Delhi: मोहन भागवत बोले- तरीकों पर मत लड़ो, मंजिल की तरफ देख उस तक बढ़ो; सामवेद के उर्दू अनुवाद का किया विमोचन
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने लालकिला परिसर से धर्म के नाम पर लड़ने की जगह देश को विश्व का सिरमौर बनाने के लिए एकजुट होकर मंजिल की ओर साथ बढ़ने का आह्वान किया। उन्होंने
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने लालकिला परिसर से धर्म के नाम पर लड़ने की जगह देश को विश्व का सिरमौर बनाने के लिए एकजुट होकर मंजिल की ओर साथ बढ़ने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि तरीके और रास्ते भले ही अलग-अलग हो सकते हैं। पूजा पद्धति अलग-अलग हो सकती है, लेकिन मंजिल तो एक ही है।
उन्होंने कहा कि मंजिल की तरफ देखों उसकी तरफ जाओ, तरीकों को देखकर न लड़ाे। साथ ही जोर दिया कि यह संदेश पूरे विश्व को भारत से दिए जाने की जरूरत है। क्योंकि, आपस में झगड़े के साथ मनुष्य का प्रकृति से भी झगड़ा चल रहा है। यह संकट उसने खुद बुलाई है। उसे खुद ही इससे बाहर आना होगा।
वह इस ऐतिहासिक परिसर में विभिन्न धर्म के धर्मगुरुओं, राजनीतिज्ञों व फिल्मी दुनियां की हस्तियों के बीच प्रसिद्ध फिल्म लेखक व निर्देशक डा. इकबाल दुर्रानी द्वारा धार्मिक ग्रंथ सामवेद के सचित्र उर्दू व हिंदी अनुवाद के विमोचन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। यह अनुवाद करीब एक हजार पृष्ठ का है, जिसे अनूवादित करने में दुर्रानी को करीब साढ़े छह वर्ष का वक्त लगा।
भागवत ने कहा कि किसी का रास्ता और तरीका गलत नहीं है। कोई किसी रास्ते से जाता है। कोई दूसरे तरीके से, लेकिन सभी देर-सबेर मंजिल को ही पहुंचते हैं। इसलिए इसे लेकर सोच में बदलाव लाना होगा। अंदर से बदलने की आवश्यकता है। हालांकि, डराने, फंसाने वाले आएंगे, इनसे बचते हुए अंदर की एकजुटता को नित्य व्यवहार में लाना होगा।
अनुवाद के लिए डा. इकबाल दुर्रानी की सराहना करते हुए कहा कि उनके काम की सार्थकता तभी है जब हम इसके संदेश को अपने जीवन में अपनाएं।
उन्होंने सामवेद पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह संगीत और संवेदनाओं से भरपूर है। दुनियां में संगीत के सात स्वर इसने दिए। हालांकि, आम जनमानस को इसकी भाषा में समझना कठिन है। इसके लिए उपनिषद है, जिसमें कथाओं के माध्यम से सरल भाषा में समझाया गया है। डा. इकबाल दुर्रानी ने विमोचन का आग्रह स्वीकार करने के लिए संघ प्रमुख का आभार जताते हुए कहा कि यह ऐतिहासिक जगह है, जहां औरंगजेब का शासन था और उसने गंगा-यमुना तहजीब के पैरोकार दाराशिकोह को यातनाएं दी।
आज वह औरंगजेब हार गया और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जीत गए। आज आवश्यकता दाराशिकोह के दिखाए रास्ते पर चलने की है। जिससे प्रेरणा लेकर सामवेद का उर्दू अनुवाद किया।
विमोचन कार्यक्रम में सह सरकार्यवाह डा. कृष्ण गोपाल, आल इंडिया इमाम ऑर्गनाइजेशन के उमेर अहमद इलियासी, जैन धर्म गुरु लोकेश मुनि, फिल्म अभिनेता सुनील शेट्टी, सांसद हंसराज हंस व मनोज तिवारी समेत कई गणमान्य लोग मौजूद हैं। भजन सम्राट अनूप जलोटा ने भजन की प्रस्तुति दी।