EXCLUSIVE: तत्काल टिकट कैंसिलेशन पर सर्विस टैक्स क्यों? रेलवे की व्यवस्था पर उठे सवाल
दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) के अधिवक्ता शशांक देव सुधि ने रेलवे से गत पांच वर्षों में तत्काल टिकट रद कराने के संबंध में जानकारी मांगी थी।
By JP YadavEdited By: Updated: Mon, 18 Nov 2019 09:59 AM (IST)
नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। व्यस्तता के दौर में तत्काल टिकट की मांग लगातार बढ़ रही है। आखिरी वक्त में यात्र करने की स्थिति बनने पर आम नागरिक तत्काल टिकट बुक कराते हैं। बावजूद इसके ट्रेन यात्री किसी वजह से अगर वे यात्र नहीं कर पाते हैं तो ऐसी स्थिति में टिकट रद कराने पर रेलवे द्वारा उनकी पूरी रकम जब्त कर ली जाती है।
सूचना के अधिकार (आरटीआइ) के तहत भारतीय रेलवे द्वारा जनवरी से लेकर अगस्त 2019 तक तत्काल टिकट रद कराने के संबंध में उपलब्ध कराई गई जानकारी हैरान करने वाली है। रेलवे के अनुसार, प्रतिमाह छह लाख से अधिक तत्काल टिकट रद कराए गए हैं। हालांकि, रेलवे ने इससे हुई आय की जानकारी नहीं उपलब्ध कराई, लेकिन लाखों की संख्या में रद कराए गए टिकट से अनुमान लगाया जा सकता है कि रेलवे को करोड़ों की आय हुई होगी।दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) के अधिवक्ता शशांक देव सुधि ने रेलवे से गत पांच वर्षों में तत्काल टिकट रद कराने के संबंध में जानकारी मांगी थी। साथ ही उन्होंने यह भी जानकारी मांगी थी कि इससे रेलवे को कितनी आय हुई?
रेलवे के सेंटर फॉर रेलवे इन्फार्मेशन सिस्टम के जनरल मैनेजर विनोद भाटिया ने इसके जवाब में आंकड़े उपलब्ध कराए हैं। इस वर्ष अगस्त तक देशभर से 52 लाख 83 हजार 789 तत्काल टिकट रद कराए गए। इन टिकट पर 78 लाख 88 हजार 796 यात्रियों को सफर करना था। वहीं, वर्ष 2016, 2017, 2018 में 2.97 करोड़ लोगों ने किसी न किसी कारण से आखिरी समय पर अपना टिकट रद कराया।अधिवक्ता शशांक देव सुधि का कहना है कि कोई भी सेवा प्रदाता सेवा देने पर ही सेवा कर ले सकता है। लेकिन, तत्काल टिकट पर ऐसा क्यों लागू नहीं होता? तत्काल टिकट की बुकिंग के समय यात्री द्वारा दिया गया सेवा कर भी टिकट रद करने पर रेलवे के खाते में चला जाता है। उनका कहना है कि भारतीय रेलवे द्वारा सिर्फ सेवा देने का वादा करने पर सर्विस टैक्स नहीं बनता। आखिर बगैर कोई सेवा दिए यात्रियों से सर्विस टैक्स कैसे लिया जा सकता है।
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