Farmers Protest: क्या जल्द खत्म होने वाला है किसान आंदोलन? संयुक्त किसान मोर्चा ने की बातचीत की पेशकश
Farmers Protest संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से प्रधानमंत्री को चिट्ठी भेजी गई है जिसमें कृषि कानून के अलावा अन्य मांगों को लेकर वार्ता की भी पेशकश की गई है। मोर्चा पीएम मोदी के कदम को सकारात्मक बता रहा है।
By Mangal YadavEdited By: Updated: Tue, 23 Nov 2021 07:38 AM (IST)
नई दिल्ली /सोनीपत [संजय निधि]। संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से प्रधानमंत्री को खुली चिट्ठी भेजी गई है, जिसमें कृषि कानून के अलावा अन्य मांगों को लेकर वार्ता की भी पेशकश की गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कृषि कानून वापस लेने की घोषणा और इसको लेकर कैबिनेट की बैठक बुलाने को मोर्चा सकारात्मक कदम बता रहा है। मोर्चा का मानना है कि सरकार यह समझ रही है कि उनकी मांगें जायज हैं। इसलिए उनकी एक मांग मानकर सकारात्मक रुख दिखाया। उन्हें उम्मीद है कि लंबित मांगों को लेकर भी सरकार उनके साथ जल्द वार्ता करेगी।
तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा के साथ ही कुंडली बार्डर करीब एक साल से धरना दे रहे प्रदर्शनकारी किसान उत्साहित हो गए। घोषणा के साथ ही कुछ प्रदर्शनकारियों ने तो वापसी की तैयारी भी शुरू कर दी थी, लेकिन आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर उन्हाेंने कदम रोक लिये।हालांकि प्रदर्शनकारियों का मानना है कि प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद मोर्चा को भी नरम रुख अपनाना चाहिए और उन्होंने ऐसा किया भी है। यही वजह है कि उन्होंने वार्ता की पेशकश की है। एक दिन पहले प्रेसवार्ता के दौरान मोर्चा के नेताओं ने भी यह संकेत दिये थे कि यदि वार्ता के दौरान उनकी मांगों पर सरकार का रुख सकारात्मक रहा तो आंदोलन समाप्त हो सकता है।
फिलहाल मोर्चा की प्रमुख मांगोंं में न्यूनतम समर्थन (एमएसपी) मूल्य की गारंटी कानून, आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के स्वजनों को मुआवजा, पुनर्वास और दर्ज मुकदमे वापस लेना प्रमुख हैं। एमएसपी पर तो मोर्चा के नेताओं ने सरकार द्वारा गठित कमेटी की रूपरेखा और डेडलाइन आदि पर अपनी बात रख ही चुके हैं। शेष मुद्दों पर यदि सरकार कोई ठोस आश्वासन देती है तो आंदोलन समाप्त हो सकता है।
टल सकता है संसद कूच
संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से घोषित 29 नवंबर का संसद कूच फिलहाल टल भी सकता है। मोर्चा ने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम फिलहाल यथावत जारी रखने की बात कही है, लेकिन संसद कूच को लेकर स्पष्ट तौर पर कुछ नहीं कहा। इसके लिए 27 नवंबर की बैठक में अंतिम निर्णय लेने की बात कही गई। बताया जाता है कि माेर्चा को उम्मीद है कि इससे पूर्व सरकार के साथ वार्ता हो सकती है और इसमें कोई न कोई समाधान निकल आएगा।
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