आध्यात्मिक और सामाजिक मूल्य होंगे दिल्ली AIIMS में पाठ्यक्रम का हिस्सा, योग-ध्यान के अलावा ये भी होंगे शामिल
एम्स के फिजियोलाजी विभाग के डॉक्टरों द्वारा किए गए एक अध्ययन में यह बात सामने आई कि मेडिकल शिक्षा के पाठ्यक्रम में चिकित्सा मानविकी का शामिल नहीं होने को मेडिकल के छात्र और डॉक्टर एक बड़ी कमी मानते हैं। इसलिए वे चाहते हैं कि मेडिकल शिक्षा में चिकित्सा मानविकी को भी शामिल किया जाए। सके मद्देनजर एम्स आने वाले समय में मेडिकल पाठ्यक्रम में चिकित्सा मानविकी को शामिल करेगा।
By Jagran NewsEdited By: GeetarjunUpdated: Tue, 22 Aug 2023 11:08 PM (IST)
नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। एम्स के फिजियोलाजी विभाग के डॉक्टरों द्वारा किए गए एक अध्ययन में यह बात सामने आई कि मेडिकल शिक्षा के पाठ्यक्रम में चिकित्सा मानविकी का शामिल नहीं होने को मेडिकल के छात्र और डॉक्टर एक बड़ी कमी मानते हैं। इसलिए वे चाहते हैं कि मेडिकल शिक्षा में चिकित्सा मानविकी को भी शामिल किया जाए।
इसके मद्देनजर एम्स आने वाले समय में मेडिकल पाठ्यक्रम में चिकित्सा मानविकी को शामिल करेगा। इसके तहत उन्हें योग, ध्यान और अध्यात्म की सीख भी दी जाएगी। मंगलवार को एम्स में आयोजित एक प्रेस वार्ता में फिजियोलाजी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. केपी कोचर ने यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि काम के अत्यधिक दबाव में कई डॉक्टर भी कम उम्र में डायबिटीज, हाइपरटेंशन जैसी बीमारियों से पीड़ित हो रहे हैं। डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा की घटनाएं भी बढ़ी हैं। इसका कारण मानवीय मूल्यों में कमी है। मानवीय मूल्यों और आध्यात्मिकता के माध्यम से स्वास्थ्य सेवा को बेहतर किया जा सकता है।
इसी क्रम में एम्स में बुधवार से तीन दिवसीय एकीकृत स्वास्थ्य सुविधाओं पर एक सम्मेलन शुरू हो रहा है। जिसमें एलोपैथी के अलावा अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान की निदेशक डा. तनुजा नेसारी भी शामिल होंगी। इस कार्यक्रम के माध्यम से युवा डॉक्टरों को मेडिसिन के साथ-साथ योग, ध्यान व अध्यात्म के महत्व से अवगत कराया जाएगा।
उन्होंने बताया कि आनलाइन 500 मेडिकल के छात्रों और डॉक्टरों से प्रतिक्रिया लेकर यह जानने की कोशिश की गई थी कि मौजूदा चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं में क्या कमी है? ज्यादातर डॉक्टरों ने मेडिकल शिक्षा में चिकित्सा मानविकी को शामिल करने की जरूरत बताई। दुनिया के कई देशों के मेडिकल शिक्षा में यह शामिल है। लेकिन एम्स में यह शामिल नहीं है।
आईआईटी भी मानविकी व सामाजिक विज्ञान पाठ्यक्रम में है। इसलिए हम चाहते हैं कि मेडिकल में छात्र मेडिसिन का इतिहास, दूसरों के तकलीफ की कहानियां भी पढ़ें और यह समझें कि समाज में किस तरह की दिक्कतें हैं। उन्हें प्रेरित किया जाएगा कि वे काम के व्यस्तता के बीच 15 मिनट समय निकालकर राजयोग या ध्यान करें।
इससे खुद तो तनाव मुक्त रहेंगे ही, मरीजों के प्रति बर्ताव भी मित्रवत रहेगा। डॉक्टर किसी मरीज की मौत नहीं टाल सकते लेकिन इलाज के साथ-साथ उन्हें भरोसा देकर इलाज का परिणाम बेहतर कर सकते हैं। इससे डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं में भी कमी आएगी।
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