Safdarjung Hospital में पहली बार 9 साल के बच्चे का सफल बोन मैरो ट्रांसप्लांट, दुर्लभ ब्लड कैंसर से पीड़ित था मासूम
सफदरजंग अस्पताल ने एक 9 वर्षीय बच्चे को सफलतापूर्वक बोन मैरो प्रत्यारोपण किया है। यह अस्पताल में बच्चों के लिए पहला बोन मैरो प्रत्यारोपण है। बच्चे को हॉजकिन लिंफोमा था जिसका इलाज बोन मैरो प्रत्यारोपण से ही संभव था। निजी अस्पतालों में इस इलाज का खर्च लगभग 12 लाख रुपये है जबकि सफदरजंग अस्पताल में बच्चे का निशुल्क इलाज किया गया है।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सफदरजंग अस्पताल में ब्लड कैंसर से पीड़ित एक नौ वर्षीय बच्चों को बोनमैरो प्रत्यारोपण किया गया। यह सफदरजंग अस्पताल में बच्चों के बोनमैरो प्रत्यारोपण का पहला मामला है। बोनमैरो प्रत्यारोपण के बाद बच्चे के स्वास्थ्य में सुधार है। उसे अस्पताल से छुट्टी मिल चुकी है। फिलहाल डॉक्टरों ने उसे फॉलोअप में रखा है।
सफदरजंग अस्पताल प्रशासन के अनुसार बच्चे को हाजकिन लिंफोमा की बीमारी थी। बोनमैरो प्रत्यारोपण ही इस बीमारी का स्थाई इलाज है। दो वर्ष पहले ही सफदरजंग अस्पताल में बोनमैरो प्रत्यारोपण की सुविधा शुरू की गई थी। अब तक इस अस्पताल में चार व्यस्क मरीजों को बोनमैरो प्रत्यारोपण हो चुका है। लेकिन तक इस अस्पताल में बच्चों को बोनमैरो प्रत्यारोपण नहीं हुआ था।
बच्चे का फॉलोअप चल रहा था
अस्पताल के एक वरिष्ठ डॉक्टर ने बताया कि बच्चा असम का रहने वाला है। दो वर्ष पहले उसे यह बीमारी हुई थी। तब सफदरजंग अस्पताल में ही उसका इलाज हुआ था और वह ठीक हो गया था। इसके एक वर्ष बाद इस बच्चे को दोबारा यह बीमारी हो गई। तब से इसका फॉलोअप चल रहा था।दो अगस्त को पीडियाट्रिक विभाग के हेमेटोलॉजी आंकोलॉजी के विशेषज्ञ डॉ. प्रशांत प्रभाकर के नेतृत्व में बच्चे को बोनमैरो प्रत्यारोपण किया गया। इसके बाद किमोथेरेपी दी गई। बच्चे के स्वास्थ्य में सुधार होने के बाद सात सितंबर को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
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