Move to Jagran APP

दिल्ली-NCR पर स्मॉग का कहरः प्रदूषण का स्तर बेहद खतरनाक स्तर पर, लगाएं मास्क

दिवाली तक दिल्ली में स्मॉग परेशान करेगा। स्काइमेट के मौसम वैज्ञानिक महेश पलावत ने कहा कि प्रदूषण के घटने एवं बढ़ने का सबसे ज्यादा असर मौसम पर निर्भर करता है।

By Edited By: Updated: Sat, 27 Oct 2018 09:59 PM (IST)
Hero Image
दिल्ली-NCR पर स्मॉग का कहरः प्रदूषण का स्तर बेहद खतरनाक स्तर पर, लगाएं मास्क
नई दिल्ली, जेएनएन। दिल्ली-एनसीआर में इन दिनों प्रदूषण का स्तर बेहद खतरनाक स्तर पर है। शनिवार को दिन भर वातावरण में प्रदूषित कण छाए रहे। इस कारण कई प्रदूषण मॉनिटरिंग स्टेशन पर एयर इंडेक्स 400 एमजीसीएम के भी पार चला गया। शनिवार को पीएम 2.5 और पीएम 10 का स्तर 351 दर्ज हुआ। वैज्ञानिकों ने आशंका जताई है कि दिवाली तक प्रदूषण के ऐसे ही हालत बने रह सकते हैं।

हवा की धीमी रफ्तार से बढ़ रहा स्मॉग
स्काइमेट के मौसम वैज्ञानिक महेश पलावत ने कहा कि प्रदूषण के घटने एवं बढ़ने का सबसे ज्यादा असर मौसम पर निर्भर करता है। अभी दिल्ली और आसपास के इलाकों में हवा सिर्फ 2 से 4 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ही चल रही है। साथ ही न्यूनतम तापमान 15 और अधिकतम तापमान 30 डिग्री सेल्सियस है। जब तापमान कम दर्ज होने लगता है और हवा ज्यादा तेज नहीं चलती है तो वातावरण में वाहनों व उद्योगों से निकलने वाला धुआं दूर नहीं जा पाता है और इस कारण स्मॉग फैलता है। दिल्ली-एनसीआर में दोपहर 12 से 3 बजे के दौरान खतरनाक स्थिति में प्रदूषण का स्तर रहा।

आगे कैसा रहेगा प्रदूषण का स्तर
सफर के निदेशक डॉ. गुफरान बेग के अनुसार दिल्ली और आसपास के इलाकों में अगले कुछ दिनों तक हवा की रफ्तार कम रहेगी। इसकी वजह से वातावरण में मौजूद प्रदूषित कण आगे नहीं बढ़ पाएंगे।

मौसम वैज्ञानिक महेश पलावत ने कहा कि आठ से दस दिनों तक ऐसे ही हालात रह सकते हैं। दिवाली तक ऐसे ही हालात रहेंगे। प्रदूषण को हटने के लिए जरूरत है कि 15 से 20 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा लगातार दो दिनों तक चलती रहे।

अभी सुबह की सैर से अस्थमा व हार्ट अटैक का खतरा
दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण के मद्देनजर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने तो लोगों को सुबह में सैर सपाटा नहीं करने की चेतावनी दी ही है, अब डॉक्टरों ने भी कहा है कि सुबह के वक्त टहलना स्वास्थ्य के लिए घातक हो सकता है। दरअसल, प्रदूषण बहुत खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है और सुबह में यह काफी ज्यादा होता है। इस कारण लोगों को अस्थमा व हार्ट अटैक हो सकता है।

इससे बचने के लिए डॉक्टरों ने अभी से सुबह की सैर छोड़ देने की सलाह दी है। डॉक्टरों का कहना है कि अस्पतालों में सांस के मरीज 15-20 फीसद बढ़ गए हैं। पिछले दिनों एम्स ने भी कहा था कि प्रदूषण के कारण ओपीडी में सांस के मरीज अधिक देखे जा रहे हैं। अस्पताल में सांस के मरीजों का दाखिला भी बढ़ गया है।

गंगाराम अस्पताल के डॉक्टर व लंग केयर फाउंडेशन के संस्थापक डॉ. अरविंद कुमार ने कहा कि सीपीसीबी ने तो एक से 10 नवंबर के लिए अलर्ट जारी किया है, जबकि अभी ही प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ा हुआ है। इसलिए लोगों को अभी से सुबह का सैर बंद कर देना चाहिए।

प्रदूषण अधिक होने पर सैर करते वक्त सांस के जरिये प्रदूषक तत्व शरीर में पहुंचते हैं। इस वजह से सांस की नली व फेफड़े में संक्रमण होता है। यह देखा गया है कि प्रदूषण बढ़ने पर इमरजेंसी में हार्ट अटैक के मरीज बढ़ जाते हैं।

लंग केयर फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल ने कहा कि हवा की गुणवत्ता बहुत खराब हो जाए तो लोगों को सुबह में नहीं टहलना चाहिए। घर के दरवाजे और खिड़कियों को ठीक से बंद रखना चाहिए। डॉक्टरों का कहना है कि वातावरण में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर (पीएम)-10 व पीएम 2.5 जैसे सूक्ष्म कण शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। इससे सांस नली में सूजन हो जाती है। इस कारण सांस लेने में परेशानी होने लगती है। ऐसी स्थिति में अस्थमा का खतरा बढ़ जाता है। पीएम-10 के दुष्प्रभाव से सांस की बीमारियां होने की आंशका रहती है। वहीं पीएम-2.5 इतना सूक्ष्म कण होता है कि वह ब्लड में पहुंच जाता है। इस वजह से धमनियों में ब्लॉकेज होने की आशंका रहती है, जो हार्ट अटैक का कारण बन सकता है।

सांस के मरीजों की बढ़ानी पड़ रही हैं दवाएं
एम्स के डॉक्टर कहते हैं कि प्रदूषण के कारण सांस के पुराने मरीजों को सबसे अधिक परेशानी होती है। इसलिए यह देखा जा रहा है कि पुराने मरीजों की सांस की दवाएं बढ़ानी पड़ रही हैं। इसलिए अस्थमा, हार्ट अटैक व अन्य बीमारियों से पीड़ित मरीजों को अधिक सतर्क रहना चाहिए। इसके अलावा बच्चों व गर्भवती महिलाओं को प्रदूषण में घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।