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जानिए, दिल्‍ली का यह किलेनुमा बाजार जहां होती है 'तीसरे नेत्र' से निगरानी

बाजार किलेनुमा बसावट के भीतर बना हुआ है, जिसमें प्रवेश और निकासी के तीन विशाल दरवाजे हैं।

By JP YadavEdited By: Updated: Thu, 18 Jan 2018 05:36 PM (IST)
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जानिए, दिल्‍ली का यह किलेनुमा बाजार जहां होती है 'तीसरे नेत्र' से निगरानी

नई दिल्ली (नेमिष हेमंत)। पुरानी दिल्ली का एक बाजार कई मामलों में अन्य बाजारों से अलग है। इसक खास बात यह है कि इसकी नागरिक व्यवस्था सुदृढ़ है और खुद ही विकसित की है। बाजार किलेनुमा बसावट के भीतर बना हुआ है, जिसमें प्रवेश और निकासी के तीन विशाल दरवाजे हैं। बाजार में पत्थरों की सड़क कोई 89 साल पुरानी है, तो अधिकतर दुकानें भी उतनी ही पुरानी हैं। खास बात यह भी है कि सफाई के लिए 10 कर्मचारी है और 15 सुरक्षा गार्ड है। इसी तरह सात सीसीटीवी कैमरों से भी बाजार की सुरक्षा पर निगाह रखी जाती है।

बात हो रही है-चर्च मिशन रोड पर स्थित कपड़ा मार्केट की। इसके दरवाजों को देखकर अंदाजा नहीं लगता है कि इसके पीछे पूरा एक बाजार बसा हुआ है। कुछ सौ नहीं, बल्कि पूरी 850 दुकानें और उतने ही फ्लैट। यह बाजार रजाई, कंबल, चादर, तौलिया समेत होम फर्निशिंग के कपड़ों के लिए प्रसिद्ध है।

89 साल पुराना है यह बाजार

यह बाजार 89 साल पुराना है। बताया जाता है कि राय केदारनाथ मोढ़ा ने 100 लोगों के साथ मिलकर वर्ष 1923 मे अंग्रेजों से यहां की जमीन खरीदी और उसमे 850 दुकानों का निर्माण कराकर बाजार को बसाया।

विशाल दरवाजे के अंदर है बाजार

बाजार को किलेनुमा निर्माण के भीतर बसाया गया है, जिसके तीन ओर सड़कें हैं। तीनों सड़कों पर विशाल गेट है, जिसमें अब भी विशाल दरवाजे लगे हैं। इसका निर्माण इस तरीके से कराया गया कि रात में बाहरी लोगों से यह बाजार महफूज रहे।

बाजार की गलियों में पत्थर बिछे

भूतल पर गोदाम, प्रथम तल पर दुकान की गद्दी और द्वितीय तल पर दुकानदारों का परिवार रहता था। हालांकि, अब कम ही परिवार यहां बचे हैं। यह बाजार 1929 से अस्तित्व में है। खास बात कि इस बाजार की दुकानें अभी भी पुरानी भव्यता समेटे हुए हैं, क्योंकि सारी इमारतें पुरानी हैं। बाजार की गलियों में पत्थर बिछे हुए हैं, जो उसी समय के है। चहलकदमी करते हुए इनका आकर्षण ऐतिहासिक धरोहर से जोड़े रखता है।

खास है बाजार की नागरिक व्यवस्था

विशेष बात कि आज भी बाजार की नागरिक व्यवस्था अपनी है। यह व्यवस्था नौ सदस्यीय दिल्ली क्लाथ मार्केट ट्रस्ट देखती है। आज भी सड़क, सीवर, सुरक्षा और सफाई का जिम्मा ट्रस्ट के हवाले है। बताया जाता है कि कुछ दशक पहले तक बिजली और पानी भी ट्रस्ट देखता था। इसके लिए ट्रस्ट द्वारा किराये से मिले पैसों से व्यवस्था की जाती है।

बाजार के बीच में लक्ष्मी नारायण मंदिर भी

बाजार के भीतर सात बाजार हैं। इनके नाम देवी-देवताओं के नाम पर है, जैसे गणेश बाजार, लक्ष्मी बाजार, महावीर बाजार, दाऊ बाजार, कृष्ण बाजार, राम बाजार व विष्णु बाजार है। इसके अलावा बाजार के बीच में लक्ष्मी नारायण मंदिर भी है।

सरकार ने कभी नहीं बनाया दबाव

दिल्ली क्लाथ मार्केट ट्रस्ट के सचिव गोपाल गर्ग का कहना है कि बाजार आज भी ट्रस्ट द्वारा सफलतापूर्वक संचालित किया जाता है। सरकार ने भी कभी नागरिक व्यवस्था अपने हाथ में लेने के लिए कोई दबाव नहीं बनाया। बाजार में 230 किरायेदार हैं, जिनके किराये से बाजार में सिविक सेवाओं की व्यवस्था की जाती है और कर्मचारियों का वेतन दिया जाता है।

ग्राहकों ने बन गया है परिवार जैसा रिश्ता

वहीं, कारोबारी नेता सुरेद्र आहूजा ने बताया कि पहले यहां दुकानदार परिवार समेत रहते थे, लेकिन अब कुछ ही परिवार बचे हैं। इस बाजार में दूर-दूर से खरीदार आते हैं। कई पुराने ग्राहकों से परिवार जैसा रिश्ता बन गया है।

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