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पढ़िए- इन दिनों सोशल मीडिया पर क्यों छाया सीता रसोई का जायका

सीता रसोई में तीन तरह की खीर, मटर घुघुरी, कढ़ी, मालपुआ, आलू टिक्की, गोल गप्पे के अलावा थाली भी थी। थाली में चावल, दाल, रोटी के साथ दो तरह की सब्जी परोसी गई।

By JP YadavEdited By: Updated: Sat, 12 Jan 2019 09:56 AM (IST)
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पढ़िए- इन दिनों सोशल मीडिया पर क्यों छाया सीता रसोई का जायका
नई दिल्ली [गौतम कुमार मिश्र]। मिट्टी की चारदीवारी...अंदर जलता चूल्हा... उस पर पक रहे लजीज जायके कहीं खीर, मालपुआ तो कहीं कढ़ी। तरह-तरह के व्यंजन...सीता की इस पावन रसोई में जो कोई भी गया, जायकों से तृप्त हुए बिना नहीं रह सका। बीते सप्ताह दिल्लीवासियों के लिए अयोध्या पर्व किसी सपने के सच होने से कम नहीं था। यहां उन्हें राम की भक्ति के साथ सीता की रसोई का जो सुस्वाद मिला। सीता की रसोई का जायका सोशल मीडिया पर भी खूब छाया रहा। यहां पकने वाली तस्मै खीर, इंद्राणी खीर, मेवे की खीर ही नहीं मालपुआ, आलू चाट के चर्चे भी खूब हुए।

थाली में व्यंजनों की विविधता

सीता रसोई में तीन तरह की खीर, मटर घुघुरी, कढ़ी, मालपुआ, आलू टिक्की, गोल गप्पे के अलावा थाली भी थी। थाली में चावल, दाल, रोटी के साथ दो तरह की सब्जी परोसी गई। गांव का गुड़ भी लोगों के मन को खूब भाया। जिमीकंद भर्ता का स्वाद तो ऐसा था कि दिल्ली वाले उसे भूल नहीं पाएंगे।

दूध से बने चावल का कमाल

जितना लाजवाब तस्मै खीर का स्वाद था उतना ही दिलचस्प उसे बनाने की विधि भी थी। दरअसल दूध को फाड़कर मोटे चावल के दाने जैसा बना लिया जाता है। इसके बाद दूध में इसे गाढ़ा होने तक चलाते हैं फिर मेवा, काजू, किशमिश और मलाई डालते हैं। परोसने से पहले उसमें केसर मिलाया जाता है। वहीं इंद्राणी खीर बनाने के लिए जब दूध फट जाता है तो उसके थक्के से गोला बनाते हैं। फिर उसे चाशनी में पकाते हैं। यह सब यहीं खत्म नहीं होता, कुछ लजीज खाना होता है तो धैर्य भी उतना रखना पड़ता है। अब इसके बाद चाशनी में उसे एक दिन के लिए छोड़ दिया जाता है। फिर मलाई का इस्तेमाल कर विधि अनुसार खीर बनाते हैं, जबकि मेवा खीर में पिस्ता बादाम का प्रयोग होता है।

मटर की घुघुरी बेमिसाल

हरी मटर की सब्जी तो आपने खूब खाई होंगी, पर सीता की सोई में मटर की घुघुरी ने तो लोगों का दिल जीत लिया। इसे बनाने का तरीका सीखने के लिए लोगों की लंबी कतार लगी रही। सरसों के तेल में हल्का जीरा, साबुत मिर्च, लहसून, कटा हुआ मोटा प्याज डालकर भूनते हैं। जब यह गलकर कम हो जाती है तो मटर को हल्की आंच पर भूनते हैं। मीठी एवं कुरकुरी होने के कारण लोगों ने इसे खूब पसंद किया।

कभी खाया है रबड़ी का मालपुआ

इसकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि लोग फैजाबाद में मालपुआ कहां मिलत है यह पूछते दिखे। दूध को जलाकर तैयार की हुई रबड़ी को गाढ़ा बनाते हैं। फिर मैदा को उसमें अच्छे से मिलाते हैं और देशी घी में छान कर चाशनी में कुछ समय के लिए छोड़ देते हैं।

आलू टिक्की का उम्दा स्वाद

यहां आलू टिक्की का नया स्वाद चखने का मौका मिला। आलू की टिक्की में मटर मिला कर तेल में तला गया। फिर छोहाड़े से बनी मीठी चटनी, इमली पुदीने की तीखी चटनी के साथ इसे परोसा गया।

सीता रसोई नाम क्यों

भगवान राम जब 14 वर्ष के लिए वनवास गए तब चित्रकूट के जंगलों में ही रहते थे। चित्रकूट धाम में आज भी सीता माता की रसोई बनी हुई है। इस रसोई में माता सीता पंच ऋषियों को भोजन खिलाया करती थीं। यह रसोई एक मंदिर की तरह है। इसमें भगवान राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न व उन सभी की पत्नियों सीता, उर्मिला, मांडवी की मूर्तियों के साथ-साथ प्रतीकात्मक बर्तन भी रखे हुए हैं। जिनमें प्लेट, चकला, बेलन और हांडी हैं। रसोई के संचालक राजेश के मुताबिक अयोध्या पर्व में सीता रसोई में जिस तरह का खाना पकाया गया, ठीक उसी तरह का भोजन सीता जी भी बनाती थीं। जो स्वादिष्ट होने के साथ-साथ मन को तृप्त की करता था। यही वजह है कि इस रसोई को सीता रसोई का नाम दिया गया।  

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