JNU और IIT के प्रोफेसर्स से 11 करोड़ रुपये की ठगी, यूनिवर्सिटी का पूर्व अधिकारी गिरफ्तार
डीडीए की लैंड पूलिंग पॉलिसी के नाम पर जेएनयू के स्कूल ऑफ एनवायरनमेंट के पूर्व साइंटिफिक अधिकारी ने लोगों से 11 करोड़ रुपये ठग लिए। ठग ने सस्ती दर पर फ्लैट्स देने का झांसा देकर जेएनयू और आईआईटी के प्रोफेसर्स को चपत लगाई है। दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने आरोपित को गिरफ्तार किया है। उसकी पहचान गुरुग्राम निवासी पीडी गायकवाड़ (63) के रूप में हुई है।
जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली। डीडीए की लैंड पूलिंग पॉलिसी के नाम पर जेएनयू के स्कूल ऑफ एनवायरनमेंट के पूर्व साइंटिफिक अधिकारी ने लोगों से 11 करोड़ रुपये ठग लिए। ठग ने सस्ती दर पर फ्लैट्स देने का झांसा देकर जेएनयू और आईआईटी के प्रोफेसर्स को चपत लगाई है।
दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने आरोपित को गिरफ्तार किया है। उसकी पहचान गुरुग्राम निवासी पीडी गायकवाड़ (63) के रूप में हुई है। आरोपित ने नोबेल सोशियो-साइंटिफिक वेलफेयर आर्गेनाइजेशन (NSSWO) बनाकर वारदात को अंजाम दिया।
जिला पुलिस उपायुक्त सुरेंद्र चौधरी ने बताया कि पीडी गायकवाड़ ने वर्ष 2011 में एक आर्गेनाइजेशन बनाई। वह जेएनयू और आईआईटी के प्रोफेसर्स के साथ बैठक करने लगा। डीडीए की लैंड पॉलिसी के तहत हाउसिंग प्रोजेक्ट के सपने दिखाकर उन्हें अपने संगठन का सदस्य बनाने लगा। प्रोफेसर्स उसके झांसे में आए और फीस देकर संगठन के सदस्य बन गए। साथ ही फ्लैट्स की बुकिंग के लिए उसे रुपये भी दे दिए।
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पीड़िताें को जेएनयू में अपने कार्यालय में बुलाया
वह पीड़ितों को वर्ष 2015 में नजफगढ़ में एल-जोन जमीन दिखाने भी ले गया, लेकिन उस जमीन के दस्तावेज नहीं दिखाए। पीड़ित भी उससे फ्लैट्स के बारे में जानकारी लेते वह कोई न कोई बहाना बना देता। वर्ष 2019 में ई-मेल से दूसरी स्कीम लांच करते हुए पीड़िताें को जेएनयू स्थित अपने कार्यालय में बुलाया।
आर्गेनाइजेशन का अध्यक्ष वह खुद था और बैंक खाते में उसी के हस्ताक्षर चलते हैं। कई प्रोफेसर्स ने दिल्ली पुलिस से इसकी शिकायत की। डीडीए से पुलिस को इस मामले पर जानकारी देते हुए कहा कि लैंड पूलिंग पालिसी के तहत किसी को अनुमति नहीं दी है।
आरोपित का संगठन पंजीकृत नहीं
दिल्ली रेरा ने भी बताया कि आरोपित का संगठन उनके यहां पंजीकृत नहीं है। जिसके बाद पुलिस ने आरोपित को दबोच लिया। जांच में पता चला कि वर्ष 2011 से 2021 के बीच उसने 11 करोड़ रुपये की ठगी की है। वह नागपुर विश्वविद्यालय से एमएससी करने के बाद जेएनयू में बतौर सीनियर टेक्निकल असिस्टेंट नौकरी शुरू की थी।