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Kanjhawala Case पर विशेष आयुक्त हुड्डा का बयान कहा- हमारी किस्मत खराब थी जो पीसीआर आरोपितों को नहीं पकड़ पाई

दिल्ली में 20 वर्षीय अंजलि को बलोने कार से पांच युवकों द्वारा 30 किलोमीटर तक घसीटकर मार डालने की घटना में दिल्ली पुलिस ने अपनी गलती नहीं मानी है। इस बर्बर हादसे के रूट पर पांच पीसीआर वैन तैनात थीं। पांच से छह पीसीआर काल हुईं।

By Dhananjai MishraEdited By: Abhi MalviyaUpdated: Thu, 05 Jan 2023 07:49 PM (IST)
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दूसरी पीसीआर काल 2 :20 पर मिली, ये भी दुर्घटना के बारे में थी।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। सुल्तानपुरी में 20 वर्षीय अंजलि को बलोने कार से पांच युवकों द्वारा 30 किलोमीटर तक घसीटकर मार डालने की घटना में दिल्ली पुलिस ने अपनी गलती नहीं मानी है। इस बर्बर हादसे के रूट पर पांच पीसीआर वैन तैनात थीं। पांच से छह पीसीआर काल हुईं।

चश्मदीद दीपक से 20 से ज्यादा बार पुलिस अधिकारियों ने बात की। उसके बाद आरोपितों को पकड़ने के लिए कुल नौ पीसीआर वैन को लगाया गया था और स्थानीय पुलिस भी आरोपितों खोज रही थी,लेकिन फिर भी मौके से आरोपितों को पुलिस नहीं पकड़ पाई।

रात 2:18 पर आया था पीसीआर पर कॉल

घटना से संबंधित पहली पीसीआर काल रात 2 :18 बजे की गई, जिसमें एक शख्स ने दुर्घटना के बारे में बताया। दूसरी पीसीआर काल 2 :20 पर मिली, ये भी दुर्घटना के बारे में थी। इसके बाद दो पीसीआर काल 3:24 बजे के आसपास दीपक ने की, उसने बताया कि कार में किसी का शव लटका है, फिर 4:26 बजे और 4:27 बजे साहिल नाम के शख्स ने दो पीसीआर काल कर बताया कि कंझावला के जोंटी गांव के सड़क पर एक महिला का शव पड़ा हुआ है। उस रास्ते पर कुल पांच पीसीआर वैन थीं, लेकिन गंभीर काल को देखते हुए कुल नौ पीसीआर वैन को लगाया गया, लेकिन कोई भी पीसीआर कार को नहीं खोज पाई।

विशेष पुलिस आयुक्त सागर प्रीत हुड्डा का कहना है कि इस मामले में ये रहा कि किसी भी पीसीआर ने अंजलि को घसीटते ले जा रही कार को नहीं देखा। अगर कोई पीसीआर वैन कार को देख लेती तो स्थिति कुछ और होती। ये कहना कि कमी रही है ऐसा नहीं है। पीसीआर की तरफ से काई चूक नहीं हुई है। नव वर्ष की रात पुलिस की तैनाती भीड़भाड़ वाले स्थान पर अधिक होती है। हालांकि मामले में पुलिस कर्मियों की चूक है यह तकनीकी कोई दिक्कत आई है इसकी पुलिस मुख्यालय स्तर पर आंतरिक जांच की जा रही है।

चार थाना क्षेत्रों से गुजरी कार

हादसे के बाद भागने के दौरान ढाई किलोमीटर के बाद शव का घिसटता हाथ आरोपितों ने देखा था। आरोपितों को लगा था कि कार में कुछ अटका हुआ है। उन्होंने बाहर देखा तो युवती का हाथ दिखाई दिया, लेकिन रास्ते में खड़ी एक पीसीआर वैन को देखकर फिर से युवती को घसीटने लगे। युवती के शव को कार से अलग करने के लिए चार बार से ज्यादा यू-टर्न लिया। इस बर्बर घटना के दौरान कार चार थाना इलाकों सुल्तानपुरी, अमन विहार, प्रेम नगर व कंझावला थाना इलाके से गुजरी थी।

धुंध बनी बाधा

10 हजार करोड़ रुपये से भी ज्यादा सालाना बजट वाली दिल्ली पुलिस में लगभग 84 हजार जवान-अधिकारी हैं। जिस रात या सुबह हादसा हुआ वो 31 दिसंबर की रात थी। हर साल 31 दिसंबर की रात दिल्ली की सड़कों पर दिल्ली पुलिस की सबसे ज्यादा गश्त होती है। दिल्ली पुलिस द्वारा इस दौरान शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों पर विशेष नजर रखा जाता है। इस घटना में यह बात साफ हो चुकी है कि पांचों आरोपितों ने शराब पी रखी थी, नशे के हालत में आरोपित अपनी कार से युवती को कई किलोमीटर तक घसीटते हुए ले जाते हैं।

इस दौरान पुलिस क्या भूमिका कर रही थी? इस पर पुलिस अधिकारियों द्वारा दावा किया जा रहा है कि रात में धुंध थी और पीसीआर के पहुंचने के पहले कार निकल जाती थी, जबकि पीसीआर का रिस्पान्स टाइम ठीक था।

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