Move to Jagran APP

अब देश में कचरे का भी होगा स्मार्ट प्रबंधन, एनर्जी के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के साथ-साथ मिलेगा करोड़ों लोगों को रोजगार

कचरे को मिक्स होने के पूर्व ही रिकवर करना शुरू कर दें और उसके बाद इसकी उपयोगिता के बेहतर उपयोग तलाशें कि इसके रिसाइकिल का सबसे अच्छा उपयोग क्या हो सकता है। तीसरा काम यह करें कि रिकवर और रिसाइकिल से जो प्राप्त हो उसे वापस इकोनॉमी में डाल दें। इसको बड़े पैमाने पर करने की जरूरत है। इससे एक तरफ कचरे की समस्या का समाधान होगा।

By Jagran NewsEdited By: Sonu SumanUpdated: Sun, 03 Dec 2023 04:06 PM (IST)
Hero Image
कचरा का अब स्मार्ट प्रबंधन करने की जरूरत।
संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। अभी आप जिसे कचरा समझकर कूड़ेदान में फेंक रहे हैं, वही आपके लिए आय का साधन भी बन सकता है। बस इसके लिए जरूरी है कूड़े की कीमत की पहचान करना और इसे सर्कुलर इकोनॉमी का हिस्सा बनाना। इससे न सिर्फ देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) बढ़ेगा बल्कि कचरे बीनने वाले लगभग ढाई करोड़ लोगों को नया रोजगार भी मिल सकेगा। साथ ही पर्यावरण संरक्षण में भी सहायता मिलेगी।

कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) ने नेशनल सर्कुलर इकोनॉमी फ्रेमवर्क तैयार किया है। 144 पेज का यह ड्राफ्ट तीन दिन पहले ही केंद्रीय शहरी आवास एवं विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी और केंद्रीय पर्यावरण राज्यमंत्री अश्विनी चौबे को सौंपा गया है। संभावना जताई जा रही है कि केंद्र मंत्रालय से इस पर सकारात्मक रूख मिल सकता है। यदि ऐसा हुआ तो केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) भी जल्द ही इस पर संज्ञान ले सकता है।

गौरतलब है कि जितनी तेजी से कचरा बढ़ रहा है और लैंडफिल पर इसका पहाड़ बनता जा रहा है। इससे पर्यावरण और प्रदूषण का बड़ा खतरा मंडरा रहा है। विशेषज्ञ भी कचरा प्रबंधन के स्मार्ट तरीकों पर अध्ययन कर रहे हैं। सरकारों के पास लगातार नए नए सुझाव पहुंच रहे हैं।

स्मार्ट तरीके से करना होगा कचरा प्रबंधन

सीआईआई टास्क फोर्स ऑन वेस्ट टू वर्थ के अध्यक्ष मसूद मलिक ने बताया कि यदि समय रहते स्मार्ट तरीके से कचरा प्रबंधन पर ध्यान नहीं दिया गया तो दिल्ली में भलस्वा और गाजीपुर जैसे कूड़े के पहाड़ हर महानगर में दिखाई देने लगेंगे। दूसरी तरफ यदि स्मार्ट तरीके से कचरा प्रबंधन पर काम किया जाए तो पारंपरिक रूप से कचरा बीनने वाले लगभग दो से ढाई करोड़ लोगों को स्थायी रोजगार मिल सकता है। उनके कौशल विकास के साथ-साथ सामाजिक विकास के भी नए आयामों को छुआ जा सकता है। इसके लिए वाणिज्य, वित्त, शहरी विकास और पर्यावरण मंत्रालय का सहयोग चाहिए होगा।

इंडस्ट्रियल रिसोर्स रिकवर का फीड स्टॉक

मसूद ने बताया कि नेशनल सर्कुलर इकोनॉमी का जो ड्राफ्ट तैयार किया गया है, उसका मूल भाव यही है कि जिसे हम आज तक कचरा समझ कर फेंकते रहे हैं, उसे इंडस्ट्रियल रिसोर्स रिकवरी के फीड स्टॉक के रूप में देखा जाए। इसके पहले कि कचरे के बडे-बड़े पहाड़ बन जाएं, इसकी रिकवरी, रिसाइक्लिंग और एनर्जी के रूप में बदलने पर ध्यान किया जाए।

कचरे के रिकवर के बारे में सोचना होगा

उन्होंने बताया कि कचरे को मिक्स होने के पूर्व ही रिकवर करना शुरू कर दें और उसके बाद इसकी उपयोगिता के बेहतर उपयोग तलाशें कि इसके रिसाइकिल का सबसे अच्छा उपयोग क्या हो सकता है। तीसरा काम यह करें कि रिकवर और रिसाइकिल से जो प्राप्त हो उसे वापस इकोनॉमी में डाल दें। इसको बड़े पैमाने पर करने की जरूरत है। इससे एक तरफ कचरे की समस्या का समाधान होगा और दूसरी तरफ देश में तेल और खनिज पदार्थों का आयात भी कम होगा।

नेशनल सर्कुलर इकोनॉमी फ्रेमवर्क में फिलहाल यह छह सेक्टर किए गए शामिल:

1. फोकस मैटीरियल (मर्करी, ग्लास, गैटरी, सर्किट बोर्ड इत्यादि)
2. प्लास्टिक
3. निर्माण सामग्री
4. इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रानिक वस्तुएं
5. सूखा कचरा
6. गीला कचरा
इन छह बिंदुओं पर आधारित पर है यह फ्रेमवर्क:

1. रिडयूज (कचरा कम करना)
2. रियूज (कचरे का पुन: उपयोग)
3. रिपेयर (फेंकने की बजाए उसकी मरम्मत)
4. रिमैन्यूफेक्चरिंग (पुनर्निर्माण)
5. अपसाइकिल (संवारकर बेहतर बनाना)
6. रिसाइकिल (पुनर्चक्रण)
ये भी पढ़ेंः Delhi Crime: भजनपुरा में डॉक्टर से 5 लाख रुपये रंगदारी मांगने का मामला, पांच आरोपी पुलिस की गिरफ्त में आए, दो फरार

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।