रत्येक व्यक्ति को दोषी साबित होने तक निर्दोष माना जाना चाहिए, केजरीवाल के संबंध में दिए गए मामले में लागू नहीं होती है। अदालत ने कहा कि ईडी इस तथ्य के बारे में चुप है कि अपराध की आय का उपयोग गोवा में विधानसभा चुनावों में आप द्वारा कैसे किया गया है क्योंकि लगभग दो वर्षों के बाद, इस राशि का बड़ा हिस्सा पता लगाया जाना बाकी है।

अदालत ने कहा कि ईडी के पास जुलाई 2022 के आसपास केजरीवाल के खिलाफ कुछ सामग्री उपलब्ध थी, लेकिन उसे केवल अगस्त 2023 में बुलाया गया, जो ईडी की दुर्भावना को दर्शाता है।

'केजरीवाल के खिलाफ ईडी ने नहीं दी ठोस दलील'

ईडी की दलील कि जांच एक कला है और कभी-कभी एक आरोपित को जमानत और माफी का लॉलीपाप दिया जाता है और उन्हें अपराध के पीछे की कहानी बताने के लिए कुछ आश्वासन दिया जाता है पर अदालत ने कहा ये ठोस दलील नहीं है। क्योंकि यदि ऐसा है तो, किसी भी व्यक्ति को रिकार्ड से कलात्मक रूप से हटाने के बाद उसके खिलाफ सामग्री प्राप्त करके फंसाया जा सकता है और सलाखों के पीछे रखा जा सकता है।

ईडी बिना पक्षपात के काम नहीं कर रही: अदालत

अदालत ने कहा कि ईडी की ये दलील अदालत को जांच एजेंसी के खिलाफ यह निष्कर्ष निकालने के लिए बाध्य करती है कि वह बिना पक्षपात के काम नहीं कर रही है। अदालत ने कहा की ईडी ने मामले में शामिल अन्य आरोपितों के खिलाफ सच उगलवाने के लिए प्रलोभन की बात कही है, लेकिन इस दलील का असर इस धारणा पर पड़ता है कि जो लोग अपने पिछले बयानों से मुकर गए हैं, उनके जरिए पूरा सच सामने नहीं आ सकता।

अदालत ने कहा कि केजरीवाल के अधिवक्ता का कहना है कि सह-अभियुक्तों के बयानों में उनके खिलाफ कोई आपत्तिजनक सामग्री नहीं दिखती है। लेकिन, ईडी ने कहा कि उन सह-अभियुक्तों के बयान उनमें से कुछ के साथ केजरीवाल के व्यक्तिगत संबंध अपराध में आरोपित की विशिष्ट भूमिका और भागीदारी को स्थापित करने के लिए पर्याप्त हैं।

'ईडी कोई प्रत्यक्ष सबूत देने में विफल'

अदालत ने कहा कि यह संभव हो सकता है कि आवेदक के कुछ ज्ञात व्यक्ति किसी अपराध में शामिल हों या अपराध में शामिल किसी तीसरे व्यक्ति को जानते हों, लेकिन ईडी अपराध की आय के संबंध में केजरीवाल के खिलाफ कोई प्रत्यक्ष सुबूत देने में विफल रहा है। अदालत ने कहा कि ईडी आरोप पत्र की इस बात पर बार-बार जोर दे रही है कि विजय नायर कैलाश गहलोत के घर पर रुके थे। नायर व केजरीवाल के घनिष्ठ संबंध है। केजरीवाल गोवा के सात सितारा होटल में रुके जिसका भुगतान सह-अभियुक्त चरणजीत ने किया था, जो उन दोनों की निकटता को दर्शाता है।

अदालत ने कहा कि ईडी आवेदक द्वारा उठाए गए कुछ मुद्दों पर चुप है। जैसे कि उसका नाम न तो सीबीआइ मामले में और न ही ईसीआइआर एफआइआर में था। आवेदक के खिलाफ आरोप कुछ सह-अभियुक्तों के बाद के बयानों के बाद सामने आए हैं।

जांच एजेंसी को निष्पक्ष होना चाहिए: अदालत

अदालत ने कहा कि आरोपित को आज तक अदालत ने तलब नहीं किया है, फिर भी ईडी के कहने पर न्यायिक हिरासत में है। ईडी ने रिकार्ड पर कुछ भी नहीं दिखाया है कि विजय नायर, केजरीवाल के निर्देशों पर काम कर रहा था। ईडी यह भी स्पष्ट करने में विफल रही है कि वह इस निष्कर्ष पर कैसे पहुंची कि विनोद चौहान से जब्त की गई एक करोड़ रुपये की राशि अपराध की आय का हिस्सा थी।

ईडी यह भी स्पष्ट नहीं कर रहा है कि जांच के दौरान पता लगाई जा रही 40 करोड़ रुपये की रकम अपराध की आय का हिस्सा कैसे बन रही है। ऐसा लगता है कि ईडी का भी मानना है कि रिकार्ड पर मौजूद सुबूत आवेदक के खिलाफ आगे बढ़ने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। अदालत ने कहा कि जांच एजेंसी को तत्पर एवं निष्पक्ष होना चाहिए ताकि यह आभास हो सके कि एजेंसी द्वारा प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का भी पालन किया जा रहा है।

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