'अब विकास के नाम पर वोट नहीं करती दिल्ली', PM मोदी की तारीफ के बाद अब LG सक्सेना के पक्ष में उतरे संदीप दीक्षित
कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने कहा तासीर तो हमेशा बदलती रहती है दिल्ली में कभी किसी तीसरी पार्टी के लिए कोई गुंजाइश नहीं थी लेकिन आज दिल्ली में वह भी है। दिल्ली में हमेशा कांग्रेस और भाजपा के बीच खींचतान बनी रहती थी। इसी तरह दिल्ली के मतदाताओं की प्रोफाइल भी बदल गई दिल्ली पहले हमेशा विकास पर वोट करती थी कभी लालच पर वोट नहीं करती थी
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। बेशक दिल्ली में आप और कांग्रेस गठबंधन में लोकसभा चुनाव लड़ रही हैं, लेकिन इससे पूर्व सांसद और वरिष्ठ कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित इससे खुश नहीं लगते। शुक्रवार को उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तारीफ की तो शनिवार को वह एलजी वीके सक्सेना के साथ खड़े नजर आए।
दीक्षित ने कहा कि पहले दिल्ली के लोग विकास के लिए वोट डालते थे, लेकिन अब लालच के लिए वोट करते हैं। इसके साथ ही उन्होंने आप द्वारा एलजी पर धीमी वोटिंग कराने संबंधी लगाए गए आरोपों पर भी उनका बचाव किया। उन्हाेंने कहा कि वोटिंग धीमी हो या तेज होना चुनाव की रणनीति पर निर्भर करता है।
तासीर हमेशा बदलती रहती है: संदीप दीक्षित
संदीप दीक्षित ने कहा, ''तासीर तो हमेशा बदलती रहती है, दिल्ली में कभी किसी तीसरी पार्टी के लिए कोई गुंजाइश नहीं थी, लेकिन आज दिल्ली में वह भी है। दिल्ली में हमेशा कांग्रेस और भाजपा के बीच खींचतान बनी रहती थी, लेकिन वो तासीर भी बदली और तीसरी पार्टी आ गई। इसी तरह दिल्ली के मतदाताओं की प्रोफाइल भी बदल गई, दिल्ली पहले हमेशा विकास पर वोट करती थी, कभी लालच पर वोट नहीं करती थी, लेकिन अब दिल्ली लालच पर वोट करती है, विकास पर वोट नहीं करती।उंगली उठाने का कोई मतलब नहीं: संदीप दीक्षित
संदीप ने मतदान के तेज या धीमे होने की वजह भी बताई। उन्होंने कहा, ''ये चुनाव की रणनीति होती है, आपके जो पोलिंग एजेंट होते हैं, उन पर बहुत कुछ निर्भर करता है। अगर आपके पोलिंग एजेंट मुस्तैदी से बैठेंगे तो तेजी से वोटिंग होती है। इसमें किसी और पर उंगली उठाने का कोई मतलब नहीं है। ये चुनाव की रणनीति की बातें हैं।''
एलजी साहब ने जो कहा, वो सही है: संदीप दीक्षित
उन्होंने कहा, ''जैसे मैं अभी एक बूथ पर गया था, वहां भाजपा का जो पोलिंग एजेंट था वो सरकारी एजेंटों के साथ बैठा हुआ था, जिससे मतदान धीमा हो रहा था। हमने उसको अलग करवाया। इसके बाद सरकारी ने अलग काम शुरू किया, पार्टी के पोलिंग एजेंट्स अलग हो गए, अपने आप मतदान तेज हो गया। इसलिए मैं मानूंगा कि एलजी साहब ने जो कहा है कि वो सही है कि इसे लेकर कोई शिकायत ना करे।उन्होंने कहा कि बात ये है कि हमारे जो पोलिंग एजेंट होते हैं, बाहर उनके रिलिवर होते हैं, उनके पास बहुत अधिकार होते हैं। अगर किसी भी कारण से पोलिंग धीमी हो रही हो, चाहे रणनीति के तहत धीमी कर रहे हों या ऐसे ही धीमी हो रही हो तो वे उसे तेज करवा सकते हैं।''ये भी पढ़ें- दिल्ली में मतदान रहा शांतिपूर्ण, चुनाव आयोग ने बताया आखिर क्या थी इसके पीछे की उनकी तैयारी
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