छोटे उद्योग प्रति वर्ष करते हैं 110 मिलियन टन CO2 का उत्सर्जन, यह टूल करेगा स्थिति से निपटने में मदद
भारत में सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्यम देश की जीडीपी का 30 प्रतिशत हिस्सा हैं लेकिन सामूहिक रूप से अर्थव्यवस्था की गाड़ी खींचने वाले यह छोटे इंजन प्रति वर्ष लगभग 110 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड भी उगलते हैं। इस क्षेत्र की डीकार्बोनाइजेशन क्षमता देखते हुए उद्यमियों के पास डीकार्बोनाइजेशन से जुड़ी कार्यवाही के लिए जरूरी जानकारी उपलब्ध कराने के लिए एसएमई क्लाइमेट हब ने भारत में डिजिटल प्लेटफार्म लॉन्च किया।
By sanjeev GuptaEdited By: Pooja TripathiUpdated: Fri, 01 Sep 2023 05:39 PM (IST)
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) देश की जीडीपी का 30 प्रतिशत हिस्सा हैं और 110 मिलियन से अधिक श्रमिकों को रोजगार देते हैं। लेकिन सामूहिक रूप से, अर्थव्यवस्था की गाड़ी खींचने वाले यह छोटे इंजन, प्रति वर्ष, लगभग 110 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड भी उगलते हैं।
यह आंकड़ा भारत के नेट जीरो लक्ष्य तक पहुंचने के लिए इस उद्योग क्षेत्र में उत्सर्जन पर अंकुश लगाने की जरूरत को सीधे तौर पर साफ करता है। लेकिन ऐसा कुछ करने के लिए, सीमित संसाधनों और प्राथमिकताओं के साथ काम करने वाले इस उद्योग क्षेत्र के पास सुगमता से सुधारात्मक कार्यवाही की जानकारी होना बेहद जरूरी है।
एसएमई क्लाइमेट हब ने भारत में एक डिजिटल प्लेटफार्म लॉन्च किया
इस महत्वपूर्ण व्यावसायिक क्षेत्र की डीकार्बोनाइजेशन क्षमता को ध्यान में रखते हुए, इस क्षेत्र के उद्यमियों के पास डीकार्बोनाइजेशन से जुड़ी कार्यवाही के लिए जरूरी जानकारी उपलब्ध कराने के इरादे से, एसएमई क्लाइमेट हब ने भारत में एक डिजिटल प्लेटफार्म लॉन्च किया है।देश के एमएसएमई को उनके विशाल सामूहिक जलवायु प्रभाव को मापने, समझने और कम करने के लिए सशक्त बनाने के इरादे से बना यह प्लेटफॉर्म निःशुल्क उपलब्ध है।
सबसे रोचक टूल है बिजनेस कार्बन कैलकुलेटर
यह पहल विशेष रूप से छोटे व्यवसायों के लिए उनकी जलवायु यात्रा को शुरू करने के लिए डिजाइन किए गए ऑनलाइन टूल और संसाधन प्रदान करती है। सबसे रोचक टूल है बिजनेस कार्बन कैलकुलेटर जिसका उपयोग कर एमएसएमई उद्योगपति सबसे पहले अपने उत्सर्जन के मुख्य स्रोतों की पहचान कर सकते हैं।इस जानकारी के आधार पर डीकार्बोनाइजेशन की कार्यवाही करना आसान होगा। साथ ही, इसमें उपलब्ध क्लाइमेट फिट पाठ्यक्रम जलवायु परिवर्तन साक्षरता के निर्माण के लिए छोटे लर्निंग मॉड्यूल प्रदान करता है। इसमें एक केंद्रीकृत रिपोर्टिंग टूल एमएसएमई को सार्वजनिक जलवायु प्रतिबद्धताओं के सापेक्ष अपनी सालाना उत्सर्जन में कटौती को ट्रैक करने देता है।
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