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Delhi News: AAP को साकेत कोर्ट से राहत, CM केजरीवाल व अन्य आप नेताओं पर FIR की मांग वाली याचिका खारिज

साकेत कोर्ट ने दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 के संबंध में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवालआम आदमी पार्टी के नेता गोपाल राय और प्रकाश जरवाल समेत अन्य लोगों के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया। यह याचिका सीआरपीसी की धारा 156(3) के तहत दायर की गई थी।

By Rajneesh kumar pandeyEdited By: Aditi ChoudharyUpdated: Sun, 16 Oct 2022 07:40 AM (IST)
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AAP को साकेत कोर्ट से राहत, CM केजरीवाल व अन्य आप नेताओं पर FIR की मांग वाली याचिका खारिज
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। साकेत कोर्ट ने दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 के संबंध में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल,आम आदमी पार्टी के नेता गोपाल राय और प्रकाश जरवाल समेत अन्य लोगों के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया। यह याचिका सीआरपीसी की धारा 156(3) के तहत दायर की गई थी।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वृंदा कुमारी ने 1000 रुपये के जुर्माना लगाते हुए शिकायत खारिज कर दी। न्यायाधीश ने आदेश में कहा कि एफआइआर दर्ज करने या संज्ञान लेने का कोई आधार नहीं है। इसलिए सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत आवेदन को 1000 रूपये के जुर्माना के साथ खारिज किया जाता है।

आरक्षित सीट से चुनाव लड़ने का मामला

गौरतलब है कि मामले में शिकायत अनुसूचित जाति (एससी) समुदाय के सदस्य दल चंद कपिल ने दर्ज कराई थी। जिन्होंने 2015 और 2020 में देवली (एससी) निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा। कपिल ने आरोप लगाया कि 2020 में आरक्षित सीट से चुनाव जीतने वाले जरवाल बैरवा/बेरवा समुदाय से संबंधित है, जो दिल्ली में ओबीसी की श्रेणी में आता है।

शिकायत में आरोप लगाया गया कि निर्वाचन क्षेत्र से उनके चुनाव ने दिल्ली विधानसभा में एससी समुदाय के प्रतिनिधित्व एक सीट से कम कर दिया। जरवाल एससी सीट से चुनाव लड़ने के योग्य नहीं है। कपिल ने आरोप लगाया कि भारत के चुनाव आयोग के अधिकारियों को गलत सूचना देने और धोखा देने के लिए झूठा और जाली सर्टिफिकेट जारी किया गया।

सीएम केजरीवाल पर लगाया आरोप

उन्होंने आगे कहा कि केजरीवाल और राय संयुक्त रूप से और गंभीर रूप से गैर एससी उम्मीदवार को पार्टी का टिकट देकर विधानसभा में एससी प्रतिनिधित्व को कम करने की साजिश के लिए उत्तरदायी हैं। कपिल ने अप्रैल, 2021 में पुलिस में शिकायत दी थी लेकिन कोई एफआइआर दर्ज नहीं की गई। संबंधित पुलिस आयुक्त के पास भी शिकायत दी गई, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।

अदालत के समक्ष यह प्रस्तुत किया गया कि एफआइआर दर्ज नहीं करने से पुलिस अधिकारी एससी/एसटी एक्ट की धारा 4 और एससी/एसटी नियम 1995 के नियम 5 (1) के तहत उत्तरदायी हैं। शिकायत में प्रस्तावित प्रतिवादियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने की मांग की गई। जरवाल के नाम से जारी एससी सर्टिफिकेट पर गौर करते हुए कोर्ट ने कहा कि यह सर्टिफिकेट एसडीएम द्वारा ऐसे एससी/एसटी व्यक्ति की श्रेणी के तहत जारी किया गया था, जो दूसरे राज्य या केंद्रशासित प्रदेश से पलायन कर गए थे।

अदालत ने शिकायतकर्ता को लगाई फटकार

अदालत ने यह भी कहा कि शिकायतकर्ता ने चुनावी याचिका के माध्यम से 2020 में दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष जरवाल के चुनाव को भी चुनौती दी थी, जो अभी भी लंबित है। यह भी नोट किया गया कि अदालत के समक्ष शिकायत हाईकोर्ट के समक्ष चुनाव याचिका दायर करने के दो साल बाद और पुलिस में शिकायत दर्ज करने के एक साल बाद दायर की गई, जिसमें कहा गया कि देरी के लिए कोई ठोस कारण नहीं दिया गया। अदालत ने यह भी कहा कि शिकायतकर्ता द्वारा जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की विषय वस्तु को एससी/एसटी एक्ट के दायरे में लाने का प्रयास करना प्रक्रिया का दुरुपयोग है।

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