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हाथों-पैरों में झनझनाहट महसूस होना स्पाइन स्ट्रोक का है लक्षण, न करें नजरअंदाज

Spin Stroke गाजियाबाद के न्यूरो सर्जन डॉ. मनीष वैश्य ने बताया कि स्पाइनल कार्ड में रक्त और ऑक्सीजन के न पहुंचने पर होती है स्पाइन स्ट्रोक की समस्या। यदि समय पर मिल जाए उपचार तो नहीं रहता कोई खतरा...

By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Fri, 18 Dec 2020 10:11 PM (IST)
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छोटा चीरा लगाकर स्पाइनल कार्ड के लिए रक्त के प्रवाह को पहले की तरह पुन: शुरू कराया जाता है।
नई दिल्ली, जेएनएन। स्पाइन स्ट्रोक, ब्रेन स्ट्रोक से अलग होता है। ब्रेन स्ट्रोक, मस्तिष्क को प्रभावित करता है और मस्तिष्क की ओर होने वाले रक्त प्रवाह को बाधित करता है। जब स्ट्रोक स्पाइनल कार्ड को प्रभावित करता है तो उसे स्पाइन स्ट्रोक कहते हैं। स्पाइनल कार्ड, सेंट्रल नर्वस सिस्टम का भाग है, जिसमें मस्तिष्क भी सम्मिलित है। हालांकि स्पाइन स्ट्रोक के मामले ब्रेन स्ट्रोक से कम होते हैं। कुल स्ट्रोक्स में से महज दो फीसद ही इसके मामले देखने को मिलते हैं। स्पाइन स्ट्रोक के कारण नर्व इंपल्स (संदेश) भेजने में असमर्थ हो जाती हैं। ये नर्व इंपल्स, शरीर की विभिन्न गतिविधियों जैसे हाथ और पैर को हिलाना या ये कहें कि शरीर को नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभाती हैं।

जब रक्त का प्रवाह बाधित होता है तो स्पाइनल कार्ड को रक्त के साथ ऑक्सीजन और आवश्यक तत्व मिलने बंद हो जाते हैं, जिससे ऊतकों को नुकसान पहुंचता है। इसके कारण स्पाइनल कार्ड से गुजरने वाले संदेशों में बाधा आती है। अधिकतर स्पाइन स्ट्रोक रक्त के प्रवाह में ब्लॉकेज (ब्लड क्लॉट्स) के कारण होता है। कुछ स्पाइन स्ट्रोक ब्लीडिंग के कारण भी होते हैं, जिसे हैमरेज स्पाइन स्ट्रोक कहते हैं। स्पाइन स्ट्रोक में यदि रोगी को समय पर उपचार न मिला तो मरीज लकवाग्रस्त या अवसाद की गंभीर स्थिति में जा सकता है, लेकिन सही समय पर उपचार मिल जाए तो यह पूरी तरह ठीक भी हो जाता है। चिकित्सक रोगी की स्थिति के हिसाब से दवाओं व सर्जरी से इसका उपचार करते हैं।

स्पाइन स्ट्रोक के लक्षण : स्पाइन स्ट्रोक के लक्षण इस पर निर्भर करते हैं कि स्पाइनल कार्ड का कौन सा भाग कितना प्रभावित हुआ है और उसे कितनी क्षति पहुंची है। अधिकतर मामलों में लक्षण अचानक दिखाई देते हैं, लेकिन कुछ मामलों में लक्षण स्ट्रोक आने के कई घंटे बाद पता चल पाते हैं।

इससे होने वाली परेशानियां: अगर स्पाइनल कार्ड के आगे के भाग को रक्त की आर्पूित कम हुई है तो रोगी के पैर स्थायी रूप से लकवाग्रस्त हो सकते हैं। अन्य जटिलताओं में सांस लेने में कठिनाई होना, मांसपेशियों में कमजोरी आना और शरीर का लचीलापन प्रभावित होना तथा अवसाद की समस्या हो सकती है।

आसान है उपचार: स्पाइनल स्ट्रोक के कुछ मामलों में चिकित्सक स्पाइनल कार्ड पर पड़ रहे दबाव को दवाओं से ठीक कर लेते हैं, जबकि कुछ मामलों में सर्जरी का विकल्प अपनाया जाता है। इसमें छोटा चीरा लगाकर स्पाइनल कार्ड के लिए रक्त के प्रवाह को पहले की तरह पुन: शुरू कराया जाता है।

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