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दिल्ली नगर निगम सदन की बैठक में हंगामा, मेयर के ब्राजील दौरे को लेकर भाजपा ने किया प्रदर्शन

दिल्ली नगर निगम सदन की बैठक में एक बार फिर हंगामा देखने को मिल रहा है। भाजपा पार्षदों ने महापौर शैली ओबेरॉय के ब्राजील दौरे पर सवाल उठाते हुए प्रदर्शन किया। साथ ही अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित महापौर पद पर चुनाव जल्द कराने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। अब तक निगम की 30 से ज्यादा बैठकें हुई जिसमें 28 बैठकें हंगामे की भेंट चढ़ गईं।

By Jagran News Edited By: Abhishek Tiwari Updated: Mon, 28 Oct 2024 12:38 PM (IST)
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एमसीडी की बैठक में विरोध करते हुए भाजपा पार्षद। फोटो- जागरण
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) सदन की बैठक सोमवार सुबह 11 बजे से निगम मुख्यालय में शुरू हो चुकी है। बैठक में पहले की तरह फिर हंगामा देखने को मिल रहा है।

भाजपा अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित महापौर पद पर चुनाव टालने के आरोप में आम आदमी पार्टी का विरोध कर रही है। साथ ही भाजपा ने महापौर शैली ओबेरॉय के ब्राजील दौरे पर सवाल उठा रही है। अब तक निगम की 30 से ज्यादा बैठकें हो चुकी हैं, जिसमें 28 बैठकें हंगामे की भेंट चढ़ गईं।

उल्लेखनीय है कि आतिशी के सीएम बनने के बाद महापौर चुनाव में आ रही अड़चन खत्म हो गई थी। ऐसे में संभावना जताई जा रही थी कि अक्टूबर में होने वाली सदन की बैठक में महापौर का चुनाव हो जाएगा।

निगम ने इस चुनाव के लिए मंजूरी भी मांगी थी, लेकिन महापौर ने त्योहारी मौसम को देखते हुए पार्षदों की व्यस्तता का हवाला देते हुए मंजूरी नहीं दी। हाल ही में भाजपा ने महापौर कार्यालय के बाहर भी प्रदर्शन किया था।

स्थायी समिति नहीं बनी तो चार लाख स्ट्रीट लाइटों पर संकट

दिल्ली में स्थायी समिति का गठन न होने की वजह से निगम की कई परियोजनाओं में दिक्कत आ रही है। आगामी दो माह में स्थायी समिति का गठन नहीं हुआ तो चार लाख स्ट्रीट लाइटों पर संकट आ जाएगा, क्योंकि इन स्ट्रीट लाइटों की मरम्मत और रखरखाव का कार्य दिसंबर में खत्म हो रहा है। ऐसे में टेंडर खत्म होने तक नई कंपनी का चयन नहीं हुआ तो स्ट्रीट लाइटों के मरम्मत और नए स्थान पर स्ट्रीट लाइट लगाने में काफी दिक्कत होगी।

खास तौर पर यह दिक्कत पूर्वकालिक दक्षिणी निगम के अधीन आने वाले चार जोन मध्य, दक्षिणी, पश्चिमी और नजफगढ़ जोन में होगी। इससे बचने के लिए एमसीडी ने पूर्व में ही तैयारी शुरू कर दी है, लेकिन स्थायी समिति का गठन नहीं हुआ तो समस्या बढ़ना तय है। 

आठ से नौ वर्ष की समय-सीमा पूरी

उल्लेखनीय है कि एमसीडी ने 2014 में एलईडी आधारित स्ट्रीट लाइटें लगाने का कार्य शुरू किया था। इसके तहत करीब चार लाख एलईडी स्ट्रीट लाइटें लगाई गई थीं। ऐसे में यह लाइटें अभी अपनी आठ से नौ वर्ष की समय-सीमा पूरी कर चुकी हैं।

इसलिए इन लाइटों को बदलने और रखरखाव के लिए निर्धारित की गई कंपनी ईईएसएल को दिए गए कार्य की कार्यावधि भी पूरी हो चुकी है। साथ ही तय शर्तों के अनुसार एक वर्ष की कार्यविस्तार की अवधि भी दिसंबर में पूरी हो रही है।

इसलिए अब नए सिरे से इन लाइटों को ठीक करने और नई लाइटें लगाने वाली कंपनी का चयन निविदा के माध्यम से करना होगा। चूंकि नियमानुसार पांच करोड़ से अधिक की परियोजना के लिए स्थायी समिति की मंजूरी जरूरी होती है, इसलिए इसके लिए निविदा करने के लिए एमसीडी ने निगम के सदन के सामने प्रस्ताव रखा है। इस प्रस्ताव के तहत सदन की प्रशासनिक स्वीकृति ली जाएगी।

निगम ने रखा 1143 करोड़ रुपये का खर्च का अनुमान

निगम की योजना है कि 10 साल तक ऐसी कंपनी का चयन किया जाए जो नई स्ट्रीट लाइटें लगा सके। साथ ही पुरानी स्ट्रीट लाइटों का भी रखरखाव कर सके। इस पर निगम ने 1143 करोड़ रुपये का खर्च का अनुमान रखा है।

एमसीडी अधिकारियों का कहना है कि अगर, समय रहते इस निविदा जारी नहीं हुई और कार्यादेश जारी नहीं किए गए तो चारों जोन में चार लाख स्ट्रीट लाइटों को लेकर समस्या हो सकती है, क्योंकि रखरखाव के अभाव में खराब स्ट्रीट लाइटों को बदलने में दिक्कत होगी।

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