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Same Sex Marriage: समलैंगिक विवाह मामले पर सर्व धर्म सद्भाव, सुप्रीम कोर्ट के फैसले को विश्व हिंदू परिषद ने सराहा

ऐसा कम ही दिखता है कि जब किसी मामले को लेकर विभिन्न धर्म के धार्मिक संगठन एक मंच पर हों। महत्वपूर्ण समलैंगिक विवाह मामले में ऐसा देखा गया। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की सभी ने राहत की सांस लेते हुए सराहना की है और इसे धार्मिक मान्यताओं और सामाजिक-पारिवारिक व्यवस्था के अनुकूल बताया है। साथ ही केंद्र सरकार से देश की जनभावनाओं के अनुसार आगे बढ़ने का आग्रह किया है।

By Nimish HemantEdited By: GeetarjunPublished: Tue, 17 Oct 2023 11:08 PM (IST)Updated: Tue, 17 Oct 2023 11:08 PM (IST)
स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती और विहिप के केंद्रीय कार्याध्यक्ष व वरिष्ठ अधिवक्ता आलोक कुमार।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। ऐसा कम ही दिखता है कि जब किसी मामले को लेकर विभिन्न धर्म के धार्मिक संगठन एक मंच पर हों। महत्वपूर्ण समलैंगिक विवाह मामले में ऐसा देखा गया। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की सभी ने राहत की सांस लेते हुए सराहना की है और इसे धार्मिक मान्यताओं और सामाजिक-पारिवारिक व्यवस्था के अनुकूल बताया है।

साथ ही केंद्र सरकार से देश की जनभावनाओं के अनुसार, आगे बढ़ने का आग्रह किया है। वैसे, भी सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई के शुरू होने के साथ ही धार्मिक संगठनों ने इसका विरोध जताया था और कुछ संगठनों ने प्रतिकूल निर्णय आने पर आंदोलन तक की चेतावनी दी थी।

फिलहाल, इस निर्णय से सभी खुश है। विहिप ने समलैंगिक विवाह और उनके द्वारा दत्तक लिए जाने को कानूनी मान्यता नहीं दिए जाने के सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का स्वागत किया है।

विहिप के केंद्रीय कार्याध्यक्ष व वरिष्ठ अधिवक्ता आलोक कुमार ने कहा है कि हमें संतोष है कि सर्वोच्च न्यायालय ने हिन्दू, मुस्लिम और ईसाई मतावलंबियों सहित सभी संबंधित पक्षों को सुनने के बाद यह निर्णय दिया है कि दो समलैंगिकों के बीच संबंध विवाह के रूप में पंजीयन योग्य नहीं है। यह उनका मौलिक अधिकार भी नहीं है। समलैंगिकों को किसी बच्चे को दत्तक लेने का अधिकार भी ना दिया जाना भी एक अच्छा कदम है।

इसी तरह, अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि संबंधों को लेकर सरकार चाहे जो नजरिया अपनाए, लेकिन विवाह संस्कार है। समलैंगिक विवाह को मंजूरी नहीं दी जा सकती है। समिति ने प्रतिकूल निर्णय आने पर आंदोलन की चेतावनी दी थी।

आल इंडिया इमाम ऑर्गनाइजेशन के चीफ इमाम डॉ. उमेर अहमद इलियासी ने कहा कि यह अप्राकृतिक व्यवस्था किसी भी धर्म में स्वीकार नहीं है क्योंकि यह इंसानियत व समाज के लिए ठीक नहीं है। कुदरत ने पुरुष, महिला का जोड़ा बनाया। अगर उसमें बदलाव करते हैं तो बीमारियां भी पैदा होती है।

जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने कहा कि शरीयत में इसकी कहीं भी गुजाइंश नहीं है। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रवक्ता सुदीप सिंह कहते हैं कि सिख धर्म इसकी इजाजत नहीं देता है। पिछले दिनों पंजाब में गुरुद्वारे में समलैंगिक विवाह का मामला सामने आया तब अकाल तख्त ने गुरुद्वारे के पुजारी के विरूद्ध कड़ी कार्रवाई करते हुए स्पष्ट संदेश दिया गया है कि यह स्वीकार्य नहीं है।

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"उच्चतम न्यायालय का समलैंगिक विवाह संबंधित निर्णय स्वागत योग्य है। हमारी लोकतांत्रिक संसदीय व्यवस्था इससे जुड़े सभी मुद्दों पर गंभीर रूप से चर्चा करते हुए उचित निर्णय ले सकती है।'' -सुनील आंबेकर, अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ।


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