सोनम वांगचुक ने अपना विरोध और अनशन वापस लिया, दोनों पक्षों के बीच बातचीत के बाद लिया निर्णय
जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने दिल्ली पुलिस से जंतर-मंतर पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन की अनुमति मांगी थी। दिल्ली हाईकोर्ट ने उनकी याचिका पर कार्यवाही बंद कर दी है क्योंकि वांगचुक और उनके सहयोगियों ने बातचीत के बाद अपना विरोध और अनशन वापस ले लिया है। वांगचुक ने लद्दाख को छठी अनुसूची का दर्जा देने की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन अनशन किया था।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक और अन्य को जंतर-मंतर पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने की अनुमति देने की याचिका पर कार्यवाही बंद कर दी। न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह और न्यायमूर्ति अमित शर्मा की पीठ ने कहा पक्षों की ओर से याचिका वापस ली गई है। ऐसे में याचिका खारिज की जाती है।
मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से पेश सालिसिटर जनरल (एसजीआइ) तुषार मेहता ने अदालत को सूचित किया कि वांगचुक और लद्दाख के उनके सहयोगियों ने बातचीत के बाद अपना विरोध और अनशन वापस ले लिया है।
वांगचुक ने अपना अनशन वापस लिया
एसजीआई मेहता ने कहा कि बातचीत के बाद वांगचुक ने अपना अनशन वापस ले लिया है। इसलिए याचिका लंबित नहीं रह सकती है। याचिकाकर्ता ने पर्यावरण जागरूकता बढ़ाने और लद्दाख को छठी अनुसूची का दर्जा देने की मांग के लिए जंतर-मंतर पर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने की अनुमति की मांग को लेकर याचिका दायर की थी।
लद्दाख भवन में अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठे
वांगचुक छह अक्टूबर से दिल्ली के लद्दाख भवन में अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठे थे। उन्होंने सोमवार शाम को अपना अनशन समाप्त कर दिया चूंकि गृह मंत्रालय ने उन्हें आश्वासन दिया कि लद्दाख की मांगों पर दिसंबर में बातचीत फिर से शुरू होगी।
छठी अनुसूची के तहत लद्दाख को शामिल करने की मांग
लद्दाख से वांगचुक और उनके साथियों ने संविधान की छठी अनुसूची के तहत लद्दाख को शामिल करने की मांग को लेकर राष्ट्रीय राजधानी तक मार्च किया था। उन्हें दिल्ली पुलिस ने राजधानी के सिंघू बार्डर पर हिरासत में लिया और जो अक्टूबर की रात को रिहा कर दिया।