बिना खराब हुए फलों व सब्जियों की ढुलाई के लिए 'सारथी' बनेगा सहारा
सारथी एक क्रांतिकारी तकनीक है जो फलों और सब्जियों को अलग-अलग तापमान पर रखने और एक जगह से दूसरी जगह सुरक्षित पहुंचाने में मदद करती है। इसमें एक मोबाइल ऐप के जरिये तापमान नमी कार्बन डाइऑक्साइड और इथिलीन की स्थिति की दूर से निगरानी और नियंत्रित किया जा सकता है। सारथी के साथ अब फल और सब्जियां लंबी दूरी तक भी ताजा और सुरक्षित रहेंगी।
अजय राय, नई दिल्ली। राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी उद्यमिता और प्रबंधन संस्थान का 'सारथी' (सोलर अस्सिटेड रेफ्रिजरेशन ट्रांसपोर्टेशन विद हाइब्रिड कंट्रोल एंड इंटेलीजेंस) एक ऐसा सिस्टम तैयार किया है जो फल और सब्जियों को अलग-अलग तापमान पर रखने और एक जगह से दूसरी जगह सुरक्षित पहुंचाने में मदद करेगा। इसमें एक मोबाइल ऐप के जरिये तापमान, नमी, कार्बन डाइऑक्साइड और इथिलीन की स्थिति की दूर से निगरानी और नियंत्रित किया जा सकता है।
फल और सब्जियों को खराब होने से बचाने के लिए 0-4 डिग्री और 8-12 डिग्री तापमान पर फलों व सब्जियों को रखा जा सकता है। रास्ते में एयर सर्कुलेशन के लिए सौर ऊर्जा का उपयोग किया जा सकता है। इस तकनीकी के साथ ये भारत का पहला ऐसा परिवहन रेफ्रीजरेशन है, जो फलों और सब्जियों की दूर दूर तक ढुलाई में मददगार साबित हो सकता है।खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय (एमओएफपीआइ) के अतंर्गत हरियाणा में सोनीपत के कुंडली स्थित राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी उद्यमिता और प्रबंधन संस्थान (एनआइएफटीएम या निफटेम) ने हाइब्रिड नियंत्रण और इंटेलिजेंस के साथ सौर ऊर्जा आधारित ट्रांसपोर्टेशन को विकसित किया है।
देश में अब तक एक ही कंटेनर में विभिन्न तापमान और सापेक्ष आर्द्रता की स्थिति में फलों और सब्जियों का परिवहन के लिए प्रणाली विकसति नहीं की गई थी। फल और सब्जियों की ताजगी बनाए रखने के लिए कटाई के बाद भी उन्हें अनुकूल स्थिति देनी होती है। परिवहन के दौरान तापमान में बदलाव से इनमें काफी बदलाव आते हैं, जिससे फल खराब हो जाते हैं।फलों को यदि उनके उपयुक्त तापमान से कम पर संग्रहित किया जाए तो वे क्षतिग्रस्त हो सकते हैं, जबकि सब्जियां, विशेष रूप से पत्तेदार सब्जियां यदि उनके इष्टतम आवश्यकता से अधिक तापमान पर संग्रहित की जाती हैं तो वाष्पीकरण के कारण उनकी कठोरता और बनावट खराब हो जाती है। इस विशेष मोबाइल वैन को दिल्ली में वल्र्ड फुड इंडिया प्रदर्शनी में पेश किया गया था।
सारथी के तहत एक कंटेनर में बने एक डिब्बे में 0-5 डिग्री सेल्सियस और दूसरे डिब्बे में 7-12 डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान होता है। इसमें विशिष्ट आवश्यकताओं के आधार पर तापमान में परिवर्तन करने की भी व्यवस्था है। इसके एक डिब्बे में -10 डिग्री सेल्सियस का तापमान प्राप्त करने और बनाए रखने की भी व्यवस्था है। सारथी में एक व्यवस्था यह भी है कि जो इंजन की शक्ति से जरुरी 220 वोल्ट लेकर चलने में सक्षम है।
दो अलग-अलग डिब्बों में तापमान, सापेक्ष आर्द्रता, एथिलीन और कार्बन डाइऑक्साइड की निगरानी वाहन के अंदर लगे विशिष्ट सेंसर का उपयोग करके की जाती है। सेंसर से प्राप्त डेटा को इंटरनेट आफ थिंग्स के साथ एकीकृत किया जाता है और क्लाउड पर भेजा जाता है, जिसे ताजे फलों और सब्जियों के परिवहन के दौरान होने वाले गुणवत्ता मापदंडों और परिवर्तनों के बारे में वास्तविक समय की जानकारी प्राप्त करने के लिए मोबाइल एप का उपयोग करके डाउनलोड किया जा सकता है।
नवाचार से जुड़े निफटेम के सह प्रध्यापक डॉ. विंकेल कुमार अरोड़ा ने बताया कि यह बंद कंटेनरों के अंदर खराब होने वाली वस्तुओं की गुणवत्ता के बारे में प्रभावी निर्णय लेने में मदद करता है, जिससे ढुलाई में उनके बेहतर प्रबंधन में सहायता मिलती है। वाहन में खराब या सड़े और क्षतिग्रस्त उत्पादों को गंतव्य तक ले जाने के बजाय गुणवत्ता मूल्यांकन के आधार पर उत्पाद को पास के बाजार तक पहुंचा सकता है। इससे फलों सब्जियों में पोषण हानि, कार्बन फुटप्रिंट में वृद्धि और ऊर्जा की बर्बादी रोकी जा सकती है।
सारथी की छत पर चार्ज कंट्रोलर, बैटरी और इन्वर्टर के साथ एक सौर ऊर्जा सिस्टम भी लगाया गया है ताकि हवा के संचलन के लिए एयर हैंडलिंग यूनिट के पंखे चलाए जा सकें और बीच-बीच में वाहन रुकने के दौरान कम समय के लिए वांछित तापमान बनाए रखा जा सके।
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