Delhi School: शिक्षकों पर बढ़ रहा दबाव, पीजीटी के 3330 टीचर्स के पद रिक्त, प्राथमिक शिक्षकों के 1010 पद खाली
दिल्ली शिक्षा निदेशालय से सूचना के अधिकार से मिली जानकारी के अनुसार दिल्ली के स्कूलों में टीजीटी (ट्रेन्ड ग्रेजुएट टीचर) शिक्षकों के 3330 पद रिक्त हैं। वहीं प्राथमिक शिक्षकों के 1010 पद और फिजिकल एजुकेशन टीचर के 486 पद रिक्त हैं। इससे न केवल अन्य शिक्षकों पर भार बढ़ रहा है बल्कि स्कूलों में अव्यवस्थाएं फैलने की भी पूरी संभावना है।
जागरण संवाददाता, बाहरी दिल्ली। राजधानी में नए स्कूलों के निर्माण की नींव रखने और शिक्षा में बेहतर करने दावे तो हर दिन किए जाते हैं लेकिन पठन-पाठन को बेहतर बनाने के लिए बुनियादी चीजों में सुधार नहीं हो रहा। शिक्षकों की संख्या पहले भी कम थी और आज भी है। दिल्ली में 1050 सरकारी स्कूल और 37 डॉ. बीआर आंबेडकर स्कूल आफ स्पेशलाइज्ड एक्सीलेंस स्कूल हैं।
दिल्ली शिक्षा निदेशालय से सूचना के अधिकार से मिली जानकारी के अनुसार दिल्ली के स्कूलों में टीजीटी (ट्रेन्ड ग्रेजुएट टीचर) शिक्षकों के 3330 पद रिक्त हैं। वहीं प्राथमिक शिक्षकों के 1010 पद और फिजिकल एजुकेशन टीचर के 486 पद रिक्त हैं। इससे न केवल अन्य शिक्षकों पर भार बढ़ रहा है बल्कि स्कूलों में अव्यवस्थाएं फैलने की भी पूरी संभावना है।
'नए शिक्षकों की भर्ती नहीं हो रही'
शिक्षकों की इस कमी को लेकर शिक्षाविदों ने चिंता जताई है और उनके अनुसार यह दिल्ली के शिक्षा तंत्र के लिए ठीक नहीं है। नए शिक्षकों की भर्ती नहीं हो रही है जिसके कारण पद रिक्त हैं। स्पोर्ट्स को बढ़ावा देने की बातें तो होती हैं लेकिन स्कूलों में फिजिकल एजुकेशन टीचर की कमी भी विचारणीय है।
शिक्षा निदेशालय का नहीं मिला जवाब
आरटीआई के माध्यम से जानकारी जुटाने वाले एक्टीविस्ट के अनुसार उन्होंने इससे पहले प्रधानाचार्य और उपप्रधानाचार्य के रिक्त पदों की जानकारी भी मांगी थी लेकिन तब उन्हें गोलमोल उत्तर प्राप्त हुआ। इस बारे में दिल्ली शिक्षा निदेशालय के निदेशक डॉ. हिमांशु गुप्ता से इस बारे में प्रतिक्रिया लेने के लिए संपर्क किया गया लेकिन संपर्क नहीं हो पाया।
स्कूलों में शिक्षकों की कमी की वजह से ही ग्रामीण क्षेत्रों के कई स्कूलों में विज्ञान और अंग्रेजी के शिक्षकों की कमी देखी गई है। इसका प्रभाव बच्चों की शिक्षा पर पड़ता है और बच्चे परीक्षा में पिछड़ जाते हैं। इसके लिए नए शिक्षकों की नियुक्ति की जानी चाहिए जिसे लेकर लंबे समय से मांग की जा रही है। - संजय डबास, आरटीआई कार्यकर्ता, कंझावला
स्कूलों में रिक्त शिक्षकों की संख्या को तत्काल प्रभाव से भरने की आवश्यकता है ताकि देश के भविष्य बच्चों के सामने संबंधित विषयों को लेकर परेशानी न हो और उन्हें शिक्षा को लेकर नुकसान न उठाना न पड़े। इसके लिए नई वैकेंसी निकाली जानी चाहिए। - डीके तनेजा, शिक्षाविद, मुखर्जी नगर