Delhi Fire: दिल्ली में सकरी गलियों में चल रहे PG, कोचिंग की तरह यहां भी नहीं हो रहा नियमों का पालन
दिल्ली में रिहायशी इलाके जो कोचिंग सेंटरों का हब बन गए हैं उसके आस-पास के इलाके पीजी के तौर पर उपयोग किए जाने लगे हैं। यही वजह है कि यहां से लोग संपत्तियां बेचकर या किराये पर देकर दूसरे इलाकों का रुख कर रहे हैं। इन पीजी में न तो फायर की एनओसी होती है और न ही दो सीढ़िया होती है।
By Nihal SinghEdited By: Abhishek TiwariUpdated: Thu, 28 Sep 2023 08:56 AM (IST)
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। मुखर्जी नगर के कोचिंग सेंटर में 15 जून को लगी आग से प्रशासन को कोई असर नहीं पड़ा है। यही वजह है कि न तो कोचिंग सेंटरों पर कार्रवाई पूरी हो पाई है और अब पीजी (पेइंग गेस्ट) में भयानक आग ने फिर एक बार प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
जिस प्रकार से कोचिंग सेंटरों के संचालन पर कोई नियम नहीं थे उसी प्रकार से पीजी चलाने को लेकर भी मास्टर प्लान में कोई खास जिक्र नहीं है। बस भवन निर्माण के नियमों का पालन ही इन गतिविधियों को संरक्षित करता है।
दिल्ली में रिहायशी इलाके जो कोचिंग सेंटरों का हब बन गए हैं उसके आस-पास के इलाके पीजी के तौर पर उपयोग किए जाने लगे हैं। यही वजह है कि यहां से लोग संपत्तियां बेचकर या किराये पर देकर दूसरे इलाकों का रुख कर रहे हैं।नियमानुसार जहां पीजी चल रहा है उस इमारत कम से कम अग्निशमन विभाग से एनओसी तो होनी ही चाहिए साथ ही आने जाने के लिए दो सीढ़िया होनी चाहिए। लेकिन इन पीजी में न तो फायर की एनओसी होती है और न ही दो सीढ़िया होती है।
भवन निर्माण के नियमों का पूरी तरह से उल्लंघन कर इन पीजी को चलाया जा रहा है और संपत्ति मालिक मोटा किराया इन छात्रों से वसूल कर गाड़ी कमाई कर रहे हैं।
एक-एक इमारत में 10-12 कमरे विभिन्न फ्लोर पर बनाए जाते हैं। जिनमें साझा रूप से दो या तीन छात्र एक साथ रहते हैं। इन पीजी को बनाया तो रिहायशी उपयोग के लिए जाता है, लेकिन 20-30 छात्र एक प्लाट में रहते तो आग लगने पर उनकी जान को नुकसान होता है।ममगाई का कहना है कि कोचिंग सेंटर के की तरह पीजी के लिए भी कोई नियम नहीं है। इसलिए निगम से लेकर दिल्ली पुलिस और अग्निशमन विभाग की मिली भगत से यह पीजी संचालित होते हैं। क्योंकि दिल्ली में बहुत कम ही पीजी ऐसे होंगे जो नक्शा पास किए गए भवन में चल रहे हैं होंगे और उनके पास अग्निश्मन से एनओसी भी है।
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एमसीडी निर्माण समिति के पूर्व चेयरमैन जगदीश ममगाई कहते हैं कि चाहे मुखर्जी नगर हो या लक्ष्मी नगर, मुनिरिका, करोल बाग, राजेंद्र नगर,कालू सराय जैसे इलाके कोचिंग सेंटरों के हब के रूप में तब्दील हो गए हैं। भारत के विभिन्न राज्यों के छात्र यहां पर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए आते हैं। वह कोचिंग सेंटर में दाखिला लेने के आस-पास ही रहने को ढूंढते हैं तो वहीं, पर रिहायशी संपत्ति जो की पीजी में तब्दील हो चुकी है उन्हीं में रहते हैं।Also Read-दिल्ली के मुखर्जी नगर में गर्ल्स PG में लगी भयंकर आग, बिल्डिंग में फंसी सभी लड़कियों को सुरक्षित निकाला गयाएक-एक इमारत में 10-12 कमरे विभिन्न फ्लोर पर बनाए जाते हैं। जिनमें साझा रूप से दो या तीन छात्र एक साथ रहते हैं। इन पीजी को बनाया तो रिहायशी उपयोग के लिए जाता है, लेकिन 20-30 छात्र एक प्लाट में रहते तो आग लगने पर उनकी जान को नुकसान होता है।ममगाई का कहना है कि कोचिंग सेंटर के की तरह पीजी के लिए भी कोई नियम नहीं है। इसलिए निगम से लेकर दिल्ली पुलिस और अग्निशमन विभाग की मिली भगत से यह पीजी संचालित होते हैं। क्योंकि दिल्ली में बहुत कम ही पीजी ऐसे होंगे जो नक्शा पास किए गए भवन में चल रहे हैं होंगे और उनके पास अग्निश्मन से एनओसी भी है।