Delhi News: संतों को बदनामी को लेकर नहीं होना चाहिए चिंतित, अविमुक्तेश्वरानंद की याचिका पर बोला हाईकोर्ट
Delhi High Court उत्तराखंड के जोशीमठ स्थित ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने गोविंदानंद सरस्वती के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया था। जिस पर दिल्ली हाईकोर्ट ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि संत को अपनी बदनामी को लेकर चिंता नहीं करनी चाहिए। संत अपने कर्मों से सम्मान पाते हैं। अब इस मामले में 29 अगस्त को सुनवाई होगी।
विनीत त्रिपाठी, नई दिल्ली। (Avimukteshwaranand Saraswati) शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती द्वारा गोविंदानंद सरस्वती के खिलाफ दायर मानहानि मुकदमा पर अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने टिप्पणी की कि आप एक संत हैं, आप इस बारे में चिंतित क्यों हैं?
कोर्ट ने मामले को किया 29 अगस्त के लिए सूचीबद्ध
संतों को इन सब से चिंतित नहीं होना चाहिए, इससे उन्हें बदनाम नहीं किया जा सकता, संत अपने कर्मों से सम्मान पाते हैं। अदालत ने अंतरिम निषेधाज्ञा आवेदन पर नोटिस करते हुए मामले को 29 अगस्त के लिए सूचीबद्ध कर दिया।
न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ ने कहा कि यह अदालत इस स्तर पर कोई भी अंतरिम एकतरफा आदेश पारित करना उचित नहीं समझती है। अविमुक्तेश्वरानंद के वकील ने कहा कि कि गोविंदानंद उन्हें फर्जी बाबा, ढोंगी बाबा, चोर बाबा कहते हैं।
साध्वियों के साथ अवैध संबंध होने का भी आरोप-अविमुक्तेश्वरानंद
गोविंदाचार्य (Govindananda Saraswati) कह रहे हैं कि अविमुक्तेश्वरानंद लोगों का अपहरण करा रहे हैं और हिस्ट्रीशीटर हैं। इतना ही नहीं मुझपर सात हजार करोड़ का सोना चुराने और साध्वियों के साथ अवैध संबंध होने का भी आरोप लगाया है। इस पर पीठ ने कहा कि ये सुनने में खराब है पर अदालत की राय है कि गोविंदाचार्य सिर्फ निराश है लेकिन मुझे नहीं लगता कि इसमें कोई मानहानि है।
यह भी पढ़ें: Delhi Coaching Centre Death Case: 'क्या MCD ने आरोपियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया था', कोर्ट ने CBI से पूछा
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।