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दिल्ली में लिंगानुपात पर आए चौंकानेवाले आंकड़े, हर 1000 पुरुषों पर हैं सिर्फ 922 महिलाएं

दिल्ली में लिंगानुपात में लगातार गिरावट देखी जा रही है। 2022 में प्रति 1000 पुरुषों पर 929 महिलाएं थीं जो 2023 में घटकर 922 रह गई हैं। यह चिंता का विषय है क्योंकि इससे पता चलता है कि शहर में लिंग चयन हो रहा है। पिछले साल से भी तुलना करें तो 2022 में प्रति 1000 पुरुषों पर 929 महिलाएं थीं।

By V K Shukla Edited By: Sonu Suman Updated: Mon, 26 Aug 2024 11:10 PM (IST)
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दिल्ली में भी लिंगानुपात में बढ़ोतरी नहीं हो पा रही है।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। देश के अन्य शहरों में ही नहीं, दिल्ली में भी लिंगानुपात में बढ़ोतरी नहीं हो पा रही है, बल्कि पिछले तीन साल से यह दर लगातार घट रही है। पिछले साल से भी तुलना करें तो 2022 में प्रति 1000 पुरुषों पर 929 महिलाएं थीं, जो 2023 के दौरान यह संख्या घटकर 922 रह गई है।

दिल्ली सरकार के अर्थशास्त्र एवं सांख्यिकी निदेशालय और मुख्य रजिस्ट्रार (जन्म एवं मृत्यु) द्वारा जारी रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। इससे एक बात पर भी आशंका बढ़ रही है कि प्रतिबंध होने के बाद भी शहर में वे सभी सुविधाएं किसी न किसी तरह लोगों को मिल जा रही हैं, जिनसे जन्म से ही पहले ही लड़कियों के बारे में जानकारी मिल जा रही है और कोख में ही नन्हीं जान मार दी जा रही है।

दिल्ली में जन्म एवं मृत्यु के पंजीकरण पर आई वार्षिक रिपोर्ट

दिल्ली में जन्म एवं मृत्यु के पंजीकरण पर जारी इस वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 में में प्रति एक हजार पुरुषों पर 933 महिलाएं थी। 2021 में प्रति एक हजार पुरुषों पर 932 महिलाएं रह गईं। इसी तरह प्रति हजार पुरुषों पर 2022 में 929 और 2023 में 922 महिलाएं रह गईं हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि जनगणना-2011 के अंतिम आंकड़ों के अनुसार सभी आयु समूहों के लिए दिल्ली का यूनीवर्सल लिंगानुपात 2001 में प्रति 1000 पुरुषों पर 821 महिलाएं थीं जो 2011 में यह संख्या प्रति 1000 पुरुषों पर 868 थी। वहीं दिल्ली में बाल लिंगानुपात (0-6 वर्ष) में मामूली रूप से बढ़ा है। जनगणना 2001 के अनुसार यह 868 था जबकि 2011 की जनगणना के अनुसार 871 था।

कोविड-19 के बाद गिरी जन्म दर

दिल्ली में जन्म एवं मृत्यु के पंजीकरण पर जारी इस वार्षिक रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि दिल्ली में कोविड-19 के बाद जन्म दर में गिरावट देखी गई, जो प्रति 1000 पर 18.35 से घटकर 14.85 हो गई। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 13,919 गैर-संस्थागत जन्मों में से 7,216 (51.84 प्रतिशत) महिलाएं थीं। 3,01,168 संस्थागत जन्मों में से 1,94,428 (64.56 प्रतिशत) जन्म सरकारी अस्पतालों में हुए।

रिपोर्ट के अनुसार कुल संस्थागत जन्मों में से 1,43,891 (47.78 प्रतिशत) महिलाएं थीं। रिपोर्ट में कहा गया है कि सिविल रजिस्ट्रेशन सिस्टम से निकलने वाले महत्वपूर्ण संकेतकों में से एक जन्म दर है, जो 2005 से 2019 के बीच की अवधि के दौरान प्रति 1000 जनसंख्या पर 18-22 के बीच रही है। हालांकि कोविड के बाद 2020-2023 तक जन्म दर प्रति 1000 जनसंख्या पर 13-15 के बीच रही। लेकिन रिपोर्ट में आंकड़ों में गिरावट का कारण नहीं बताया गया है।

2.23 प्रतिशत महिलाएं 19 साल से कम उम्र में बनी मां

रिपोर्ट से पता चलता है कि 2.23 प्रतिशत महिलाओं ने 19 साल या इससे कम उम्र में बच्चे को जन्म दिया। रिपोर्ट में 2022 में शिशु और मातृ मृत्यु दर में मामूली वृद्धि पर भी प्रकाश डाला गया है। 2022 में, शिशु मृत्यु दर (प्रति हजार जीवित जन्म पर) 23.82 रही, जो 2021 में 23.60 थी। मातृ मृत्यु दर (प्रति हजार जीवित जन्म) 2022 में 0.49 रही, जो 2021 में 0.44 थी।

साल 2021 में दर्ज की गई 1,71,476 मौत की तुलना में 2022 में 1,28,106 मौत दर्ज की गईं। रिपोर्ट में कहा गया है कि पंजीकृत मौत में 79,052 (61.71 प्रतिशत) पुरुष और 49,004 (38.25 प्रतिशत) महिलाएं और 'अन्य' श्रेणी में 50 (0.04 प्रतिशत) मौत शामिल हैं।

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