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Soumya Vishwanathan Case: सौम्या के हत्यारे जेल से बाहर, जमानत के खिलाफ दिल्ली पुलिस की याचिका पर सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

सौम्या हत्याकांड में दोषियों की जमानत के खिलाफ पुलिस की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा। कोर्ट ने चारों दोषियों को नोटिस भी जारी किया है। बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट ने उन्हें जमानत पर रिहा किया है। इसके खिलाफ सौम्या विश्वनाथन की मां सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई थीं। साथ दी दिल्ली पुलिस ने भी जमानत के खिलाफ याचिका दायर की।

By Jagran News Edited By: Geetarjun Updated: Mon, 08 Jul 2024 09:05 PM (IST)
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टीवी पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की 2008 में की गई थी हत्या।
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने टीवी पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की हत्या के मामले के चार दोषियों को जमानत देने के हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली दिल्ली पुलिस की याचिकाओं पर विचार करने पर सोमवार को सहमति जताई। चारों दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने दिल्ली पुलिस की चार याचिकाओं पर नोटिस जारी किया।

इन याचिकाओं को चारों दोषियों की जमानत के खिलाफ विश्वनाथन की मां की लंबित याचिका के साथ जोड़ दिया। शुरुआत में अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने दिल्ली पुलिस की ओर से सूचित किया कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही नोटिस जारी कर चुका है, इसलिए सभी याचिकाओं को जोड़ दिया जाए।

हाईकोर्ट ने जमानत पर किया रिहा

हाईकोर्ट ने 12 फरवरी को रवि कपूर, अमित शुक्ला, बलजीत सिंह मलिक और अजय कुमार की सजा को उनके दोष सिद्धि और सजा को चुनौती देने वाली अपीलों के लंबित होने तक निलंबित कर दिया था। उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया था। हाईकोर्ट ने कहा था कि दोषी 14 साल से अधिक समय से हिरासत में हैं।

सौम्या की मां ने दायर की थी याचिका

सुप्रीम कोर्ट चारों दोषियों को दी गई जमानत के खिलाफ विश्वनाथन की मां द्वारा दायर याचिका पर विचार करने के लिए 22 अप्रैल को सहमत हुआ था। उसने सौम्या की मां माधवी विश्वनाथन की याचिका पर दिल्ली पुलिस और चारों दोषियों को नोटिस जारी किया था।

क्या है सौम्या का मामला

एक समाचार चैनल में काम करने वाली सौम्या की 30 सितंबर, 2008 को तड़के दक्षिण दिल्ली के नेल्सन मंडेला मार्ग पर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। वह उस समय कार से अपने घर लौट रही थी। एक विशेष अदालत ने पिछले साल 25 नवंबर को कपूर, शुक्ला, मलिक और कुमार को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत उम्रकैद की सजा सुनाई थी।

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